बीजिंग. चीनी सेना (PLA) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख में सीमा पर गतिरोध (India-China Standoff) और अधिक घटाने के लिए चीन (China) और भारत (India) काम कर रहे हैं. चीन के मुताबिक बातचीत सकारात्मक है और दोनों ही देशों की सेनाएं शांति कायम रखने को लेकर सहमत हैं. उधर शांति के इस राग के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास निचले इलाकों में चीन कई सैन्य कैंप बनाने के काम में जुटा हुआ है. ये वही इलाका है जहां 2017 में डोकलाम गतिरोध हुआ था और अब चीन यहां पहले से ही तैयारी करके बैठा है.
चीन और भारत की थल सेनाओं ने मई की शुरूआत में उपजे सीमा गतिरोध का हल करने के लिए छह नवंबर को कोर कमांडर स्तर की आठवें दौर की बैठक की थी. यह पूछे जाने पर कि अगले दौर की वार्ता कब होगी, चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'चीन और भारत सीमा मुद्दे पर राजनयिक एवं सैन्य माध्यमों से संवाद कर रहे हैं तथा हम सीमा पर गतिरोध और अधिक घटाने के लिए काम कर रहे हैं.' उन्होंने कहा, 'मौजूदा आमसहमति को क्रियान्वित करने के आधार पर, हम आगे की वार्ताओं के लिए विशेष इंतजाम करने को लेकर परामर्श करेंगे.' अधिकारियों ने बताया कि भारतीय थल सेना के करीब 50,000 सैनिक पूर्वी लद्दाख में विभिन्न बफीर्ली चोटियों पर तैनात हैं. वहीं, सीमा पर गतिरोध को दूर करने के लिए दोनों देशों के बीच कई दौर की वार्ता का अब तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है. चीन ने भी समान संख्या में सैनिक तैनात कर रखे हैं.
चीन बना रहा है नई चौकियां
सर्दियां शुरू होने के बाद भी दोनों देशों के सैनिक बर्फीले पहाड़ों पर तैनात हैं. सरकारी सूत्रों के मुताबिक करीब 20 चीनी कैंप निचले इलाकों में LAC के पास देखे गए हैं. इनके आसपास नागरिक गतिविधियां भी देखी गई हैं. सूत्रों के मुताबिक, 'इन कैंप्स की मदद से चीनी सैनिक अपनी सीमा के अंदर बेहतर तरीके से पट्रोलिंग कर पाते हैं. यही नहीं, सीमा पर जैसे हालात बन रहे हैं, उनके मुताबिक प्रतिक्रिया भी तेजी से दे सकते हैं.'
साल 2017 में करीब दो महीने तक चला डोकलाम विवाद तब पैदा हुआ था जब भूटान के इलाके में चीन के निर्माणकार्य करने पर चीन ने आपत्ति जताई थी. उधर लद्दाख में भारतीय खेमे ने चीनी आक्रमकता का मुंहतोड़ जवाब दिया है. करीब 50 हजार भारतीय सैनिक पूर्वी लद्दाख में सब-जीरो स्थिति में भी तैनात हैं. चीन ने भी 60 हजार सैनिक भारी हथियारों, मिसाइलों के साथ तैनात कर रखे हैं. मई के बाद से यहां दो बार सेनाएं आमने-सामने आ चुकी हैं और फिलहाल वार्ताओं का दौर जारी है.
चीन ने की अमेरिका की आलोचना
उधर चीन ने अपने अधिकारियों पर नए प्रतिबंध लगाए जाने तथा ताइवान को हथियारों की और अधिक बिक्री किए जाने के मुद्दे पर मंगलवार को अमेरिका की निन्दा की. विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका की कार्रवाई राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की ओर से अधिक दबाव वाले तौर तरीकों की है जिससे नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन के लिए चीन के साथ संबंधों को सुगम करने में जटिलता उत्पन्न हो सकती है. अमेरिका ने हांगकांग राष्ट्रीय सुरक्षा कानून पारित करने वाली चीन की स्थायी विधायी समिति के 14 सदस्यों पर प्रतिबंध लगा दिया है.
हांगकांग मामलों के चीन के मंत्रिमंडल कार्यालय ने कहा कि वह अमेरिका के इस कदम की निन्दा करता है. इस बीच, चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने अमेरिका से मांग की कि वह ताइवान को हथियारों की नवीनतम बिक्री को रद्द करे. उन्होंने कहा कि चीन इसका 'उचित और आवश्यक जवाब; देगा. अमेरिका के विदेश विभाग ने सोमवार को कहा था कि उसने हांगकांग में नागरिक अधिकारों के हनन को लेकर चीन की स्थायी विधायी समिति के 14 सदस्यों का नाम भी उन चीनी अधिकारियों की सूची में शामिल कर लिया है जो न अमेरिका की यात्रा कर सकते हैं और न ही अमेरिका की वित्तीय प्रणाली तक कोई पहुंच बना सकते हैं.undefined
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FIRST PUBLISHED : December 09, 2020, 11:38 IST