वॉशिंगटन. बाइडन प्रशासन के पास अफगानिस्तान के सोने, निवेश और संयुक्त राज्य अमेरिका में रखे गए विदेशी मुद्रा भंडार में अरबों की संपत्ति को जारी करने की कोई योजना नहीं है, जिसे तालिबान के अधिग्रहण के बाद रोक दिया गया था. हालांकि इन पैसों को जारी करने के लिए मानवीय समूहों और अन्य लोगों के जरिए काफी दबाव बनाया जा रहा है क्योंकि ऐसा नहीं होने पर अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था खत्म हो सकती है.
अफ़ग़ान केंद्रीय बैंक की 10 अरब डॉलर की अधिकांश संपत्ति विदेशों में जमा है, जहां उन्हें पश्चिम के लिए महिलाओं के अधिकारों और कानून के शासन का सम्मान करने के मद्देनजर तालिबान पर दबाव बनाने का एक अहम साधन माना जाता है.
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वित्तीय विशेषज्ञों का कहना है कि इन संपत्तियों पर से नियंत्रण हटाने में महीनों लग सकते हैं. अगस्त के मध्य में तालिबान के कब्जे के बाद अमेरिकी विदेश विभाग, अमेरिकी ट्रेजरी, व्हाइट हाउस राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद और अन्य एजेंसियों के अधिकारी अफगानिस्तान के आर्थिक हालात पर लगातार चर्चा कर रहे हैं. दूसरी ओर, संयुक्त राष्ट्र और अन्य लोग इसे आने वाले मानवीय संकट के तौर पर देख रहे हैं.
विशेषज्ञों का कहना है कि फंड जारी करने के किसी भी निर्णय में कई विभागों के शीर्ष अमेरिकी अधिकारी शामिल होंगे, लेकिन आखिरी फैसला राष्ट्रपति जो बाइडन का ही होगा. विदेशी सहायता और डॉलर के शिपमेंट में रुकावट के साथ ही सूखे से उत्पन्न नकदी की कमी के बीच, पूरे अफगानिस्तान में खाद्य और ईंधन की कीमतें तेजी से बढ़ रही हैं.
गौरतलब है कि अफगानिस्तान से अमेरिका की निकासी की 31 अगस्त की समयसीमा पूरी होने से कुछ घंटे पहले अमेरिकी सेना के अंतिम विमान ने हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से उड़ान भरी और इसी के साथ अमेरिका ने 20 वर्ष पुराने अपने युद्ध के समाप्त होने की घोषणा की थी.
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