बंगबंधु को गांधी शांति पुरस्कार दिए जाने की घोषणा पर बांग्लादेश ने आभार माना

बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने कहा कि शेख मुजीबुर रहमान को गांधी शांति पुरस्कार देने के भारत सरकार के निर्णय पर गहरा आभार व्यक्त करते हैं.
बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि शेख मुजीबुर रहमान को मरणोपरांत गांधी शांति पुरस्कार देने के भारत सरकार के निर्णय पर गहरा आभार व्यक्त करते हैं. इसने कहा, ‘‘पुरस्कार भारत-बांग्लादेश के बीच हमेशा गहरे रहे संबंधों के लिए ऐसे समय एक उचित सम्मान है जब दोनों देश बांग्लादेश की स्वतंत्रता और कूटनीतिक संबंधों की स्वर्ण जयंती तथा बंगबंधु का जन्मशती वर्ष मना रहे हैं.’’
- News18Hindi
- Last Updated: March 23, 2021, 11:33 PM IST
ढाका. बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान को वर्ष 2020 का गांधी शांति पुरस्कार (Gandhi Peace Prize) दिए जाने की घोषणा पर भारत का आभार व्यक्त करते हुए बांग्लादेश ने कहा है कि यह दोनों देशों के बीच सदैव गहरे रहे संबंधों का ‘‘उचित सम्मान’’ है. भारत के संस्कृति मंत्रालय (Ministry of Cultural affairs) ने वर्ष 2020 का गांधी शांति पुरस्कार बांग्लादेश के राष्ट्रपिता एवं प्रथम राष्ट्रपति रहमान को देने की सोमवार को घोषणा की थी.
बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि शेख मुजीबुर रहमान को मरणोपरांत गांधी शांति पुरस्कार देने के भारत सरकार के निर्णय पर गहरा आभार व्यक्त करते हैं. इसने कहा कि यह प्रतिष्ठित पुरस्कार बांग्लादेश और इसके लोगों के लिए सम्मान की बात है. मंत्रालय ने कहा कि बांग्लादेश के 50वें स्वतंत्रता दिवस पर इस सम्मान का ‘‘काफी महत्व’’ है.
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ये भी पढ़ें बड़ी खबर: दिल्ली में और सख्त हुई बंदिशें, सार्वजनिक स्थानों पर होली, शब-ए-बारात और नवरात्रि मनाने पर रोकइसने कहा, ‘‘पुरस्कार भारत-बांग्लादेश के बीच हमेशा गहरे रहे संबंधों के लिए ऐसे समय एक उचित सम्मान है जब दोनों देश बांग्लादेश की स्वतंत्रता और कूटनीतिक संबंधों की स्वर्ण जयंती तथा बंगबंधु का जन्मशती वर्ष मना रहे हैं.’’

मंत्रालय ने बताया कि वर्ष 2019 का गांधी शांति पुरस्कार भारत के साथ संबंधों को मजबूत करने और खाड़ी क्षेत्र में शांति और अहिंसा को बढ़ावा देने के उनके प्रयासों को मान्यता देने के लिए ओमान के (दिवंगत) सुल्तान काबूस बिन सैद अल सैद (Qaboos bin Said) को प्रदान किया जा रहा है. गांधी शांति पुरस्कार (Gandhi Peace Prize 2020), वर्ष 1995 में महात्मा गांधी की 125वीं जयंती के उपलक्ष्य में भारत सरकार द्वारा स्थापित किया गया एक वार्षिक पुरस्कार है. यह पुरस्कार राष्ट्रीयता, नस्ल, भाषा, जाति, पंथ से परे उत्कृष्ट सेवाओं के लिए दिया जाता है.
गांधी शांति पुरस्कार से संबंधित जूरी की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की और भारत के प्रधान न्यायाधीश एवं लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता इसके दो पदेन सदस्य होते हैं. दो अन्य प्रतिष्ठित सदस्य- लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला एवं सुलभ इंटरनेशनल सोशल सर्विस ऑर्गनाइजेशन के संस्थापक बिंदेश्वर पाठक - भी इस जूरी का हिस्सा हैं.
आधिकारिक बयान के अनुसार इस जूरी की 19 मार्च, 2021 को हुई एक बैठक में उपयुक्त विचार-विमर्श के बाद सर्वसम्मति से इस पुरस्कार के लिए बांग्लादेश के राष्ट्रपिता शेख मुजीबुर रहमान और ओमान के लंबे समय तक शासक रहे सुल्तान काबूस को चुने जाने का निर्णय लिया गया. गांधी शांति पुरस्कार से हाल में सम्मानित किये जाने वालों में विवेकानंद केंद्र, भारत (2015); अक्षय पात्र फाउंडेशन, भारत एवं सुलभ इंटरनेशनल (संयुक्त रूप से, 2016 के लिए); एकल अभियान ट्रस्ट, भारत (2017) और योही ससाकावा, जापान (2018) शामिल हैं.
बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि शेख मुजीबुर रहमान को मरणोपरांत गांधी शांति पुरस्कार देने के भारत सरकार के निर्णय पर गहरा आभार व्यक्त करते हैं. इसने कहा कि यह प्रतिष्ठित पुरस्कार बांग्लादेश और इसके लोगों के लिए सम्मान की बात है. मंत्रालय ने कहा कि बांग्लादेश के 50वें स्वतंत्रता दिवस पर इस सम्मान का ‘‘काफी महत्व’’ है.
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मंत्रालय ने बताया कि वर्ष 2019 का गांधी शांति पुरस्कार भारत के साथ संबंधों को मजबूत करने और खाड़ी क्षेत्र में शांति और अहिंसा को बढ़ावा देने के उनके प्रयासों को मान्यता देने के लिए ओमान के (दिवंगत) सुल्तान काबूस बिन सैद अल सैद (Qaboos bin Said) को प्रदान किया जा रहा है. गांधी शांति पुरस्कार (Gandhi Peace Prize 2020), वर्ष 1995 में महात्मा गांधी की 125वीं जयंती के उपलक्ष्य में भारत सरकार द्वारा स्थापित किया गया एक वार्षिक पुरस्कार है. यह पुरस्कार राष्ट्रीयता, नस्ल, भाषा, जाति, पंथ से परे उत्कृष्ट सेवाओं के लिए दिया जाता है.
गांधी शांति पुरस्कार से संबंधित जूरी की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की और भारत के प्रधान न्यायाधीश एवं लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता इसके दो पदेन सदस्य होते हैं. दो अन्य प्रतिष्ठित सदस्य- लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला एवं सुलभ इंटरनेशनल सोशल सर्विस ऑर्गनाइजेशन के संस्थापक बिंदेश्वर पाठक - भी इस जूरी का हिस्सा हैं.
आधिकारिक बयान के अनुसार इस जूरी की 19 मार्च, 2021 को हुई एक बैठक में उपयुक्त विचार-विमर्श के बाद सर्वसम्मति से इस पुरस्कार के लिए बांग्लादेश के राष्ट्रपिता शेख मुजीबुर रहमान और ओमान के लंबे समय तक शासक रहे सुल्तान काबूस को चुने जाने का निर्णय लिया गया. गांधी शांति पुरस्कार से हाल में सम्मानित किये जाने वालों में विवेकानंद केंद्र, भारत (2015); अक्षय पात्र फाउंडेशन, भारत एवं सुलभ इंटरनेशनल (संयुक्त रूप से, 2016 के लिए); एकल अभियान ट्रस्ट, भारत (2017) और योही ससाकावा, जापान (2018) शामिल हैं.