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दार्जिलिंग में भड़की हिंसा और अनिश्चित काल के लिए गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) द्वारा बुलाया गया बंद ममता सरकार के लिए अब भी चिंता का विषय बना हुआ है. बंगाल से हट कर एक अलग राज्य गोरखालैंड की मांग फिर से सामने आई है.
बुधवार को सारी स्थानीय पार्टियां एक मीटिंग में शामिल हुईं जिसमें संयुक्त रूप से गोरखा राज्य की मांग पर विचार हुआ. इस मीटिंग में पश्चिम बंगाल भाजपा भी शामिल हुई. बता दें कि राज्य की भाजपा इकाई, गोरखा मोर्चे के साथ चुनावी ताल-मेल में है. हालांकि, भाजपा ने राज्य स्तर पर यह साफ कर दिया है के वो अलग राज्य गोरखालैंड बनाने के पक्ष में नहीं है.
गौरतलब है कि बंगाल के स्कूलओं में बंगला भाषा अनिवार्य करने के ममता सरकार के सुझाव पर गोरखा जनमुक्ति मोर्चा ने प्रदर्शन शुरू किया था, जो बाद में हिंसक हो गया. सोमवार से अनिश्चित काल के लिए मोर्चा द्वारा बुलाया बंद शुरू हुआ, जिसमें सरकारी दफ्तरों को निशाना बनाया गया है. वहीं दूसरी ओर ममता सरकार ने सेना की सहायता ली और पुलिस की मदद से दफ्तर खुले रखे, लेकिन मोर्चा पीछे नहीं हट रहा है.
जीजेएम के सदस्य बिमल गुरूंग ने कहा कि कुछ जगहों को छावनी बना दी गई है. लेकिन, वहां भी काम करने वाले गोरखा ही हैं. उन्होंने कहा कि हमेशा तो उनको सुरक्षा नहीं नहीं मिलेगी, हमारा नॉन कोपरशन मूवमेंट जारी रहेगा. गुरूंग ने कहा कि कितनी भी फोर्स आए, ये मूवमेंट नहीं रुकेगा. उनका कहना है कि हम टूरिस्ट और जो लोग काम करने आए हैं, उनसे भी यह कहना चाहते हैं कि अभी यहां के हालात देखकर अपना मन बदल लें.
वहीं, मोर्चे के साथ पहाड़ों पर चुनावी ताल मेल रखने वाली भाजपा ने भी अपनी बात साफ कर दी है. भाजपा का आरोप है के दार्जिलिंग की पूरी समस्या ही राजनीतिक रोटियां सेकने के लिए खड़ी की गई हैं. बंगाल भाजपा के अध्यक्ष दिल्लीप घोष ने कहा कि हमारे लोग बैठक में गए थे लेकिन किसी एग्रीमेंट में ना तो सिग्नेचर किया है ना सहमति दी है. उन्होंने कहा कि गोरखालैंड हमारा इशू नहीं है, इसलिए उस मामले में हमारी कोई चिंता नहीं है. हम चाहते हैं के गोरखा लोगों का विकास हो, उनकी जो समस्याएं हैं वो दूर हों.
घोष ने भाजपा राज्य अध्यक्ष होने के नाते यह भी कह दिया है की भाजपा भले ही मोर्चा के साथ चुनावी समझोते पर हो, लेकिन गोरखालैंड के पक्ष में नहीं. घोष ने कहा - 'नहीं, हमारे हाथ में भी नहीं है, दावा रखा है केंद्र के पास, केंद्र सोचेगी.'
आपको बता दें कि पहाड़ी पार्टियों की अगली बैठक अब 20 जून को है, जिसमें चल रहे ममता विरोधी आंदोलन पर पुनर विचार होगा. लेकिन फिलहाल प्रदर्शन का असर दार्जिलिंग की स्थानीय अर्थ-व्यवस्था और रहन सहन पर पड़ रहा है.
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Tags: Darjeeling, Mamata banerjee
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