चीन ने लगाया अमेरिका पर 200 देशों में 'हैकिंग ऑपरेशन' चलाने का आरोप (NEWS 18)
बीजिंग. अमेरिका की सरकार कई वर्षों से चीन और कुछ अन्य देशों पर साइबर जासूसी को बढ़ावा देने का आरोप लगाती आ रही है. लेकिन अब एक चीनी साइबर सुरक्षा फर्म ने अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (NSA) पर आरोप लगाया है कि एक बड़े हैकिंग टूल के पीछे उसका हाथ है. जिसने भारत के बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, भारतीय विज्ञान अकादमी सहित कई देशों और संस्थानों को निशाना बनाया है. बीजिंग स्थित कियान पांगु लैब (Qi’an Pangu Lab) की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि एक दशक से अधिक समय तक चलने वाले इस हैकिंग टूल से 45 देशों में 287 से अधिक टारगेट्स को शिकार बनाया गया.
ये रिपोर्ट चीन के एक महत्वपूर्ण घरेलू विभाग पर साइबर हमले की जांच के दौरान 2013 में पंगु लैब के शोधकर्ताओं के एक मैलवेयर (malware) की जांच से जुड़ी हुई है. रिपोर्ट के अनुसार शोधकर्ता ये साफ पता नहीं लगा सके कि इस हैकिंग के पीछे कौन था. लेकिन हैकिंग ग्रुप के बारे में डेटा के लीक होने के बाद व्यापक रूप से माना गया कि इसके पीछे अमेरिका के एनएसए का हाथ है. जांच से पता चला है कि हैकिंग के लिए इस्तेमाल किए गए कई तरीके और साइबर अटैक के ऑपरेशन मैनुअल, सीआईए के पूर्व विश्लेषक एडवर्ड स्नोडेन के बताए गए तरीकों के समान हैं.
चीन की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बिना अनुमति के देश की रक्षा से जुड़ी गोपनीय जानकारी को सार्वजनिक करने के तीन मामलों में स्नोडेन के खिलाफ अमेरिकी सरकार की कार्रवाई को देखते हुए, ये कहा जा सकता है कि इसके पीछे वास्तव में अमेरिका की एनएसए है. चीन के शोधकर्ताओं को मिले हैकिंग टूल का जिक्र करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि आमतौर पर माना जाता है कि ये दुनिया का सबसे प्रमुख साइबर अटैक समूह है. जो अमेरिका के एनएसए से जुड़ा है.
रिपोर्ट के अनुसार 10 से अधिक वर्षों तक चले साइबर हमले का शिकार होने वालों की सूची में दुनिया भर के डोमेन नाम शामिल हैं. उदाहरण के लिए जर्मनी, रूस, दक्षिण कोरिया, जापान, स्वीडन, स्पेन, यूनाइटेड किंगडम, इटली और ताइवान के कई संस्थानों के साथ ही चीन को भी इस सूची में शामिल किया गया है. साइबर हमले के शिकार हुए कुछ डोमेन नाम अमेरिका से भी हैं.
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