World News: हमारे असावधान और लापरवाही बरतने के पीछे ‘लिम्बिक सिस्टम’ जिम्मेदार होता है. (File Photo-Canva)
सिएटल. जरा सोचिए, आप सड़क पर गाड़ी चला रहे हैं तभी कोई दूसरी कार अचानक बहुत तेजी से आपकी गाड़ी के सामने से गुजर जाती है. अचानक आपका भी मन करता है कि स्पीड बढ़ाकर उस गाड़ी वाले को सबक सिखा दूं, या उससे भी ज्यादा लापरवाही से गाड़ी चलाऊं या बस यूं ही आसपास की गाड़ियों पर चिल्लाना शुरू कर दूं. आम तौर पर ऐसा करने का कोई मतलब नहीं है और हो सकता है यह आपका स्वाभाव भी न हो लेकिन असलियत यह है कि बीते तीन सालों में कई लोगों में ऐसा व्यवहार करने की इच्छा देखी गई है.
बात बस इतनी है कि जब ऐसी इच्छा राजमार्ग पर 100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गाड़ी चलाने की होती है , या जाम में या जब ट्रैफिक लाइट लाल हो जाती है तब ऐसा होता है तो परिणाम विनाशकारी हो सकते हैं. कोविड-19 ने ऐसे मामलों में वृद्धि की है. लॉकडाउन और अनिश्चितता के साथ, महामारी एक दीर्घकालिक आपदा रही है. इसने सभी को तनाव में डाल दिया है, फिर चाहे वह हल्का हो या गंभीर. तनाव पर प्रतिक्रिया करते समय, मानव शरीर का एक सहज अधिभावी कार्य होता है – जीवित और सुरक्षित रहने के लिए प्रतिक्रिया. लोग अक्सर ऐसा व्यवहार करते हैं जो इसके विपरीत लगता है, लेकिन शारीरिक तंत्र की प्रतिक्रिया स्पष्ट होती है.
इस वजह से होती है प्रक्रिया
जब हम अत्यधिक तनावग्रस्त होते हैं, खतरा महसूस करते हैं या खतरा दिखता है, तो हमारा ‘लिम्बिक सिस्टम’ (दिमाग का वह हिस्सा जो हमारी व्यवहारगत या भावनात्मक प्रतिक्रिया से संबधित है) एक प्रतिक्रिया को शामिल करने के लिए सक्रिय हो जाता है जो हमारी रक्षा करेगा. यहीं से ‘लड़ाई, उड़ान या सन्न रह जाने’ जैसे प्रतिक्रिया सामने आती है. तार्किक व्यवहार, अच्छे निर्णय लेने और परिणामों पर विचार करने के लिए जिम्मेदार मस्तिष्क का हिस्सा प्रक्रिया से अलग हो जाता है. ‘लिम्बिक सिस्टम’ तर्कहीन, भावनात्मक और कभी-कभी आक्रामक रूप से प्रतिक्रिया करता है. यहीं से वास्तविक प्रतिक्रिया शुरू होती है.
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