देहरादून प्रदेश में डॉक्टर्स की कमी को दूर करने के लिए सरकार हर संभव कदम उठा रही है. मगर डॉक्टर्स नहीं मिल पा रहे हैं. सरकार ने चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड का गठन किया है, जिससे डॉक्टर्स की जल्दी भर्ती हो सके.
सरकार ने 6 अप्रैल 2015 को प्रदेश में चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड का गठन किया है. पूर्व डीजी हेल्थ डॉ आई एसपाल को बोर्ड के चेयरमैन बनाया गया है . इसके गठन के छह महीने बीत जाने के बाद भी सदस्यों की नियुक्ति नहीं हुई है.
बोर्ड के गठन के छह माह के बाद भी भर्ती की प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी है. प्रदेश में सरकार राज्य लोक सेवा आयोग के माध्यम से अब तक डॉक्टर्स की भर्ती करती रही है मगर आयोग के जरिए डॉक्टर्स के भर्ती होने में काफी वक्त लग जाता है.
ऐसे में सरकार ने एक भर्ती बोर्ड का गठन किया है, जिससे अधिक से अधिक डॉक्टर्स की भर्ती की जा सके. बोर्ड के माध्यम से चिकित्सा अधिकारी, प्रोफेसर , सहायक प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर की भर्ती होनी है.
डेंटल संघ के पूर्व अध्यक्ष का कहना है कि डॉक्टर्स भर्ती बोर्ड के चेयरमैन की शैक्षिक योग्यता एमबीबीएस है ऐसे में वे पोस्ट ग्रेजुएट प्रोफेसर का इंटरव्यू कैसे ले पाएंगे.
डॉ आरके शर्मा पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डेंटल डॉक्टर्स संघ का कहना है कि अगर चेयरमैन के पद पर कोई पीजी डिग्री धारक को बनाया जाता तो यकीनन बेहतर होत है फिलहाल उनका कहना है कि सरकार ने जो फैसला किया है वह आम लोगों के हित में हो सकता है .
फिलहाल शासन स्तर पर बोर्ड के अन्य सदस्यों के रिक्त पदों की भरने की बात कही जा रही है. मगर डॉक्टर्स का एक तबका चाहता है कि बोर्ड के चेयरमैन की शैक्षिक योग्यता कम से कम पोस्ट ग्रेजुएट होनी चाहिए है.
वही डीजी हेल्थ का साफ तौर से कहना है कि कोई जरूर नहीं है कि चिकित्सा चयन बोर्ड के चेयरमैन की शैक्षिक योग्यता पोस्ट ग्रेजुएट हो. सवाल उठाने वालों पर ही उन्होंने प्रश्न चिन्हि लगा दिया है.
डॉ आरपी भट्ट- डीजी हेल्थ का कहना है इस तरह से सवाल उठाने वालों को नियमों की पूरी जानकारी नहीं है, इसलिए इस तरह के बेबुनियादी सवाल उठा रहे हैं.
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FIRST PUBLISHED : September 25, 2015, 23:17 IST