Covid-19 Update: चीन में कोरोना वैक्सीन की अप्रूवल से पहले ही कालाबाजारी शुरू

भोपाल में दो महीने तक कोरोना वैक्सीन का ट्रायल चलेगा. (कॉन्सेप्ट इमेज)
कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) बनाने का दावा करने वाले चीन (China) में दवा का अप्रूवल होना अभी बाकी है. जुलाई में आपातकालीन मंजूरी हासिल करने वाली वैक्सीन कंपनी ने अब सरकार से बाजार में टीका बेचने की इजाजत मांगी है, लेकिन इससे पहले ही इसकी कालाबाजारी शुरू होने की चिंता बढ़ गई है. अभी यह टीका केवल फ्रंट लाइन वर्कर्स को दिया जा रहा है.
- News18Hindi
- Last Updated: December 2, 2020, 5:24 PM IST
वाशिंगटन. कोरोना का कहर अभी भी दुनिया में बरकार है. पूरे विश्व में कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी को खत्म करने के लिए वैक्सीन पर काम चल रहा है. विश्व के अलग-अलग देश अपने यहां बनी वैक्सीन की सफलता की घोषणा भी कर चुके हैं. लेकिन चीन में कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) के अप्रूवल से पहले ही इसकी कालाबाजारी शुरू हो चुकी है. अमेरिकी ट्रिप पर जाने से पहले चेंग कोविड-19 का टीका लगवाना चाहते हैं. ऐसा करने के लिए उन्होंने दक्षिणपूर्व चीन स्थित कोल्ड चेन लॉजिस्टिक्स में काम करने वाले दोस्त से कहा कि उन्हें कंपनी का कर्मचारी बताकर वैक्सीन दिलवा दे. बीजिंग के कारोबारी अब गुआंडोंग प्रांत जाना चाहते हैं और सिनोफार्म की एक ईकाई में उत्पादित किए जा रहे वैक्सीन के दो डोज के लिए 91 डॉलर (करीब 6700 रुपए) खर्च करने को तैयार हैं.
चीन में इन दिनों कोरोना वैक्सीन के लिए इसी तरह होड़ मची हुई है. जुलाई में आपातकालीन मंजूरी हासिल करने वाली वैक्सीन कंपनी ने अब सरकार से बाजार में टीका बेचने की इजाजत मांगी है, लेकिन इससे पहले ही इसकी कालाबाजारी शुरू होने की चिंता बढ़ गई है. अभी यह टीका केवल फ्रंट लाइन वर्कर्स को दिया जा रहा है. इनमें स्वास्थ्यकर्मी, कोविड-19 मरीजों की देखभाल में जुटे लोग और पोर्ट कर्मचारी शामिल हैं. ब्लूमबर्ग ने करीब एकदर्जन ऐसे लोगों से बात की जिन्होंने खुद नियमों का उल्लंघन करके टीका लगवाया है या वे ऐसे लोगों को जानते हैं, जिन्होंने मंजूरी से पहले टीका लिया है. वे अपनी पहचान गोपनीय रखना चाहते हैं या फिर पहला नाम ही बताते हैं, ताकि वे अपने अनुभव के बारे में खुलकर बात कर सकें. पश्चिमी देशों की अग्रणी कंपनियों के उलट चाइनीज वैक्सीन उत्पादकों ने अभी तक फेज 3 ट्रायल का डेटा जारी नहीं किया है. इसलिए यह कहना कठिन है कि उनका टीका कितना सफल है. लेकिन लोग टीका लगवाने को बेचैन हैं. खासकर ऐसे लोग जो देश से बाहर जाना चाहते हैं. कोरोना का संक्रमण चीन से ही फैला था लेकिन वहां काफी हद तक इसे काबू में किया जा चुका है.
ये भी पढ़ें: आखिर मान गए ट्रंप, कहा- अगर जो बाइडन जीते तो छोड़ दूंगा व्हाइट हाउसलंदन बेस्ड ट्रांसपेरेन्सी इंटरनेशनल हेल्थ इनीशिटिव के डायरेक्टर रशेल कूपर ने कहा, ''इस बात की काफी संभावना है कि वैक्सीन पहले उन्हें मिल जाए जिनके संपर्क अच्छे हैं. उन्होंने कहा, ''महामारी से पहले लोग अक्सर स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए घूस देते थे या व्यक्तिगत संबंधों का इस्तेमाल करते थे.'' रेग्युलेटर से अंतिम मंजूरी मिलने से पहले ही चीन में इमर्जेंसी प्रोग्राम के तहत हजारों लोगों को टीका लगाया जा चुका है. इसकी वजह से कई वैज्ञानिक सुरक्षा संबंधी जोखिम को लेकर चिंतित हैं. दो कोविड वैक्सीन को डिवेलप कर रही और सिनोफार्म की सहयोगी कंपनी चाइना नेशनल बायोटेक ग्रुप ने कहा है कि इसका टीका अंतिम चरण ट्रायल में है. अर्जेंटीना से एजिप्ट तक 50 हजार लोगों को इसमें शामिल किया गया है और अभी तक गंभीर साइड इफेक्ट की कोई शिकायत नहीं मिली है.
चीन में इन दिनों कोरोना वैक्सीन के लिए इसी तरह होड़ मची हुई है. जुलाई में आपातकालीन मंजूरी हासिल करने वाली वैक्सीन कंपनी ने अब सरकार से बाजार में टीका बेचने की इजाजत मांगी है, लेकिन इससे पहले ही इसकी कालाबाजारी शुरू होने की चिंता बढ़ गई है. अभी यह टीका केवल फ्रंट लाइन वर्कर्स को दिया जा रहा है. इनमें स्वास्थ्यकर्मी, कोविड-19 मरीजों की देखभाल में जुटे लोग और पोर्ट कर्मचारी शामिल हैं. ब्लूमबर्ग ने करीब एकदर्जन ऐसे लोगों से बात की जिन्होंने खुद नियमों का उल्लंघन करके टीका लगवाया है या वे ऐसे लोगों को जानते हैं, जिन्होंने मंजूरी से पहले टीका लिया है. वे अपनी पहचान गोपनीय रखना चाहते हैं या फिर पहला नाम ही बताते हैं, ताकि वे अपने अनुभव के बारे में खुलकर बात कर सकें. पश्चिमी देशों की अग्रणी कंपनियों के उलट चाइनीज वैक्सीन उत्पादकों ने अभी तक फेज 3 ट्रायल का डेटा जारी नहीं किया है. इसलिए यह कहना कठिन है कि उनका टीका कितना सफल है. लेकिन लोग टीका लगवाने को बेचैन हैं. खासकर ऐसे लोग जो देश से बाहर जाना चाहते हैं. कोरोना का संक्रमण चीन से ही फैला था लेकिन वहां काफी हद तक इसे काबू में किया जा चुका है.
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