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अफगानिस्तान में आसमान छू रही है महंगाई, 2400 रुपये में आटे और 2700 रुपये में बिक रहा चावल

अफगानिस्तान में खाद्य पदार्थों की कीमत ने आम जनता को परेशान कर दिया है.

अफगानिस्तान में खाद्य पदार्थों की कीमत ने आम जनता को परेशान कर दिया है.

अफगानिस्तान में एक दुकान के मालिक सैफुल्लाह ने कहा कि अफगानी रुपये के मुकाबले डॉलर की बढ़ती कीमत खाद्य वस्तुओं (essenti ...अधिक पढ़ें

    काबुल. तालिबानी हुकूमत के बाद अफगानिस्तान के लोग दाने-दाने के लिए मोहताज हो गए हैं. देश में महंगाई चरम पर है. हालात ये हैं कि अफगानिस्तान के लाखों लोगों के सामने भुखमरी का संकट पैदा हो गया है. अफगानिस्तान में एक बोरी आटे की कीमत 2400 अफगानी रुपये और चावल (Rice) की 2700 रुपये में मिल रहा है. आटे और चावल के अलावा देश में खाने के तेल, दाल और अन्य जरूरत के सामान की कीमत भी आसमान छू रही है. खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमत से आम जनता परेशान है और वह यह समझ नहीं पा रही है कि आखिरकार दो जून की रोटी का इंतजाम कैसे किया जाए

    न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान में एक दुकान के मालिक सैफुल्लाह ने कहा कि अफगानी रुपये के मुकाबले डॉलर की बढ़ती कीमत खाद्य वस्तुओं (essential commodities) जैसे अनाज, तेल के भाव बढ़ने के लिए जिम्मेदार है. बातचीत के दौरान सैफुल्लाह ने कहा, ‘हम देश के बाहर से सारा सामान डॉलर में खरीदते हैं, फिर इस सामान को देश में अफगानी रुपये में इसे बेचते हैं. इस वक्त हम एक बैग आटे को 2400 अफगानी रुपये में बेच रहे हैं, जबकि 16 लीटर की तेल बोतल 2800 रुपये में है. चावल की एक बोरी की 2700 रुपये है.’ काबुल में काम करने वाले एक शख्स शाह आगा ने कहा कि वह दिहाड़ी मजदूरी करके अपना गुजारा करते हैं. एक दिन में मजदूरी करके उन्हें 100 से 150 अफगानी रुपये मिलते हैं. जिस तरह से देश में महंगाई बढ़ रही है उसमें इतने कम पैसों में दो रोटी का जुगाड़ सिर्फ मुश्किल नहीं बल्कि नामुमकिन सा लग रहा है.

    विदेश से आना वाला सामान ही है महंगा!
    बढ़ती महंगाई पर तालिबान सरकार के चैंबर ऑफ एग्रीकल्चर एंड पशुधन का कहना है कि जो सामान अफगानिस्तान में विदेशों से आ रहा है वह महंगा है, लेकिन देसी वस्तुएं आज भी सस्ती हैं. तालिबान सरकार का दावा है कि अफगानिस्तान में उगने वाला प्याज बाजारों में 7 किलो 30 अफगानी रुपये में मिल रहा है. न्यूयॉर्क टाइम्स ने हालिया रिपोर्ट में कहा है कि तालिबान के सत्ता में आने के चार महीने बाद अफगानिस्तान में भुखमरी का संकट खड़ा हो गया है. राहत कार्यों में जुटी एजेंसियों का कहना है कि सर्दियों के महीनों में लाखों बच्चों की मौत इस कारण हो सकती है.

    खाने-पीने की कमी से जूझेगी आधी आबादी
    संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम और खाद्य और कृषि संगठन के एक विश्लेषण के अनुसार, इस सर्दी में 2.28 करोड़ से ज्यादा यानी अफगानिस्तान की आधी आबादी खाने-पीने की कमी से जूझ सकती है. विश्लेषण में यह भी कहा गया है कि 2.28 करोड़ लोगों में से 87 लाख अकाल जैसी स्थिति में आने वाली भुखमरी का शिकार होंगे.

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