कोलंबो: आर्थिक संकट के कारण श्रीलंका (Economic Crisis in Sri Lanka) में खाद्य पदार्थों की कमी और महंगाई अपने चरम पर है. इस बीच पीएम रानिल विक्रमसिंघे ने चेताया है कि देश में वार्षिक महंगाई दर 40 फीसदी के ऊपर जा सकती है. यह हालात ऐसे वक्त पैदा हो रहे हैं जब श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार गिर रहा है और तेल व अन्य जरूरी सामानों के निर्यात के लिए रुपए नहीं है.
हाल के दिनों में श्रीलंका में आर्थिक संकट को लेकर भारी विरोध-प्रदर्शन हुए. जनता के दबाव के चलते प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे को इस्तीफा देना पड़ा. इसके बाद राष्ट्रपति गोटाबाया ने रानिल विक्रमसिंघे को देश का नया पीएम बनाया. हालांकि रानिल विक्रमसिंघे अब तक अपनी कैबिनेट में वित्त मंत्री को नियुक्त नहीं किया है. हालांकि विक्रमसिंघे ने कहा कि वे बुधवार को नए वित्त मंत्री को नियुक्त करेंगे.
पीएम रानिल विक्रमसिंघे ने कहा कि, देश में जारी आर्थिक संकट से निपटने के लिए सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर पर होने वाले खर्च में कटौती करेगा. 6 सप्ताह के अंदर अंतरिम बजट पेश किया जाएगा और अर्थव्यवस्था को राहत देने के लिए 2 वर्षीय कार्यक्रम की योजना तैयार की जाएगी.
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उन्होंने कहा कि, अंतरिम बजट में ना सिर्फ खर्चों में कटौती की जाएगी बल्कि जनता के कल्याण के लिए क्या जरूरी है वहां इस राशि को ट्रांसफर किया जाएगा. श्रीलंका ने अपने सबसे बड़े कर्जदार चीन से फर्टिलाइजर और दवाओं की मांग की है. वहीं संकट की इस घड़ी में भारत ने मानवीय आधार पर कूकिंग गैस, बड़ी मात्रा में तेल और जरूरी दवाओं समेत अरबों का डॉलर की मदद श्रीलंका को भेजी है.
इस 33 बिलियन डॉलर की आर्थिक सहायता में 40 हजार मेट्रिक टन डीजल, चावल, मिल्क पाउडर और दवाएं शामिल हैं. वहीं 40 हजार मेट्रिक टन पेट्रोल और 4 लाख टन कूकिंग गैस भारत से श्रीलंका पहुंची है.
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