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फुकुशिमा न्यूक्लियर प्लांट में हुए हादसे को लेकर बड़ा जुर्माना, पूर्व मालिकों को 93 अरब डॉलर देने का आदेश

फुकुशिमा परमाणु ऊर्जा संयत्र के पूर्व मालिक आपदा को रोकने में विफल हुए थे (Image- Twitter @@ajplus)

फुकुशिमा परमाणु ऊर्जा संयत्र के पूर्व मालिक आपदा को रोकने में विफल हुए थे (Image- Twitter @@ajplus)

Fukushima Nuclear Power Plant: फुकुशिमा न्यूक्लियर पावर प्लांट के पूर्व मालिकों को 2001 में आई सुनामी के दौरान आपदा रोक ...अधिक पढ़ें

हाइलाइट्स

2011 की मंदी के दौरान शेयरधारकों ने मुकदमा किया था
सुनामाी और भूंकप की वजह से बर्बाद हुआ था न्यूक्लियर प्लांट

टोक्यो: फुकुशिमा परमाणु ऊर्जा संयंत्र के पूर्व मालिकों को एक आपदा को रोकने में विफल रहने के चलते 13 ट्रिलियन येन (93,68,45,00,000 डॉलर) देने का आदेश दिया गया है. टोक्यो इलेक्ट्रिक पॉवर कंपनी (Tepco) के मालिकों पर 2011 की मंदी के दौरान (जो सुनामी की वजह से हुई थी) शेयरधारकों ने मुकदमा किया था. अदालत ने इस मामले पर फैसला सुनाते हुए कहा कि अगर अधिकारियों ने सावधानी बरती होती तो इस हादसे को रोका जा सकता था.

टेप्को ने माफी तो मांगी लेकिन अदालत के मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. अपने बयान में उन्होंने कहा कि टेप्को होल्डिंग्स के फुकुशिमा दाइची परमाणु ऊर्जा स्टेशन में हुई दुर्घटना की वजह से स्थानीय निवासियों और समाज को बड़े पैमाने पर जो परेशानी हो रही है, उसे लेकर हम गहरी चिंता जताते हुए गंभीरतापूर्वक माफी मांगते हैं. जब अदालत ने फैसला सुनाया उस दौरान वादी अदालत के बाहर एकत्र हो गए. उनके हाथों में बैनर थे, जिस पर लिखा हुआ था, हितग्राहियों की जीत, जिम्मेदारों की पहचान हुई.
उनके वकील ने कहा कि जापान में सिविल मामले में यह अब तक का सबसे बड़ा मुआवजा है जो अदालत ने घोषित किया है.

13 ट्रिलियन येन चुकाना बूते के बाहर

उन्होंने स्वीकार किया कि 13 ट्रिलियन येन चुकाना पूर्व मालिकों के बूते के बाहर की बात है लेकिन हितग्राहियों को उम्मीद है कि जितनी उनकी संपत्ति अनुमति देती है उतना वह भुगतान करेंगे. एक हितग्राही ने कहा कि परमाणु उर्जा संयंत्र में एक दुर्घटना से इंसानी जिंदगी और पर्यावरण को जो नुकसान होता है उसकी कभी भरपाई नहीं की जा सकती है. ऐसे में कंपनी को संचालित करने वाले अधिकारियों की बड़ी जिम्मेदारी होती है.

सुनामी के दौरान हुआ था भारी नुकसान

11 मार्च 2011 को जापान में भूंकप आया जिसकी वजह से विनाशकारी सुनामी लहरें उठी थी. इन लहरों की चपेट में फुकुशिमा परमाणु ऊर्जा संयंत्र के आने से उसे भारी नुकसान पहुंचा था. इस दौरान संयंत्र से विकिरण का रिसाव हुआ जिसके चलते आस-पास के इलाकों को खाली करवाना पड़ा था. 1986 में युक्रेन के चर्नोबिल में हादसे के बाद से यह सबसे बड़ी घटना थी. लेकिन ऐसा माना गया था कि इससे स्थानीय लोगों को कम नुकसान हुआ था क्योंकि इससे जो रेडियोएक्टिव आयोडीन निकले थे वह कम असर वाले थे. इस हादसे में किसी की मौत नहीं हुई थी, लेकिन रेडिएशन से लंबे वक्त तक शरीर पर पड़ने वाला असर हमेशा ही एक विवाद का विषय रहा है.

अदालत ने कहा, दुर्घटना के मालिक जिम्मेदार

टेप्को के शेयरधारकों का तर्क था कि इस आपदा को रोका जा सकता था, अगर मालिकों ने शोध को सुना होता और ज़मीन पर एक ऊंचाई पर एक आपातकालीन शक्ति स्रोत को रखने जैसे उपाय किए होते. अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि परमाणु संयंत्र के संचालकों का नई वैज्ञानिक और विशेषज्ञ इंजीनियरिंग जानकारी के आधार पर गंभीर दुर्घटनाओं को रोकने का दायित्व होता है.

अधिकारी विश्वसनीय चेतावनियों पर ध्यान देने में विफल रहे हैं. शेयरधारकों ने 2012 में सिविल मामला दर्ज किया था. वादी के वकीलों ने एक बयान में कहा कि मामला फुकिशिमा परमाणु दुर्घटना की वजहों से जुड़े सबूतों की सबसे व्यापक जांच पर आधारित था.

Tags: Japan, Nuclear Energy

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