प्रतीकात्मक तस्वीर
तत्कालीन प्रधानमंत्री मारग्रेट थैचर के नेतृत्व वाली ब्रिटेन की सरकार ने 1984 में भारत में ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद सिखों के प्रदर्शन को दबाने के कई प्रयास किए थे. हाल में जारी दस्तावेजों से यह पता चला है.
ब्रिटेन के एक न्यायाधीश ने पिछले महीने फैसला दिया था कि डाउनिंग स्ट्रीट के दस्तावेज को सार्वजनिक करने से भारत के साथ कूटनीतिक संबंध खराब नहीं होंगे जिसके बाद दस्तावेज सार्वजनिक किए गए.
थैचर के विदेश मंत्री ज्योफ्री होवे चाहते थे कि तथाकथित खालिस्तान गणतंत्र सहित ब्रिटिश सिख समूहों के प्रदर्शन की योजना को स्कॉटलैंड यार्ड प्रतिबंधित करे क्योंकि ‘वर्तमान परिस्थितियों में सिखों के मार्च से काफी गंभीर खतरा होता, यह खतरा भारत-ब्रिटेन संबंधों और देश में कानून-व्यवस्था को लेकर था.’
ज्योफ्री होवे के निजी सचिव लियोनार्ड एप्लेयार्ड ने गृह विभाग को लिखे नोट में कहा, ‘इससे भारत सरकार का ब्रिटेन और थैचर सरकार के खिलाफ गुस्सा और बढ़ेगा क्योंकि वे चाहते हैं कि इस देश में सिख चरमपंथियों की गतिविधियों को खत्म करने के लिए कुछ भी करें. व्यापार बहिष्कार से करीब पांच अरब पाउंड की निविदा को संभावित खतरा था.’
ब्रिटेन 1984 में अपना वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर भारत को बेचने के साथ अन्य आकर्षक हथियार सौदा करना चाहता था.
लंबी लड़ाई के बाद सूचना अधिकरण के न्यायाधीश ने जून में ब्रिटेन सरकार को खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों से जुड़ी सामग्री को उजागर नहीं करने की अनुमति दे दी थी.
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