अमेरिकी सेना के अफगानिस्तान छोड़ने के बाद से तालिबानी लड़ाके अपनी सरकार में नियमित कर्मचारी बन गए हैं. (File Photo)
काबुल. तालिबानी लड़ाकों (Talibani Warriors) के कंधे पर हथियार टांगकर सड़कों पर घूमने वाले दिन गए. अब उन्हें न तो घात लगाने और न ही बम विस्फोट करने की जरूरत है. अब वह पूरे देश को खुद चलाते हैं. तालिबान के सभी लड़ाकों के अपने विभाग हैं और उनकी तय भूमिकाएं हैं. लेकिन अब यही सब तालिबानी लड़ाकों के लिए मुसीबत बन गया है. कई सारे तालीबानी लड़ाकों को इन सबसे नफरत हो गई है. वे चाहते हैं कि युद्ध खत्म न हो और वह वही करें जो वह अब तक करते रहे हैं- निशाना साधें, गोली मारें और भाग जाएं.
अमेरिकी सेना के अफगानिस्तान छोड़ने के बाद से तालिबानी लड़ाके अपनी सरकार में नियमित कर्मचारी बन गए हैं. जब से युद्ध खत्म हुआ है, उनमें से कई युद्ध का मैदान छोड़ अब कंप्यूटर पर काम कर रहे हैं. अमेरिकी मीडिया हाउस वाइस ने सूत्रों के हवाले से कहा, ज्यादातर लड़ाके इन कंप्यूटर की नौकरियों को “उबाऊ” पाते हैं, और “अपना सारा समय ट्विटर पर बिताने, ज्यादा किराया लेने और काम करने के लिए आने-जाने से थक गए हैं.”
‘जिहाद छेड़ना था आसान’
जंग के दौरान सालों तक स्नाइपर स्पेशलिस्ट एक तालिबान लड़ाके ने कथित तौर पर गैर-लाभकारी अनुसंधान एजेंसी अफगानिस्तान एनालिटिक्स नेटवर्क को बताया कि हमावरों के लिए कठपुतली सरकार के खिलाफ जिहाद छेड़ने से उनका जीवन सरल और आजाद था.
एक अन्य लड़ाके ने अफसोस जताया कि देश को चलाने और अपने लोगों को खिलाने के लिए जिम्मेदार व्यवस्था का हिस्सा होने के बाद उनका जीवन कितना नीरस हो गया है. वाइस ने इस लड़ाके के हवाले से कहा, “लोग हमसे ज्यादा उम्मीद नहीं करते थे, और हमारी उनके प्रति बहुत कम जिम्मेदारी थी, लेकिन अब अगर कोई भूखा है, तो वह हमें इसके लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार मानता है.”
एक और लड़ाके ने कहा, “हमें सुबह 8:00 बजे से पहले ऑफिस जाना होता है और शाम 4:00 बजे तक वहीं रहना होता है. अगर नहीं जाते हैं, तो एबसेंट माना जाता है, और सैलरी काट ली जाती है.”
अफगानिस्तान के ग्रामीण इलाकों से राजधानी शहर में आने वाले कई लड़ाके अपने परिवार को याद करते हैं. वे बताते हैं कि ज्यादा किराए के कारण, वे अपने परिवार को काबुल लाने की स्थिति में नहीं हैं. वे गांवों में अपनी सैलरी के साथ सुखी जीवन बिता रहे थे. काबुल की महंगी जीवन शैली ने उन्हें बहुत ही सामान्य जीवन जीने में फंसा दिया है. जहां किसी को शहर के व्यस्त ट्रैफिक से परेशानी है, वहीं किसी का दावा है कि वाईफाई ने उन्हें इंटरनेट का आदी बना दिया है.
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