वॉशिंगटन: जलवायु परिवर्तन के मोर्च पर एक बुरी खबर आई है. पूर्वी अंटार्कटिका (Antarctica) में बर्फ का एक विशाल पहाड़ टूटकर अलग हो गया है. अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा (NASA) के मुताबिक, इसका नाम कोंगर आइस शेल्फ (Conger ice shelf) है और इसका साइज 1200 वर्ग किमी है. तुलनात्मक रूप से देखें तो ये राजधानी दिल्ली (Delhi) से थोड़ा ही छोटा है. अमेरिका के लॉस ऐंजलिस और इटली की राजधानी रोम के बराबर है. मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि कोंगर आइस शेल्फ का टूटना अंटार्कटिका में बढ़ती गर्मी का स्पष्ट संकेत है. अगर इसे नहीं रोका गया तो आने वाले समय में इसके दुष्प्रभाव सामने आने लगेंगे.
कोंगर नाम का ये विशाल हिमखंड अंटार्कटिका के पूर्वी इलाके में समुद्र के नजदीक शेकलटन (Shackleton) आइस शेल्फ से जुड़ा हुआ था. कोंगर उस लार्सन बी (Larsen B) आइस शेल्फ का लगभग एक-तिहाई था, जो 2002 में टूट गया था. सैटलाइट तस्वीरों में दिखा कि 15 मार्च को ये पूरी तरह टूटकर अलग हो गया. नासा की साइंटिस्ट डॉ. कैथरीन वॉकर के मुताबिक, कोंगर के टूटने का बहुत बड़ा असर पड़ने की आशंका नहीं है, लेकिन ये उस बात का संकेत है जो भविष्य में होने वाला है.
Complete collapse of East Antarctica’s Conger Ice Shelf (~1200 sq. km) ~March 15, seen in combo of #Landsat and #MODIS imagery. Possible it hit its tipping point following the #Antarctic #AtmosphericRiver and heatwave too? #CongerIceShelf #Antarctica @helenafricker @icy_pete https://t.co/7dP5d6isvd pic.twitter.com/1wzmuOwdQn
— Catherine Colello Walker (@CapComCatWalk) March 24, 2022
क्या होते हैं आइस शेल्फ?
अमेरिका के नैशनल स्नो एंड डाटा सेंटर के मुताबिक, आइस शेल्फ बर्फ की ऐसी तैरती हुई चट्टानें होती हैं, जो जमीन से लगी होती हैं. चूंकि ये समुद्र में ही बहती हैं, ऐसे में इनके टूटने से आमतौर पर समुद्र के जलस्तर में बढ़ोतरी की संभावना नहीं होती. लेकिन इससे इनकार भी नहीं किया जा सकता. आइस शेल्फ बर्फ के पहाड़ों को समुद्र में जाने से रोकने में अहम भूमिका निभाती हैं.
अंटार्कटिका में बढ़ रही गर्मी
द गार्डियन में छपी खबर के मुताबिक, पूर्वी अंटार्कटिका में पिछले कुछ समय से गर्मी में तेजी से इजाफा हो रहा है. पिछले हफ्ते यहां का तापमान माइनस 11.8 डिग्री दर्ज किया गया था, जो आमतौर पर यहां रहने वाले तापमान से 40 डिग्री सेल्सियस ज्यादा है. मौसम वैज्ञानिकों ने पूर्वी अंटार्कटिका में इस गर्मी की वजह बताते हुए कहा है कि अंटार्कटिका में बर्फ के पहाड़ों के नीचे वायुमंडलीय नदी (atmospheric river) का बहाव देखा जा रहा है. यह एक तरह से गर्म हवा की नदी होती है, जो बहुत दूर तक बहती है. ये जहां-जहां से गुजरती है, वहां का तापमान बढ़ा देती है.
ऐसे ही बढ़ी गर्मी तो दिखेगा गंभीर असर
वैसे पूरे अंटार्कटिका के तापमान में बढ़ोतरी देखी जा रही है. अंटार्कटिका में गर्मी का मौसम खत्म होते ही पारा तेजी से गिरने लगता है. लेकिन इस बार यहां काफी गर्मी है. ड्यूमोंट स्टेशन ने मार्च में 4.9 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया है, जबकि इस वक्त यहां पारा जीरो से नीचे रहता है. लगातार बढ़ रही गर्मी का असर ये हुआ है कि अंटार्कटिका में बर्फ से ढका हिस्सा तेजी से कम हो रहा है. वैज्ञानिक बताते हैं कि धरती का औसत तापमान 19वीं सदी में 1 डिग्री सेल्सियस बढ़ चुका है और इसकी वजह जलवायु परिवर्तन है. अगर ये इसी रफ्तार से बढ़ता रहा तो दुनिया के वायुमंडल में जबरदस्त बदलाव देखने को मिलेंगे. सूखा, गर्मी और तूफानों की संख्या बढ़ जाएगी. ग्लेशियर पिघलने से समुद्र का जलस्तर बढ़ेगा और कई शहरों के डूबने का खतरा पैदा हो जाएगा.
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Tags: Antarctica, Climate Change