पिथौरागढ़. उच्च हिमालयी इलाके में मौजूद खलिया टॉप तक जाना अब सैलानियों के लिए आसान नहीं होगा. लगातार सैलानियों के गायब या लापता होने की घटनाओं के बाद प्रशासन ने सख्ती की है. समर सीजन में यहां भारी संख्या में सैलानी जाते हैं और अब तक इनका रिकॉर्ड नहीं रखा जाता था. बीते एक पखवाड़े में खलिया टॉप के रास्ते में अलग-अलग घटनाओं में 4 सैलानी लापता हुए, जिन्हें खोजना प्रशासन के लिए खासा सिरदर्द रहा. आगे इस सिरदर्द से बचने की कवायद शुरू की गई है.
उत्तर प्रदेश के बरेली से आए 2 सैलानियों को खोजने में सर्च टीम को 50 से अधिक घंटे लग गए. ये सैलानी रास्ता भटक गए थे और थके-हारे एक चट्टान के नीचे मिले. इन सैलानियों को खोजने के लिए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने निर्देश दिए थे. इसके बाद धामी ने ही अपने सोशल मीडिया पर यह भी बताया था कि इस खोज अभियान के लिए हेलीकॉप्टर भी रेस्क्यू टीम को मुहैया करवाया गया. इस पूरी कवायद के बाद अब खलिया टॉप पर जाने वाले सैलानियों का रिकॉर्ड रखे जाने की तैयारी है.
डीएम पिथौरागढ़ आशीष चौहान ने बताया कि खलिया टॉप जाने वाले सभी सैलानियों का रिकॉर्ड रखने के साथ ही उन्हें रूट के बारे में पूरी जानकारी दी जाएगी. इसके लिए चौहान ने वन विभाग को निर्देश जारी किए. खलिया टॉप रूट पर साइन बोर्ड लगाने के लिए वन विभाग को 10 लाख की धनराशि भी दी गई है. खलिया टॉप ट्रेकिंग रूट भी है और बीते कुछ सालों में यहां साहसिक पर्यटकों की तादाद काफी बढ़ी है.
क्यों इतना खास है खलिया टॉप?
मुनस्यारी तहसील में मौजूद खलिया टॉप 3500 मीटर की ऊंचाई पर बसा है. यहां तक पहुंचने के लिए तहसील मुख्यालय से 6 किलोमीटर का ट्रेक करना होता है. खलिया टॉप पहुंचकर सैलानियों को ऐसा नजारा दिखाई देता है, जिसकी कल्पना शायद ही किसी ने की हो. ऊंचाई में अनंत मैदान और हर तरफ बर्फ की सफेद चादर, किसी को भी आकर्षित करने के लिए काफी है.
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