रिपोर्ट : हिमांशु जोशी
पिथौरागढ़. जोशीमठ की घटना से सहमे उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में दारमा घाटी के लोग अब बोकांग बॉलिंग जल विद्युत परियोजना के विरोध में उतर आए हैं. जिसके लिए दारमा संघर्ष समिति के तत्वावधान में दारमा के हजारों निवासी सड़कों पर उतर आए. सभी ग्रामीणों में इस जल विद्युत परियोजना के प्रति आक्रोश है. वे किसी भी हाल में दारमा में डैम नहीं बनने देना चाहते हैं.
दरअसल टीएचडीसी यहां बॉलिंग में 165 मेगावाट क्षमता वाली जल विद्युत परियोजना बनाने की तैयारी कर रही है, जिसकी टेस्टिंग के लिए 30 मीटर टनल भी खोदी गई है. इसके बाद से ही यहां के ग्रामीणों में नाराजगी है.
माइग्रेशन खत्म होने के बाद यहां के ग्रामीण इस जल विद्युत परियोजना को आगे नहीं बढ़ने देना चाहते हैं. उनका कहना है कि सीमांत के लोगों को विनाश के आधार पर विकास नहीं चाहिए. दारमा संघर्ष समिति के अध्यक्ष पूरन सिंह ग्वाल ने कहा कि दारमा घाटी के कई गांव पहले से ही आपदा की मार झेल रहे हैं. ऐसे में टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड की ओर से 165 मेगावाट की प्रस्तावित बोकांग बॉलिंग जल विद्युत परियोजना के बनने से घाटी में आपदा का खतरा और बढ़ जाएगा. उन्होंने कहा कि जोशीमठ के हालात देखते हुए सरकार को समय रहते ऐसी परियोजनाओं को बंद करना चाहिए, जो विनाश की बुनियाद पर विकास देते हों. साथ ही उन्होंने कहा कि दारमा के ढांकर गांव में बनी 15 मीटर टनल के कार्य को माइग्रेशन में जाने के बाद रोका जाएगा.
बता दें कि दारमा घाटी चीन सीमा पर बसी जगह है, जो आपदा की दृष्टि से अति संवेदनशील है. इसका प्रमाण यहां हर बरसात में देखा जा सकता है. इस इलाके में पहले से ही छीरकिला डैम और धौलीगंगा विद्युत परियोजना बनी हुई है और यहां भी ऐसे कई इलाकों हैं, जहां भू धंसाव देखा जा सकता है. यहां स्थित लगभग हर गांव लगातार इसकी चपेट में आ रहे हैं, जिन्हें बचाने के लिए भी यहां के ग्रामीण संघर्ष कर रहे हैं. ग्रामीणों का आरोप है कि इस डैम के बनने के बाद राज्य को तो 165 मेगावाट बिजली मिलेगी, लेकिन सीमांत में रह रहे लोगों के लिए यह विनाश का कारण भी बन सकता है.
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