वाशिंगटन. बीते गुरुवार को वाशिंगटन स्थित ‘इंडिया हाउस’ में आयोजित भोज के दौरान भारत के राजदूत तरनजीत संधू ने कहा है कि भारतीय आम न सिर्फ दोनों देशों के बीच मजबूत दोस्ती का प्रतीक हैं, बल्कि द्विपक्षीय संबंधों की ताकत, मजबूती और परिपक्वता को भी दर्शाते हैं. संधू ने प्रभावशाली भारतीय-अमेरिकी समुदाय के लोगों से कहा कि भारत में आम 5,000 से अधिक वर्षों से उगाए जा रहे हैं और वैश्विक आम उत्पादन में देश की हिस्सेदारी 40 फीसदी से भी ज्यादा है. उन्होंने दावा किया कि आम दुनिया के सबसे पुराने और सबसे बड़े लोकतंत्रों के बीच करीबी रिश्तों को दर्शाते हैं.
भोज में मेहमानों को ताजा कटे आम से लेकर आम से बनी लस्सी तक परोसी गई. इस मौके पर संधू ने कहा, ‘आम दोस्ती का प्रतीक हैं. हम भारत और अमेरिका की मजबूत दोस्ती का जश्न मना रहे हैं.’ कार्यक्रम में अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधिमंडल, ‘यूएस डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर एंड एनिमल एंड प्लांट हेल्थ इंस्पेक्शन सर्विस’ और अमेरिकी वाणिज्य विभाग के अधिकारियों ने भी शिरकत की. संधू ने कहा कि इन अधिकारियों के प्रयासों के बिना ‘भारतीय आम आज यहां नहीं होते.’ भारतीय राजदूत ने कहा, ‘आज हम आर्थिक-वाणिज्यिक साझेदारी को और मजबूत करने के साथ-साथ लोगों के बीच संबंधों को अधिक प्रगाढ़ बनाने के लिए दोनों पक्षों द्वारा की गई कड़ी मेहनत का जश्न मना रहे हैं.’
भारत-अमेरिका व्यापार नीति
साल 2021 के अंत में भारत में आयोजित पिछली भारत-अमेरिका व्यापार नीति के तहत मंत्रिस्तरीय बैठक में दोनों देश एक-दूसरे के बाजार तक पहुंच से जुड़े दशकों पुराने मुद्दों को हल करने को राजी हुए थे. बैठक में इस बात पर सहमति बनी थी कि अमेरिका भारतीय आम और अनार को अपने बाजारों तक पहुंच उपलब्ध कराएगा, जबकि भारत अमेरिकी चेरी, अल्फाल्फा व सुअर के मांस को भारतीय बाजारों में आने देगा. तब से लेकर दोनों देश इस दिशा में काम कर रहे हैं.
सौभाग्य का प्रतीक है आम
संधू ने कहा, ‘आम और आम के पत्ते समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक हैं. इन्हें शुभ माना जाता है. मैं आशा करता हूं कि आने वाले महीनों और वर्षों में भारत-अमेरिका संबंध और अधिक ऊंचाइयों पर पहुंचे और ये भारत और अमेरिका के साथ-साथ दुनियाभर के लोगों के लिए समृद्धि लेकर आएं.’
बढ़ेगी आम की मांग
वहीं, दक्षिण और मध्य एशिया में अमेरिका के सहायक व्यापार प्रतिनिधि क्रिस्टोफर विल्सन ने कहा, ‘भारत और अमेरिका इस महत्वपूर्ण मुद्दे के समाधान के लिए जो काम कर रहे हैं, उसके ठोस परिणाम देखकर बहुत अच्छा लगा. हमें यकीन है कि भारतीय आमों की वाशिंगटन में पर्याप्त मांग होगी.’
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