गर्म मौसम संबंधी कारणों से 2 दशक में बुजुर्गों की मौत में 54 फीसदी इजाफा

गर्म मौसम के कारण हुई मौत.
द लांसेट काउंटडाउन रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन और इंसानों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर को लेकर शोध प्रकाशित किया जाता है.
- News18Hindi
- Last Updated: December 3, 2020, 3:11 PM IST
नई दिल्ली. एक ओर जहां कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus) दुनिया में कहर ढा रही है. वहीं दूसरी ओर जलवायु परिवर्तन भी दिनों दिन घातक होता जा रहा है. हाल ही में आई एक ताजा रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दुनिया भर में पिछले 2 दशकों में गर्म मौसम (Heat) के कारण उत्पन्न परेशानियों से बुजुर्गों की मौत (Elderly deaths) में करीब 54 फीसदी इजाफा हुआ है. यह दावा लांसेट काउंटडाउन रिपोर्ट में किया गया है.
द लांसेट काउंटडाउन रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन और इंसानों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर को लेकर शोध प्रकाशित किया जाता है. इस वार्षिक रिपोर्ट में स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन के बीच 40 मानकों पर शोध होता है. इस साल की रिपोर्ट को अब तक की सबसे चिंताजनक रिपोर्ट कहा जा रहा है.
गर्म मौसम संबंधी कारणों से दुनिया भर में 2018 में ही 2.96 लाख लोगों की मौत हुई है. 2018 में ही कोयले के जलने से निकले पीएम 2.5 प्रदूषक तत्वों के कारण 50 हजार मौतें हुईं. यह काफी चिंताजनक स्थिति है क्योंकि भारत जैसे देशों में अकेले प्रदूषण संबंधी परेशानियों से ही करीब 5 लाख लोगों की मौत सालाना हो जाती है. इंडस्ट्री, घर और पावर प्लांट में कोयले के जलाने के कारण ही इनमें से करीब 1 लाख लोगों की मौत हो जाती है.
गर्मी और सूखे की घटनाएं भी दुनिया भर में अधिकांश जगह बढ़ रही हैं. इससे जंगलों में आग लगने, लोगों के जलने और धुएं से फेफड़ खराब होने से लोगों की मौत हो रही है. रिपोर्ट तैयार करने वाले शोधकर्ताओं का कहना है कि कोविड 19 महामारी जलवायु परिवर्तन को लेकर महत्वपूर्ण बदलाव लाने वाली साबित हो सकती है.
द लांसेट काउंटडाउन रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन और इंसानों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर को लेकर शोध प्रकाशित किया जाता है. इस वार्षिक रिपोर्ट में स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन के बीच 40 मानकों पर शोध होता है. इस साल की रिपोर्ट को अब तक की सबसे चिंताजनक रिपोर्ट कहा जा रहा है.
गर्म मौसम संबंधी कारणों से दुनिया भर में 2018 में ही 2.96 लाख लोगों की मौत हुई है. 2018 में ही कोयले के जलने से निकले पीएम 2.5 प्रदूषक तत्वों के कारण 50 हजार मौतें हुईं. यह काफी चिंताजनक स्थिति है क्योंकि भारत जैसे देशों में अकेले प्रदूषण संबंधी परेशानियों से ही करीब 5 लाख लोगों की मौत सालाना हो जाती है. इंडस्ट्री, घर और पावर प्लांट में कोयले के जलाने के कारण ही इनमें से करीब 1 लाख लोगों की मौत हो जाती है.