विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची. (फाइल फोटो)
बीजिंग/नई दिल्ली. आपको 2017 में डोकलाम विवाद (Doklam issue between India and China) तो याद होगा, जिसमें भारत और चीनी सेनाएं आमने-सामने आ गई थीं. सिक्किम (Sikkim) के पास डोकलाम में चीन और भूटान (Bhutan) के बीच सीमा को लेकर विवाद चल रहा था. इस विवाद में भारत भी कूद गया था और डोकलाम को भूटान का हिस्सा बताया था. अब खबर है कि चीन और भूटान ने एक समझौते पर डील कर ली है. जिसके जरिए वो यह विवाद को सुलझाएंगे.
क्या था पूरा विवाद ?
भूटान ने डोकलाम में चीन की ओर से बनाई जा रही सड़क का विरोध किया था. इसके समर्थन में भारत भी खुलकर आ गया था. भूटान और चीन के बीच विवाद की वजह से भारत के साथ भी तनातनी की स्थिति उत्पन्न हो गई थी. डोकलाम ट्राई जंक्शन पर भारत और चीन की सेनाएं 73 दिन आमने-सामने रही थीं. भूटान ने चीन पर उस क्षेत्र में एक सड़क का विस्तार करने का आरोप लगाया था जो उसका एरिया है. डोकलाम को लेकर एक समय तनाव इतना बढ़ गया कि दो परमाणु संपन्न पड़ोसियों के बीच युद्ध की आशंका बढ़ गई थी. भारत-चीन के बीच कई दौर की वार्ता के बाद यह गतिरोध कम हो सका था.
दोनों देश सुलझाएंगे विवाद: भूटान
अब भूटान और चीन ने सीमा विवाद सुलझाने के लिए बातचीत में तेजी लाने के लिए तीन चरण के रोडमैप पर हस्ताक्षर किए हैं. भूटान के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि विदेश मंत्री एल टांडी दोर्जी और चीन के उपविदेश मंत्री ने गुरुवार को सीमा को लेकर बातचीत के लिए तीन चरण वाले रोडमैप को लेकर समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं.
क्या भूटान ने दी थी भारत को समझौते की जानकारी?
न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, अब चीन और भूटान के बीच समझौते को लेकर भारत ने संतुलित प्रतिक्रिया दी है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि भूटान और चीन के बीच सीमा विवाद सुलझाने के लिए साल 1984 से बातचीत चल रही है. भारत भी इसी तरह से चीन के साथ सीमा को लेकर बातचीत कर रहा है. हालांकि बागची ने इस सवाल का जवाब नहीं दिया कि क्या भूटान ने भारत को इस समझौते के संबंध में जानकारी दी थी?
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