Capitol Hill Violence: चीन और रूस ने उड़ाया अमेरिका का मजाक, कहा- वाह! क्या नज़ारा है

अमेरिका में हुई हिंसा और चीन और रूस ने दी प्रतिक्रिया. (फोटो- AFP)
Capitol Hill Violence: अमेरिका के कैपिटल हिल में हुई हिंसा पर चीन (China) और रूस ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी है. चीन ने जहां हांगकांग के जरिए अमेरिका की हिंसा को 'खूबसूरत नज़ारा' बताया है वहीं रूस (Russia) का कहना है कि अमेरिकी लोकतंत्र अब घुटनों पर आ गया है.
- News18Hindi
- Last Updated: January 8, 2021, 12:00 PM IST
बीजिंग/मॉस्को. अमेरिका (US) की संसद कैपिटल हिल में ट्रंप समर्थकों द्वारा की गयी हिंसा (Capitol Hill Violence) की दुनिया के ज़्यादातर देशों ने निंदा की है. हालांकि ईरान (Iran), रूस (Russia) और चीन (China) ने अमेरिका में हुई हिंसा के दौरान भी नकारात्मक रुख बनाए रखा और अमेरिकी सरकारों को इससे सीख लेने की नसीहत भी दी. चीन की मीडिया ने तो एक कदम आगे बढ़ते हुए इसे 'एक खूबसूरत नजारा' बताने में भी देर नहीं की. वहीं रूस ने इसे कमजोर पड़ती डेमोक्रेसी करार दिया.
TOI के मुताबिक चीन के सरकारी अख़बार ग्लोबल टाइम्स ने अमेरिका में हुई हिंसा को लेकर एक तंज़ भरा लेख प्रकाशित किया है. ग्लोबल टाइम्स ने चीनी लोगों की सोशल मीडिया पोस्ट्स का हवाला देते हुए लिखा है कि- अमेरिका में जो कुछ हुआ, वो उसके ही कर्मों का फल है और उसका लोकतंत्र का बुलबुला फूट गया होगा. सोशल मीडिया यूज़र्स के पोस्ट को शेयर करते हुए कटाक्ष किया- जब हॉन्गकॉन्ग में विरोध प्रदर्शन हुए थे अमेरिका ने प्रदर्शनकारियों के साहस की प्रशंसा की थी और प्रदर्शनों को 'ख़ूबसूरत नज़ारा' कहा था.
रूस के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया ज़करोवा ने भी अमेरिका के इलेक्शन सिस्टम की आलोचना की और इस पर सवाल खड़े किये. मारिया ने कहा कि अमेरिका का इलेक्शन सिस्टम अब बेहद पुराना हो गया है और आधुनिक डेमोक्रेसी में इसके जरिए काम करना बेहद मुश्किलों भरा है. इस पूरे विवाद की जड़ में अमेरिकी मीडिया भी है. उधर तुर्की की समाचार वेबसाइट 'हुर्रियत डेली न्यूज़' पर भी अमेरिकी घटनाक्रम से जुड़ी कई ख़बरें हैं. वेबसाइट पर छपी ख़बर के मुताबिक़ तुर्की के विदेश मंत्रालय ने यूएस कैपिटल में हुए फ़साद पर चिंता जताई और सभी पक्षों से 'कॉमन सेंस' का इस्तेमाल करने की अपील की है.
बोरिस जॉनसन ने भी ट्रंप को लताड़ा
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन का कहना है कि अमेरिका में कल हुई हिंसा में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भूमिका भी है. उन्होंने कहा, ''ऐसा लगता है जैसे उन्होंने लोगों को कैपिटल में घुसने के लिए उकसाया है और अब तक लगातार उन्होंने निष्पक्ष चुनावों पर सवाल खड़े किए हैं. मेरा मानना है कि ये सरासर ग़लत है.'' ''मैं बस यही कहूंगा कि मुझे यह जानकर बहुत खुशी हुई है निर्वाचित राष्ट्रपति की जीत पर औपचारिक मुहर लग चुकी है और लोकतंत्र को बचा लिया गया है.''

डोनाल्ड ट्रंप के साथ काम कर चुके दो पूर्व अधिकारियों ने बुधवार को अमेरिकी संसद पर हुई हिंसा के लिए ट्रंप को ज़िम्मेदार ठहराते हुए उनकी निंदा की है. पूर्व रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस ने हिंसा के लिए सीधे-सीधे ट्रंप को दोषी ठहराया है. अपने बयान में उन्होंने कहा, “केपिटल पर आज हुए हिंसक हमले से अमेरिका के लोकतंत्र को भीड़तंत्र में बदलने की कोशिश ट्रंप की वजह से हुई है.” उन्होंने कहा, ''ट्रंप को छद्म राजनीतिक नेताओं ने बढ़ावा दिया है जिनके नाम गुमनामी में रहेंगे और कायरता के लिए जाने जाएंगे.”
