दो साल के कार्यकाल के बाद गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की अध्यक्षता समाप्त हो गई. (Photo: Twitter/@ruchirakamboj)
न्यूयॉर्क: दो साल के कार्यकाल के बाद गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की अध्यक्षता समाप्त हो गई. इस मौके पर संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा, ‘हम यूएनएससी में अपने कार्यकाल के दौरान मानवता के आम दुश्मन, आतंकवाद के खिलाफ अपनी आवाज उठाने से नहीं हिचकिचाए. हमने शांति, सुरक्षा और समृद्धि के समर्थन में बात की. हम सचेत थे कि जब हमने सुरक्षा परिषद में बात की, तो हम 1.4 बिलियन भारतीयों या 1/6 मानवता की ओर से बोल रहे थे. समुद्री सुरक्षा सबसे अच्छा उदाहरण था, जहां कुछ समय पहले तक सुरक्षा परिषद केवल समुद्री डकैती के मुद्दे पर केंद्रित थी. जबकि समुद्री सुरक्षा में बड़े मुद्दों के साथ-साथ एक बड़ा सैन्य-योगदान करने वाले देश भी शामिल हैं.’
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यूएनएससी में सुधारों की आवश्यकता पर बोलते हुए, रुचिरा कंबोज ने कहा, ‘हम इस तथ्य से पूरी तरह अवगत थे कि सुरक्षा परिषद में सुधार समय की आवश्यकता है. यह दृढ़ विश्वास हमारे कार्यकाल के बाद ही मजबूत हुआ है. जैसा कि इस कार्यकाल के लिए अपनी अध्यक्षता समाप्त कर हम सुरक्षा परिषद से बाहर निकल रहे हैं, हम आश्वस्त हैं कि परिवर्तन के प्रति प्रतिरोध जितना अधिक होगा, इस निकाय के निर्णयों की प्रासंगिकता और विश्वसनीयता खोने का खतरा भी उतना ही अधिक होगा.’ भारत की UNSC की गैर-स्थायी सदस्यता 31 दिसंबर को समाप्त हो रही है. संयुक्त राष्ट्र में आयरलैंड, केन्या, मैक्सिको और नॉर्वे के राजनयिकों ने भी समापन सत्र को संबोधित किया, क्योंकि ये देश भी 2 साल के कार्यकाल के बाद UNSC से बाहर हो जाएंगे.
यूएन में भारत की स्थायी प्रतिनिधि कंबोज ने कहा, ‘मैं सुरक्षा परिषद की ओर से, पांच निवर्तमान सदस्यों भारत, आयरलैंड, केन्या, मैक्सिको और नॉर्वे की ईमानदारी से प्रशंसा करना चाहूंगी. मैं सुरक्षा परिषद में उनके कार्यकाल के दौरान उनकी कड़ी मेहनत और योगदान की सराहना करती हूं.’ यूएनएससी में भारत के उद्देश्य पर, उन्होंने कहा कि जब नई दिल्ली ने 2 साल पहले परिषद में प्रवेश किया था, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सितंबर 2020 में कहा था कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने की अपनी प्रतिष्ठा और अनुभव का उपयोग पूरी दुनिया के लाभ के लिए करेगा. इसी के अनुरूप हमने पिछले दो वर्षों के दौरान, शांति, सुरक्षा और समृद्धि के समर्थन में बात की. हम आतंकवाद जैसे मानवता के साझे दुश्मनों के खिलाफ आवाज उठाने से नहीं हिचकिचाए.
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विकासशील दुनिया के लिए विशेष महत्व के मुद्दों पर प्रकाश डालते हुए, रुचिरा कंबोज ने कहा कि भारत ने बहुपक्षवाद, कानून के शासन और एक निष्पक्ष और न्यायसंगत अंतरराष्ट्रीय प्रणाली के बुनियादी सिद्धांतों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया और मजबूत किया. भारतीय दूत ने कहा, ‘ऐसे उदाहरण थे जब हमें अकेले खड़े होना पड़ा, लेकिन उन उदाहरणों में विकल्प यह था कि हम उन सिद्धांतों को छोड़ दें जिनमें हम वास्तव में विश्वास करते हैं, जहां हमारे बीच वास्तविक मतभेद थे, जिसमें हमारे साथी भी शामिल थे जो आज मेरे साथ मंच पर मौजूद हैं. जलवायु परिवर्तन से निपटने में सुरक्षा परिषद की भूमिका को लेकर हमारा विरोध सिद्धांतों पर आधारित था. हमने उन मुद्दों पर भी ध्यान देने की कोशिश की जिन्हें हम अत्यधिक महत्वपूर्ण मानते हैं, लेकिन जिन पर सुरक्षा परिषद ने पर्याप्त ध्यान दिया उन मुद्दों पर भी हम साथ रहे.’
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