परमाणु हमले से निपटने के लिए पश्चिमी देशों के अधिकारी योजना बनाने में लगे हुए हैं. (twitter.com/oleksiireznikov )
लंदन. यूक्रेन पर रूस के एटमी हमले को फिलहाल असंभव घटना माना जा रहा है. लेकिन नाटो के देश ऐसा होने की हालत में अपने डरे हुए लोगों की भगदड़ को रोकने के लिए तुरंत मदद की योजना की फिर से जांच करने में जुट गए हैं. अगर रूस यूक्रेन में या उसके पास परमाणु बम विस्फोट करता है तो ऐसी हालत में अपने-अपने देश में अराजकता और दहशत को रोकने के लिए पश्चिमी देशों के अधिकारी पर्दे के पीछे ‘ बड़ी योजना’ बनाने में लगे हुए हैं.
द गार्जियन की एक खबर के मुताबिक इसके संकेत तब सामने आए जब इसके बारे में सवाल पूछा गया था कि क्या परमाणु हमले के बाद डर से घबराहट शहरों से पलायन करने वाले लोगों को रोकने के लिए कोई उपाय किए जाएंगे. नाम न छापने की शर्त पर बोल रहे एक पश्चिमी देश के अधिकारी ने कहा कि सरकारें ऐसे संभावित हालात के लिए विवेकपूर्ण योजना में लगी हुई हैं. हालांकि उन्होंने जोर देकर कहा कि युद्ध में रूस अगर परमाणु हथियारों का कोई भी उपयोग करता है तो ये एक घृणित काम होगा.
फिलहाल ऐसा कोई संकेत नहीं है कि रूस परमाणु हथियार का उपयोग करने की तैयारी कर रहा है. बहरहाल शीत युद्ध के दौरान पश्चिमी देशों में परमाणु युद्ध के समय खुद की सुरक्षा के लिए स्कूलों में अभ्यास कराया जाता था. 1950 के दशक में अमेरिका में डक एंड कवर अभियान, 1970 के दशक के अंत में ब्रिटेन में प्रोटेक्ट एंड सर्वाइव और 1960 के दशक की शुरुआत में पश्चिम जर्मनी में ‘हर किसी के पास एक मौका है’ ’जैसे अभियान चलाए जा चुके हैं. जिनका मकसद परमाणु युद्ध के समय लोगों को अपना बचाव करने के उपाय सिखाना था.
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गौरतलब है कि सितंबर से यूक्रेन में युद्ध के मैदान में मॉस्को को लगातार हार का सामना करना पड़ा है. इसके बाद रूस के व्लादिमीर पुतिन ने पिछले महीने यह कहते हुए परमाणु हमले की आशंका को हवा दे दिया कि वह रूसी इलाकों की रक्षा के लिए ‘सभी उपलब्ध साधनों’ का इस्तेमाल करेंगे.
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