इस प्राइस कैप का उद्देश्य तेल की बिक्री से रूस की आय को कम करना है. (Image: Moneycontrol)
वाशिंगटन. रूस के सीमित संसाधनों पर अधिक सख्ती बरतने की नीति के तहत अमीर लोकतंत्रों के जी-7 समूह और ऑस्ट्रेलिया ने शुक्रवार को रूसी तेल की कीमत को 60 डॉलर प्रति बैरल पर फ्रीज करने का फैसला किया है. न्यूज़ एजेंसी AFP की एक रिपोर्ट के मुताबिक रूसी तेल को 60 डॉलर प्रति बैरल पर रोकने के बाद जी7 समूह ने अपने संयुक्त बयान में कहा कि समुद्र से आने वाले रूसी मूल के कच्चे तेल की प्रति बैरल कीमत 5 दिसंबर या इसके तुरंत बाद लागू हो जाएगी.
बयान में आगे कहा गया कि जी-7 रूस को यूक्रेन के खिलाफ युद्ध से लाभ उठाने से रोकने, वैश्विक ऊर्जा बाजारों में स्थिरता का समर्थन करने और युद्ध के नकारात्मक आर्थिक प्रभावों को कम करने के अपने संकल्प को पूरा कर रहा है. इस प्राइस कैप का उद्देश्य तेल की बिक्री से रूस की आय को कम करना है, जबकि रूसी कच्चे तेल पर जी 7 और यूरोपीय संघों के प्रतिबंध के बाद वैश्विक तेल की कीमतों में वृद्धि को रोकना भी एक कारण है.
प्राइस कैप से रूस को होंगे आर्थिक नुकसान
शुक्रवार को करीब 67 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहे रूसी यूरल क्रूड ऑयल के लिए 60 डॉलर की प्राइस कैप लगाने से रूसी अर्थव्यवस्था को खासा आर्थिक नुकसान पहुंचने की संभावना है. हालांकि इससे रूस से तेल खरीद रहे कई देशों को काफी राहत मिलने की उम्मीद है.
आपको बता दें कि भारत ने नवंबर में कुल यूरल क्रूड ऑयल निर्यात मात्रा का लगभग 40% रूस से खरीदा था. सस्ते दामों पर मिल रहे रूसी तेल से भारत जैसी अर्थव्यस्थाओं को काफी मदद मिल रही है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|
Tags: Crude oil prices, G7, Russia, Russia ukraine war