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टिहरी: 3 किमी सड़क बनने में लगे 17 साल, बाकी 5 किमी कब बनेगी? राह तक रहीं बूढ़ी आंखें!

टिहरी के इस गांव में सड़क का रोना अब भी बरकरार है.

टिहरी के इस गांव में सड़क का रोना अब भी बरकरार है.

Tehri News: सड़क नहीं होने से ग्रामीण परेशान हैं, नेता और अधिकारियों की सुस्ती बरकरार है. चुनाव बहिष्कार से लेकर कई आंद ...अधिक पढ़ें

रिपोर्ट – सौरभ सिंह

टिहरी. जिले के सीमान्त सिलोड़ा गांव के ग्रामीण शासन प्रशासन की अनदेखी के चलते सबसे अधिक परेशानी प्रसव पीड़ा वाली महिलाओं को होती है, कई बार रास्ते में ही प्रसव हो जाता है और जान का खतरा बना रहता है. वहीं पलायन होने से गांव में अब बुजुर्ग लोग ही बचे हैं. ताज्जुब की बात तो यह है कि यहां सड़क के लिए मंज़ूरी 17 साल पहले मिली थी, लेकिन अब भी सड़क यहां के लोगों के लिए किसी सपने से कम नहीं है.

टिहरी और उत्तरकाशी जिले के बार्डर पर प्रतापनगर विधानसभा में स्थित है सिलोड़ा गांव, जहां करीब 500 की आबादी है. वर्ष 2005-06 में लंबगांव उत्तरकाशी मेन रोड से सौंदी सिलोड़ा के लिए करीब 8 किलोमीटर सड़क स्वीकृत हुई थी, लेकिन फॉरेस्ट लैंड और विभागीय सुस्ती के चलते आज तक सिर्फ 3 किलोमीटर सड़क ही बन पाई है और ग्रामीण आज भी 5 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई चढ़कर मुखमाल गांव तक पहुंचते हैं. जहां से फिर उन्हें टैक्सी वाहन मिलते हैं.

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हर बार चुनावों में प्रत्याशी गांव में पहुंचते है और जीतने के बाद सड़क बनने पर गाड़ी से गांव आने का झूठा आश्वासन देते हैं लेकिन जीतने के बाद दोबारा गांव की तरफ मुड़कर भी नहीं देखते. ग्रामीणों ने कई बार चुनाव बहिष्कार की चेतावनी भी दी. प्रशासन के आश्वासन के बाद ग्रामीण मान गए लेकिन आज तक सिलो़ड़ा गांव तक सड़क नहीं पहुंची और ग्रामीणों की समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं.

सड़क नहीं होने की वजह से सबसे अधिक परेशानी प्रसव वाली महिलाओं और मरीजों को लाने ले जाने में होती है, जिस कारण कई बार लोग अपनी जान भी गंवा चुके हैं. विभागीय अधिकारियों की सुस्ती का खमियाजा ग्रामीण वर्षों से भुगत रहे हैं. वहीं, प्रतापनगर क्षेत्र में अपनी खूबसूरती के कारण जाना जाने वाला सिलोड़ा गांव आज पलायन की मार झेल रहा है और अब गांव में बुजुर्ग लोग ही बचे हैं, जो सड़क आने का इंतजार कर रहे हैं. मामले में डीएम सौरभ गहरवार ने जल्द कार्रवाई का आश्वासन दिया है.

Tags: Uttarakhand news

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