TOI के मुताबिक चीन के सरकारी अख़बार ग्लोबल टाइम्स ने अमेरिका में हुई हिंसा को लेकर एक तंज़ भरा लेख प्रकाशित किया है. ग्लोबल टाइम्स ने चीनी लोगों की सोशल मीडिया पोस्ट्स का हवाला देते हुए लिखा है कि- अमेरिका में जो कुछ हुआ, वो उसके ही कर्मों का फल है और उसका लोकतंत्र का बुलबुला फूट गया होगा. सोशल मीडिया यूज़र्स के पोस्ट को शेयर करते हुए कटाक्ष किया- जब हॉन्गकॉन्ग में विरोध प्रदर्शन हुए थे अमेरिका ने प्रदर्शनकारियों के साहस की प्रशंसा की थी और प्रदर्शनों को 'ख़ूबसूरत नज़ारा' कहा था.
उधर ईरान की सरकारी समाचार एजेंसी इस्लामिक रिपब्लिक न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी ने कैपिटल हिल में हुए दंगों का ज़िक्र करते हुए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर निशाना साधा है. हसन रूहानी ने ट्रंप की ओर इशारा करते हुए कहा, "अमेरिका में जो कुछ हुआ, वो दिखाता है कि कैसे एक लोक-लुभावन नेता अपने देश की गरिमा को नुक़सान पहुंचा सकता है." उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप पर तंज़ करते हुए कहा, "एक ग़लत शख़्स आता है, सत्ता अपने हाथों में लेता है और पूरी दुनिया के साथ अमेरिका के रिश्ते ख़राब कर देता है और साथ ही ख़ुद ही अपनी हार चुन लेता है."रूस ने दी नसीहत, तुर्की ने कहा- कॉमन सेन्स इस्तेमाल करें लोग: रूस की फॉरेन अफेयर्स कमिटी के हेड और अपर हाउस के सांसद कॉन्सटनटीन खुश्चेव ने कहा- ये स्पष्ट है कि अमेरिकी लोकतंत्र लड़खड़ा रहा है और ये होना ही था. ये बस अब नीचे गिरने ही वाला है. मैं ऐसा बिना किसी शक के कह सकता हूं. अमेरिका दुनिया की दिशा तय करने के दावे करता था लेकिन अब वह खुद किस दिशा में जा रहा है किसी को कोई अंदाजा नहीं..@SpeakerPelosi once referred to the Hong Kong riots as "a beautiful sight to behold" — it remains yet to be seen whether she will say the same about the recent developments in Capitol Hill. pic.twitter.com/91iXDzYpcO
— Global Times (@globaltimesnews) January 7, 2021
The #USCapitol raid exposes the fault lines within the American democracy - Russia's FM spokeswoman https://t.co/ZMqJP0qFWK
— RT (@RT_com) January 7, 2021
रूस के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया ज़करोवा ने भी अमेरिका के इलेक्शन सिस्टम की आलोचना की और इस पर सवाल खड़े किये. मारिया ने कहा कि अमेरिका का इलेक्शन सिस्टम अब बेहद पुराना हो गया है और आधुनिक डेमोक्रेसी में इसके जरिए काम करना बेहद मुश्किलों भरा है. इस पूरे विवाद की जड़ में अमेरिकी मीडिया भी है. उधर तुर्की की समाचार वेबसाइट 'हुर्रियत डेली न्यूज़' पर भी अमेरिकी घटनाक्रम से जुड़ी कई ख़बरें हैं. वेबसाइट पर छपी ख़बर के मुताबिक़ तुर्की के विदेश मंत्रालय ने यूएस कैपिटल में हुए फ़साद पर चिंता जताई और सभी पक्षों से 'कॉमन सेंस' का इस्तेमाल करने की अपील की है.
बोरिस जॉनसन ने भी ट्रंप को लताड़ा
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन का कहना है कि अमेरिका में कल हुई हिंसा में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भूमिका भी है. उन्होंने कहा, ''ऐसा लगता है जैसे उन्होंने लोगों को कैपिटल में घुसने के लिए उकसाया है और अब तक लगातार उन्होंने निष्पक्ष चुनावों पर सवाल खड़े किए हैं. मेरा मानना है कि ये सरासर ग़लत है.'' ''मैं बस यही कहूंगा कि मुझे यह जानकर बहुत खुशी हुई है निर्वाचित राष्ट्रपति की जीत पर औपचारिक मुहर लग चुकी है और लोकतंत्र को बचा लिया गया है.''
डोनाल्ड ट्रंप के साथ काम कर चुके दो पूर्व अधिकारियों ने बुधवार को अमेरिकी संसद पर हुई हिंसा के लिए ट्रंप को ज़िम्मेदार ठहराते हुए उनकी निंदा की है. पूर्व रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस ने हिंसा के लिए सीधे-सीधे ट्रंप को दोषी ठहराया है. अपने बयान में उन्होंने कहा, “केपिटल पर आज हुए हिंसक हमले से अमेरिका के लोकतंत्र को भीड़तंत्र में बदलने की कोशिश ट्रंप की वजह से हुई है.” उन्होंने कहा, ''ट्रंप को छद्म राजनीतिक नेताओं ने बढ़ावा दिया है जिनके नाम गुमनामी में रहेंगे और कायरता के लिए जाने जाएंगे.”