जंगली सूअरों द्वारा फसलों को पहुंचाए जा रहे नुकसान के मद्देनजर वन विभाग ने गांवों के चारों ओर दीवार बनाने की योजना बनाई है.
इसके लिए कैंपा योजना से एक करोड़ रूपए का फंड भी जारी किया गया है. लेकिन वन्यजीव प्रेमी इसे अस्थायी व्यवस्था बताते हुए योजना पर सवाल खड़े कर रहे हैं. वन्यजीव प्रेमियों का कहना है कि दीवार बनाने से बेहतर हो कि वन्यजीवों को उनके वास स्थल में आहार उपलब्ध कराया जाए.
वन्यजीव प्रेमी अजय शर्मा का कहना है कि अनियंत्रित विकास और सिकुड़ते वन क्षेत्रों में वन्यजीवों के सामने आहार की बड़ी समस्या है. अब पक्की दीवार बनाकर उन्हें किसी विकल्प से भी दूर किया जा रहा है. ऐसे में जरूरी है कि वन क्षेत्रों में ऐसे पौधे और पेड़ बड़ी संख्या में लगाए जाएं जिससे वन्यजीवन भी सुरक्षित रहें.
तेलंगाना राज्य में सूअर की समस्या से निजात पाने के लिए किए गए उपाय से भी राज्य सरकार की मंशा पर सवाल खड़ा होता है. तेलंगाना राज्य ने जंगली सूअरों की समस्या को देखते हुए खास तरीके से तार बाड़ लगाने के काम को सफलता पूर्वक पूरा किया.
साल 2014 में हुए सर्वे में ये बात सामने आई कि तार बाड़ लगाने का उपाय काफी प्रभावी रहा और इसमें खर्च भी काफी कम हुआ फिर अब उत्तराखंड में इस तरीके से काम क्यों नहीं किया जा रहा. इस पर प्रमुख वन संरक्षक का कहना है कि राज्य में तार बाड़ लगाने की योजना काफी सफल नहीं रही है. इसके साथ ही दीवार उन इलाकों में बनाई जा रही है जहां सूअरों के नुकसान की ज्यादा शिकायतें हैं. पीसीसीएफ ने कहा कि अभी तो वन विभाग इस काम को कर रहा है भविष्य में इसे ग्रामीणों के ही हाथ में सौंप दिया जाएगा.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |
FIRST PUBLISHED : October 28, 2015, 12:16 IST