टिहरी डैम की झील में भारी मात्रा में सिल्ट जमी दिख रही है.
सौरभ सिंह
टिहरी. देश की ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करने वाले टिहरी डैम की झील के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है. टिहरी डैम की झील में सिल्ट लेवल लगातार इस कदर बढ़ रहा है कि झील के वजूद का संकट खड़ा हो चुका है. साफ सफाई न होने से टिहरी डैम की झील का दम फूल गया है, तो इस मामले में प्रधानमंत्री कार्यालय से संज्ञान लिये जाने के बावजूद न तो कोई प्लानिंग बन पाई है और न ही अब तक विभागों के बीच सहमति. इस पूरे संकट का एक अर्थ यह भी है कि डैम की उम्र भी कम हो सकती है.
पहाड़ों के बीच 42 वर्ग किलोमीटर में फैली टिहरी डैम की झील देश की ऊर्जा के साथ ही कई राज्यों में पानी की आपूर्ति भी करती है. अब धीरे धीरे झील में सिल्ट (रेता बजरी) का लेवल बढ़ने लगा है, जिससे झील का अस्तित्व ही खतरे में आ गया है. विशेषज्ञों के मुताबिक टिहरी डैम की मीयाद करीब 100 साल है, लेकिन सिल्ट की मात्रा बढ़ने से अब ये 30-35 साल तक आंकी जा रही है. वरिष्ठ समाजसेवी विक्रम बिष्ट का कहना है कि किसी जल विद्युत परियोजना का आर्थिक लाभ उसके जलाशय पर निर्भर करता है और जलाशय सिल्ट के भराव पर.
गौरतलब है कि टिहरी डैम की झील में भागीरथी का सिल्ट रेट काफी ऊंचा है, जिसके चलते इन दिनों उत्तरकाशी ज़िले के चिन्यालीसौड़ से टिहरी ज़िले के डोबरा चांठी तक झील में सिल्ट का लेवल बढ़ता ही जा रहा है.
झील की साफ सफाई को लेकर भी आरोप
स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा इस मामले को पीएमओ को भी भेजा गया था. शिकायतकर्ता जनप्रतिनिधि खेमसिंह चौहान ने बताया कि पीएमओ से इस मामले में शासन और टिहरी प्रशासन से प्लानिंग की बात कही गई थी. फिर भी अब तक कुछ नहीं हुआ. आरोप यह भी है कि झील की साफ सफाई के लिए टीएचडीसी द्वारा बजट खर्च किया जाता है, लेकिन ये सिर्फ औपचारिकता बनकर रह गया है.
इन स्थितियों को लेकर डीएम इवा आशीष श्रीवास्तव का कहना है कि इस मामले में शासन स्तर पर बैठक हुई है. टिहरी डैम से सिल्ट उठाने को लेकर पॉलिसी बनाने पर सहमति बनेगी और उसके बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी.
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