सांकेतिक तस्वीर. फाइल फोटो
बेरूत. भयानक आर्थिक संकट का सामना कर रहे लेबनान (Lebanon) पर शिक्षा के क्षेत्र में भी तबाही का जोखिम मंडरा रहा है. एक मानवीय संगठन की रिपोर्ट में संभावना जताई गई है कि कई बच्चे हो सकता है कि अब कभी भी स्कूल न लौट पाएं. गुरुवार को प्रकाशित हुई रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी की शुरुआत से ही 12 लाख से ज्यादा बच्चे स्कूल से बाहर हो गए थे. कोरोना वायरस की वजह से दुनियाभर के कई देशों में शिक्षा व्यवस्था खासी प्रभावित हुई है.
अल जजीरा के मुताबिक, बीते डेढ़ साल में महामारी की वजह से सामाजिक-आर्थिक असमानता बढ़ी है. इसमें आधे से ज्यादा लेबनानी परिवार गरीबी में रह रहे हैं. वहीं, कई अन्य समुदायों के हालात और भी ज्यादा बदतर हैं. फिलिस्तीनि शरणार्थियों के मामले में यह आकड़ा 70 फीसदी और सीरियाई में 90 प्रतिशत है. गरीबी की वजह से परिवारों को शिक्षा से संबंधित चीजें खरीदने में परेशानियों का सामना कर पड़ रहा है.
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गरीबी के चलते परिवारों की स्मार्टफोन और इंटरनेट कनेक्टिविटी खरीदने की क्षमता प्रभावित हुई है. इससे बच्चों पर शिक्षा की ओर वापस लौटने का खतरा मंडरा रहा है. कई परिवार ऐसे हैं, जो कमाई के लिए बच्चों पर निर्भर रहने के लिए मजबूर हैं. सेव द चिल्ड्रन का कहना है कि सवाल यह नहीं है कि लेबनान के कई बच्चे स्कूल कब लौटेंगे. सवाल यह है कि वे स्कूल में लौट भी पाएंगे या नहीं.
सेव द चिल्ड्रन के लेबनान निदेशक जेनिफर मूरहेड बताती हैं ‘लेबनान में हजारों बच्चों की शिक्षा एक धागे के सहारे लटक रही है.’ उन्होंने कहा ‘हो सकता है कि बड़ी संख्या में बच्चे क्लासरूम में वापस ही न लौट सकें. क्योंकि वे पहले ही काफी पढ़ाई छोड़ चुके हैं या उनके परिवार बच्चों को वापस स्कूल भेजने में सक्षम नहीं हैं.’ मूरहेड ने इस बात पर जोर दिया क्योंकि मिडिल ईस्ट के औसत देशों के मुकाबले लेबनान में पहले ही साक्षरता दर कम है. ऐसे में यह बाल श्रम, बाल विवाह औऱ दूसरी तरह के शोषण को बढ़ाने का कारण बनेगा.
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