चीन लगातार अपनी सैन्य ताकत बढ़ा रहा है . (सांकेतिक तस्वीर)
नई दिल्ली. चीन ने तिब्बत ऑटोनोमस रीजन (Tibet Autonomous Region) में अपनी पकड़ मज़बूत करने के नाम पर ज़बरदस्त इंफ़्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट का काम कर रहा है. सड़कों और हाई स्पीड रेल का जाल बिछा रहा है. चीन ये दावा करता है कि वह तिब्बत के लोगों की बेहतरी के लिए ये सब विकास के काम कर रहा है. लेकिन उसके पीछे की हक़ीक़त ये है कि वो एलएसी पर अपनी सेना की मूवमेंट को कितने कम समय और तेज़ी से कर सके. तिब्बत ऑटोनॉमस के गोलमुड काउंटी से एलएसी तक की हज़ारों किलोमीटर की दूरी को तय करने के लिए अब वो नई रणनीति के तहत काम कर रहा है. ख़ुफ़िया रिपोर्ट के मुताबिक़ पीएलए के WTC ट्रांसपोर्ट रेजिमेंट में अब मेबेलाइजेशन सर्विस स्टेशन शामिल किया गया. अब मोबाइल ट्रांजिट कैम्प या कहें मेबेलाइजेशन सर्विस स्टेशन के चलते लंबी दूरी तय कर रहे हैं.
दरअसल तिब्बत के पठार में एलएसी तक हजारों किलोमीटर की दूरी तय करने वाले सेना के काफिले और उनके ड्राइवर को अब रास्ते में कहीं भी लॉजिस्टिक सपोर्ट मिल सकेगा. इससे पहले अलग-अलग जगह बिखरे हुए सर्विस स्टेशन और चीन स्थायी ट्रांजिट कैंप में कॉनवाय को रेस्ट के लिये रोकता था जो कि काफी दूर दूर पर बने होते थे और उन लोकेशन तक लगातार चलते जाना काफी थका देने वाला होता था और चूंकि लद्दाख में पिछले 18 महीने से चीनी सेना की मूवमेंट बढ़ी है.
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चीन को सता रहा डर
लगातार भारी भरकम हथियारों के साथ अभ्यास के लिए एलएसी के डेप्थ एरिया में आ रहा थे और उसके बाद सैनिकों की तैनाती में इज़ाफ़ा हो रहा था. इन सबको ढो कर ला रहे हैवी वेहिकल के ड्राइवों की हालत ख़स्ता हो रही थी. चीन को इस बात का डर सता रहा था कि अगर कोई हादसा या तकनीकी ख़राबी के चलते अगर मूवमेंट बाधित हुआ तो उसे नुक़सान झेलना पड़ सकता है लिहाजा ऐसी व्यवस्था की गई है कि थका देने वाले सफ़र में ड्राइवरों और सैनिकों को रास्ते में आसानी से खाना , रहना और अन्य ज़रूरी व्यवस्था का इंतजाम किया जाए और इन सबकी ज़िम्मेदारी मेबेलाइजेशन सर्विस स्टेशन के ज़िम्मे है.
ख़ुफ़िया रिपोर्ट के मुताबिक मल्टी डे सपोर्ट मिशन पर निकले चीनी पीएलए के ड्राइवरों को घंटों तक हाई ऑलटेट्यूड एरिया में रोड से सफ़र करना पड़ता है. जानकारों की मानें तो इसके पीछे दो तरह की वजह हो सकती हैं. एक तो ये कि वो अपने मूवमेंट को सुरक्षित तरह से लंबी दूरी तक जारी रखना चाहता है. जिससे कि एलएसी पर तैनात चीनी सैनिकों को लिए राशन, हथियार गोलाबरूद आसानी से पहुंचाया जा सके और दूसरा ये है कि भारतीय सेना के सर्विलांस की नजर में तिब्बत ऑटोनोमस रीजन के सभी गैरेसन, ट्रांज़िट कैंप है और वहां पर होने वाली हर एक गतिविधियां, ट्रूप मूवमेंट और भारी सैन्य साजो सामान से लदे ट्रकों को आसानी से मॉनिटर भी किया जाता है.
लिहाजा मेबेलाइजेशन सर्विस स्टेशन की सुविधा के चलते चीन अपने हैवी व्हिकल स्थायी सर्विस स्टेशनों तक न पहुंचकर पहले ही कहीं रुक सकते हैं जिससे मूवमेंट का पता लगाना आसान नहीं होगा.
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