नई दिल्ली. प्लेनेट ऑफ दि एप्स में जब प्रयोगशाला में आरंगुटान (Orangutan) पर तरह-तरह के प्रयोग किए जाते हैं तो उसका प्रतिरोध करके एक चिंपाजी अपनी सेना खड़ा कर लेता है और मानव जाति के खिलाफ युद्ध छेड़ देता है. हालांकि वह एक फिल्म थी, लेकिन हकीकत इससे जुदा नहीं है. हमने लगातार अलग-अलग तरीकों से वन्यजीवों का शोषण करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है. जानवरों पर बढ़ते अत्याचार और प्रताड़ना के मामलों को गंभीरता से लेते हुए दक्षिण अमेरिकी इक्वाडोर ने एक अनोखी पहल की है. यह दुनिया का पहला देश है जिसने वन्यजीवों को कानूनी अधिकार देने का फैसला लिया है. यह फैसला देश के सर्वोच्च न्यायालय ने एक बंदर एस्ट्रेलिटा के मामले की सुनवाई के दौरान सुनाया.
इस बंदर को तब जंगल से लाया गया था जब वह एक महीने की थी और उसे पालूत बनाकर रखा गया. बाद में उसे 2019 में चिड़ियाघर में भेज दिया गया था, क्योंकि देश में जंगली जानवरों को पालतू बनाना गैरकानूनी था. 18 साल तक लाइब्रेरियन एना बीयाट्रिज बरबेनो प्रोआनो के घर रहने के बाद जब उसे चिड़ियाघर ला जाया गया, तो वहां पर उसकी एक महीने के अंदर ही मौत हो गई. इस घटना से विचलित होकर प्रोआनो ने अदालत में हीबियस कार्पस ( किसी को उसकी मर्जी के बगैर कैद करना) के मामले के तहत बंदर के अधिकारों के उल्लघंन का मामला दर्ज कराया. अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि वन्य प्रजातियों और दूसरे जीवों को उनकी मर्जी के बगैर पकड़ना, उनका शिकार करना, बंदी बनाकर रखना, तस्करी करना, उनका व्यापार नहीं करने का किसी को अधिकार नहीं है.
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इससे पहले एक मामले में एक व्यक्ति को अमेरिका में अलग-अलग सरीसृपों की 1700 प्रजातियों के साथ पकड़ा गया था. इनमें से 60 अलग तरह की प्रजातियां उसने अपने कपड़ो में, दर्जनों छिपकलियां अपनी जैकेट की जेब में और सांपों को अपनी अपनी पैंट की जेब में छिपा कर रखा हुआ था. इस शख्स को अमेरिकी कस्टम अधिकारियों ने सेन सिड्रो से पकड़ा था. जो अमेरिका में सैन डिएगो और मैक्सिको के बीच सबसे बड़ी सीमा है.
वन्यजीवों की तस्करी और जानवरों के साथ खराब बर्ताव के बीच इस तरह का फैसला वन्यजीवों के लिए बहुत बड़ी राहत की बात होगी. क्योंकि इससे पहले यह साफ नहीं था कि क्या जानवर प्रकृति के अधिकारों से लाभान्वित हो सकते हैं और प्रकृति के हिस्से के रूप में उनके अधिकारों को मान्यता दी जा सकती है. लेकिन इस फैसले के बाद यह साफ हो गया है कि प्रत्येक जीव को अपनी पसंद की जिंदगी को चुनने का वैसा ही अधिकार है, जैसे किसी इंसान को होता है. इससे छोटे और कम महत्व के जीवों को भी लाभ मिल सकेगा.
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