क्या है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस?
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंप्यूटर विज्ञान की वह शाखा है, जो कंप्यूटर के इंसानों की तरह व्यवहार करने की धारणा पर आधारित है. इसके जनक जॉन मैकार्थी हैं. यह मशीनों की सोचने, समझने, सीखने, समस्या हल करने और निर्णय लेने जैसी संज्ञानात्मक कार्यों को करने की क्षमता को सूचित करता है.
कब हुई थी इसकी शुरुआत?
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर रिसर्च की शुरुआत 1950 के दशक में हुई थी. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का अर्थ है- कृत्रिम तरीके से विकसित बौद्धिक क्षमता. इसके ज़रिये कंप्यूटर सिस्टम या रोबोटिक सिस्टम तैयार किया जाता है, जिसे उन्हीं तर्कों के आधार पर संचालित करने का प्रयास किया जाता है, जिसके आधार पर मानव मस्तिष्क कार्य करता है.
हाइपरसोनिक मिसाइल क्या होते हैं?
हाइपरसोनिक मिसाइलें ऐसी मिसाइलें होती हैं, जिनकी स्पीड साउंड की स्पीड से 5 गुना या उससे ज्यादा तेज होती है. ये मिसाइलें परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम और मेनुरेबल टेक्नोलॉजी, यानी हवा में रास्ता बदलने की क्षमता से लैस होती हैं. अंडरग्राउंड हथियार गोदामों को तबाह करने में हाइपरसोनिक मिसाइलें सबसोनिक क्रूज मिसाइलों से ज्यादा घातक होती हैं. डिफेंस एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अपनी बेहद हाई स्पीड की वजह से हाइपरसोनिक मिसाइलें ज्यादा विध्वसंक होती हैं.
हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल क्या है?
हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल को एक रॉकेट से लॉन्च किया जाता है। लॉन्च होने के बाद ग्लाइड व्हीकल रॉकेट से अलग हो जाता है और टारेगट की ओर कम से कम मैच 5 की गति से ग्लाइड करता है यानी बढ़ता है
रूस ने यूक्रेन पर कब किया हाइपरसोनिक मिसाइलों का इस्तेमाल?
रूस ने कहा है कि उसने 19 मार्च को पश्चिमी यूक्रेन के इवानो-फ्रांकिवस्क इलाके में एक हथियार गोदाम नष्ट करने के लिए अपनी हाइपरसोनिक मिसाइल ‘किंझल’ का इस्तेमाल किया. 20 मार्च को भी रूस ने दक्षिणी यूक्रेन के माइकोलाइव इलाके में एक फ्यूल डिपो पर दूसरा हाइपरसोनिक मिसाइल हमला किया. जानकारों के मुताबिक, दुनिया में पहली बार किन्हीं दो देशों के बीच लड़ाई में हाइपरसोनिक मिसाइल का इस्तेमाल हुआ है.
नासा हाइपरसोनिक मिसाइलों को कैसे अपग्रेड और ऑप्टिमाइज कर रहा?
नासा ने एक हाइपरसोनिक कम्प्यूटेशनल कोड विकसित किया है, जिसे VULCAN-CFD नाम दिया गया है. जिसका नाम आग के रोमन देवता के नाम पर रखा गया है, जो यह बताता है कि हाइपरसोनिक गति पर इंजनों के अशांत वायुप्रवाह में आग कैसे व्यवहार करता है.
अमेरिका कब से हाइपरसोनिक मिसाइल बनाने में जुटा है?
अमेरिका 2011 से ही हाइपरसोनिक मिसाइल बनाने में जुटा है और कई मिसाइलों के टेस्ट कर चुका है. लॉकहीड मार्टिन ने हाल ही में अमेरिकी सरकार के साथ हाइपरसोनिक कंवेशनल स्ट्राइक वेपन और AGM-1831 एयर लॉन्च्ड रैपिड रेस्पॉन्स वेपन बनाने के लिए करार किया है. अमेरिका के पास पहली हाइपरसोनिक मिसाइल के 2023 तक आने की संभावना है.अमेरिका के मुताबिक, पिछले 5 वर्षों में चीन सैकड़ों हाइपरसोनिक मिसाइलों का टेस्ट कर चुका है, जबकि अमेरिका ने ऐसे कुल 9 टेस्ट ही किए हैं.
चीन हाइपरसोनिक मिसाइलों में कहां है?
चीन D-17 हाइपरसोनिक मिसाइल बनाने के करीब है. वह 2018 में ही लिंगयुन-1 नामक हाइपरसोनिक मिसाइल का टेस्ट कर चुका है. साथ ही DF-ZF हाइपरसोनिक मिसाइल बनाने के करीब है और स्टैरी स्काई-2 नामक मैक 6 स्पीड (करीब 7000 किमी/घंटे) वाली हाइपरसोनिक मिसाइल का भी टेस्ट कर चुका है.
हाइपरसोनिक मिसाइलों के मामले में कहां है भारत?
भारत भी कई वर्षों से हाइपरसोनिक मिसाइल बनाने में जुटा है. DRDO ने 2020 में एक हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटेड व्हीकल (HSTDV) का सफल परीक्षण किया था. रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत HSTDV का इस्तेमाल करके अपनी हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल बनाने की ओर बढ़ रहा है. साथ ही भारत रूस के सहयोग से ब्रह्मोस-II मिसाइल के विकास में जुटा है, जोकि एक हाइपरसोनिक मिसाइल है. ब्रह्मोस-II की रेंज 1500 किमी तक होगी और स्पीड साउंड से 7-8 गुना ज्यादा (करीब 9000 किमी/घंटे) होगी. इसकी टेस्टिंग 2024 तक होने की उम्मीद है. इनके अलावा फ्रांस, ब्रिटेन जैसे देश हाइपरसोनिक मिसाइल बनाने में जुटे हैं. वहीं नॉर्थ कोरिया भी हाइपरसोनिक मिसाइल बनाने का दावा कर चुका है.
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FIRST PUBLISHED : April 18, 2022, 13:50 IST