रूस से S-400 एंटी मिसाइल सिस्टम खरीदना भारत को पड़ेगा महंगा, US लगा सकता है प्रतिबंध

भारत पर प्रतिबंध लगा सकता है अमेरिका.
India-Russia S-400 deal: रूस से S-400 मिसाइल सिस्टम खरीदने के लिए अमेरिका भारत पर प्रतिबंध लगा सकता है. अमेरिकी कांग्रेस की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत-रूस का ये हथियार समझौता अमेरका के हितों में नहीं है.
- News18Hindi
- Last Updated: January 5, 2021, 11:28 AM IST
वाशिंगटन. अमेरिकी कांग्रेस (US) से जुड़ी एक रिपोर्ट में चेतावनी दी गयी है कि रूस (Russia) निर्मित एस-400 वायु रक्षा प्रणाली (S-400 missile system) खरीदने के लिए अरबों डॉलर के भारत के सौदे को लेकर अमेरिका उस पर पाबंदियां लगा सकता है. यही मिसाइल सिस्टम खरीदने के लिए अमेरिका और अन्य यूरोपीय देश तुर्की पर भी कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगा चुके हैं. अमेरिकी कांग्रेस का मानना है कि उनके दुश्मन देश के साथ किसी देश का अरबों डॉलर का समझौता उनके हितों के खिलाफ है.
अमेरिकी (संसद) कांग्रेस के स्वतंत्र एवं द्विदलीय शोध निकाय ‘कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस’ (सीआरएस) ने कांग्रेस को सौंपी अपनी नवीनतम रिपोर्ट में कहा कि भारत 'और प्रौद्योगिकी साझा करने और सह निर्माण पहल के लिए इच्छुक है जबकि अमेरिका भारत की रक्षा ‘ऑफसेट’ नीति में और सुधार एवं रक्षा के क्षेत्र में उच्च प्रत्यक्ष विदेशी निवेश सीमा की अपील करता है.' यह रिपोर्ट कांग्रेस के सदस्यों के वास्ते सुविचारित निर्णय लेने के लिए तैयार की गयी है. उसमें चेतावनी दी गयी है कि 'रूस निर्मित एस-400 वायु रक्षा प्रणाली खरीदने के भारत के अरबों डॉलर के सौदे के कारण अमेरिका ‘काउंटरिंग अमेरिकाज एडवरसरीज थ्रू सैंक्संस एक्ट’ (पाबंदियों के द्वारा दुश्मनों का मुकाबला करने संबंधित कानून) के तहत भारत पर पाबंदियां लगा सकता है.'
ट्रंप प्रशासन ने भी दी थी चेतावनी
बता दें कि सीआरएस रिपोर्ट अमेरिकी कांग्रेस की आधिकारिक रिपोर्ट नहीं होती और न ही वे सांसदों के विचार की झलक पेश करती हैं. वे स्वतंत्र विशेषज्ञों द्वारा सांसदों के लिए तैयार की जाती है ताकि वे सारी बातें समझने के बाद सोच-समझकर निर्णय लें. अक्टूबर, 2018 में, भारत ने ट्रंप प्रशासन की चेतावनी के बाद भी चार एस-400 खरीदने के लिए रूस के साथ पांच अरब डॉलर का सौदा किया था. ट्रंप प्रशासन ने चेतावनी दी कि ऐसा करने से भारत पर अमेरिकी पाबंदियां लग सकती है. भारत ने इस मिसाइल प्रणाली के लिए रूस को 2019 में 80 करोड डॉलर की पहली किश्त का भुगतान किया.
एस-400 रूस की सबसे उन्नत लंबी दूरी तक सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल के रूप में जानी जाती है. पिछले महीने रूस ने कहा था कि अमेरिकी पाबंदियों की धमकी के बावजूद एस-400 मिसाइल प्रणाली की पहले खेप की आपूर्ति समेत वर्तमान रक्षा सौदों को अमलीजामा पहनाया जा रहा है. पिछले महीने नयी दिल्ली में रूसी राजदूत निकोलाय कुदाशेव ढाई अरब डॉलर सौदे के तहत एस-400 मिसाइल प्रणाली की खरीद को लेकर तुर्की पर अमेरिकी पाबंदियों की आलोचना करते प्रतीत हुए थे और उन्होंने कहा था कि रूस ऐसी एकतरफा कार्रवाइयों को मान्यता नहीं देता.
अमेरिकी (संसद) कांग्रेस के स्वतंत्र एवं द्विदलीय शोध निकाय ‘कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस’ (सीआरएस) ने कांग्रेस को सौंपी अपनी नवीनतम रिपोर्ट में कहा कि भारत 'और प्रौद्योगिकी साझा करने और सह निर्माण पहल के लिए इच्छुक है जबकि अमेरिका भारत की रक्षा ‘ऑफसेट’ नीति में और सुधार एवं रक्षा के क्षेत्र में उच्च प्रत्यक्ष विदेशी निवेश सीमा की अपील करता है.' यह रिपोर्ट कांग्रेस के सदस्यों के वास्ते सुविचारित निर्णय लेने के लिए तैयार की गयी है. उसमें चेतावनी दी गयी है कि 'रूस निर्मित एस-400 वायु रक्षा प्रणाली खरीदने के भारत के अरबों डॉलर के सौदे के कारण अमेरिका ‘काउंटरिंग अमेरिकाज एडवरसरीज थ्रू सैंक्संस एक्ट’ (पाबंदियों के द्वारा दुश्मनों का मुकाबला करने संबंधित कानून) के तहत भारत पर पाबंदियां लगा सकता है.'
ट्रंप प्रशासन ने भी दी थी चेतावनी
बता दें कि सीआरएस रिपोर्ट अमेरिकी कांग्रेस की आधिकारिक रिपोर्ट नहीं होती और न ही वे सांसदों के विचार की झलक पेश करती हैं. वे स्वतंत्र विशेषज्ञों द्वारा सांसदों के लिए तैयार की जाती है ताकि वे सारी बातें समझने के बाद सोच-समझकर निर्णय लें. अक्टूबर, 2018 में, भारत ने ट्रंप प्रशासन की चेतावनी के बाद भी चार एस-400 खरीदने के लिए रूस के साथ पांच अरब डॉलर का सौदा किया था. ट्रंप प्रशासन ने चेतावनी दी कि ऐसा करने से भारत पर अमेरिकी पाबंदियां लग सकती है. भारत ने इस मिसाइल प्रणाली के लिए रूस को 2019 में 80 करोड डॉलर की पहली किश्त का भुगतान किया.
एस-400 रूस की सबसे उन्नत लंबी दूरी तक सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल के रूप में जानी जाती है. पिछले महीने रूस ने कहा था कि अमेरिकी पाबंदियों की धमकी के बावजूद एस-400 मिसाइल प्रणाली की पहले खेप की आपूर्ति समेत वर्तमान रक्षा सौदों को अमलीजामा पहनाया जा रहा है. पिछले महीने नयी दिल्ली में रूसी राजदूत निकोलाय कुदाशेव ढाई अरब डॉलर सौदे के तहत एस-400 मिसाइल प्रणाली की खरीद को लेकर तुर्की पर अमेरिकी पाबंदियों की आलोचना करते प्रतीत हुए थे और उन्होंने कहा था कि रूस ऐसी एकतरफा कार्रवाइयों को मान्यता नहीं देता.