अमेरिकी कांग्रेस में बोलीं भारतीय कॉलमनिस्ट-भारत और कश्मीर एक दूसरे के बिना अधूरे
News18Hindi Updated: November 15, 2019, 12:22 PM IST

भारतीय कॉलमनिस्ट सुनंदा वशिष्ट ने दुनिया को बताया कश्मीर भारत का अभिन्न अंग.
सुनंदा वशिष्ठ ( Sunanda Vashisht) ने कहा कि भारत (India) ने कश्मीर (Kashmir) पर किसी भी तरह का कब्जा नहीं किया है. कश्मीर हमेशा से भारत का अभिन्न अंग रहा है. उन्होंने कहा, भारत सिर्फ 70 साल पुरानी पहचान नहीं है बल्कि 5000 साल पुरानी सभ्यता है.
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- Last Updated: November 15, 2019, 12:22 PM IST
वॉशिंगटन. जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) से आर्टिकल 370 (Article 370) हटाए जाने के बाद से दुनिया भर में इस मुद्दे को लेकर चर्चा जोरों पर है. अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन में अमेरिकी कांग्रेस (US Congress) में मानवाधिकार को लेकर हुई सुनवाई के दौरान भारतीय कॉलमनिस्ट सुनंदा वशिष्ठ (Sunanda Vashisht) ने कहा कि भारत ने जिस तरह से पंजाब और पूर्वोत्तर में उग्रवाद को पूरी तरह से खत्म करने में सफलता हासिल की है, वैसे ही अब समय आ गया है कि कश्मीर से भी उग्रवाद को जड़ से खत्म कर दिया जाए. कश्मीर में उग्रवाद के खिलाफ भारत के संघर्ष को मजबूत करने का समय आ चुका है. पाकिस्तान की ओर से प्रशिक्षित किए गए आतंकवादी कश्मीर में उस समय से पनप रहे हैं जब पश्चिमी देशों का कट्टरपंथी इस्लामिक आतंकवाद से परिचय भी नहीं हुआ था. सुनंदा वशिष्ठ ने कहा कि आतंक के खिलाफ भारत जिस तरह से जंग लड़ रहा है उससे राज्य में मानवाधिकार की समस्या भी हल हो जाएगी.
'उग्रवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई को और मजबूत किया जाए'
सुनंदा वशिष्ठ ने टॉम लैन्टोस एचआर कमीशन की ओर से आयोजित सुनवाई में कहा, 'भारत की लोकतांत्रिक साख बेजोड़ है. भारत ने लोकतांत्रिक नियमों का पालन करते हुए पंजाब और पूर्वोत्तर के राज्यों से उग्रवाद का सफलतापूर्वक अंत किया है. अब समय आ गया है कि उग्रवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई को और मजबूत किया जाए. अगर इस वक्त भारत का साथ दिया गया तो मानवाधिकार की समस्या हमेशा के लिए हल हो जाएगी.' इसी साल 5 अगस्त को भारत सरकार की ओर से जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा छीन लेने और उसे दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांट दिए जाने के बाद कड़ी पाबंदी लगाई गई हैं. कश्मीर में लगाई गई पाबंदी के बाद से यह दूसरी सुनवाई चल रही है.
कश्मीर के बिना भारत अधूरासुनंदा वशिष्ठ ने कहा कि भारत ने कश्मीर पर किसी भी तरह का कब्जा नहीं किया है. कश्मीर हमेशा से भारत का अभिन्न अंग रहा है. उन्होंने कहा, 'भारत सिर्फ 70 साल पुरानी पहचान नहीं है बल्कि 5000 साल पुरानी सभ्यता है. कश्मीर के बिना भारत अधूरा है और भारत के बिना कश्मीर नहीं है. मुझे खुशी है कि आज इस मामले पर सुनवाई हो रही है, क्योंकि जिस वक्त मेरे परिवार और मेरे जैसे काफी लोगों ने अपना घर-बार सब खो दिया था, आजीविका तक खत्म हो गई थी, उस वक्त सारी दुनिया शांत बैठी थी.' इस सुनवाई में ज्यादातर डेमोक्रेट मौजूद थे, जो भारत सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा हटाए जाने और दो केंद्रशासित प्रदेश बनाए जाने के आलोचक थे.
वैश्विक नेताओं की चुप्पी पर उठाए सवाल
सुनंदा वशिष्ठ ने वैश्विक नेताओं की चुप्पी पर सवाल खड़े करते हुए कहा, 'जब 90 के दशक में पाकिस्तान-समर्थक आतंकवादियों ने कश्मीरी हिंदुओं को निशाना बनाना शुरू किया था और 4 लाख हिंदुओं को घाटी से खदेड़ दिया गया था, उस वक्त मानवाधिकारों के वकील कहां थे. जब मेरे अधिकार छीन लिए गए थे, उस वक्त मानवता के रक्षकों ने क्यों आवाज नहीं उठाई. सभी मौतें पाकिस्तान द्वारा प्रशिक्षित किए गए आतंकवादियों की वजह से हो रही थीं. कश्मीर में दोहरे मापदंडों से भारत को किसी भी तरह से मदद नहीं मिल पा रही है.'यह भी पढ़ें :
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'उग्रवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई को और मजबूत किया जाए'
सुनंदा वशिष्ठ ने टॉम लैन्टोस एचआर कमीशन की ओर से आयोजित सुनवाई में कहा, 'भारत की लोकतांत्रिक साख बेजोड़ है. भारत ने लोकतांत्रिक नियमों का पालन करते हुए पंजाब और पूर्वोत्तर के राज्यों से उग्रवाद का सफलतापूर्वक अंत किया है. अब समय आ गया है कि उग्रवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई को और मजबूत किया जाए. अगर इस वक्त भारत का साथ दिया गया तो मानवाधिकार की समस्या हमेशा के लिए हल हो जाएगी.' इसी साल 5 अगस्त को भारत सरकार की ओर से जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा छीन लेने और उसे दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांट दिए जाने के बाद कड़ी पाबंदी लगाई गई हैं. कश्मीर में लगाई गई पाबंदी के बाद से यह दूसरी सुनवाई चल रही है.
कश्मीर के बिना भारत अधूरासुनंदा वशिष्ठ ने कहा कि भारत ने कश्मीर पर किसी भी तरह का कब्जा नहीं किया है. कश्मीर हमेशा से भारत का अभिन्न अंग रहा है. उन्होंने कहा, 'भारत सिर्फ 70 साल पुरानी पहचान नहीं है बल्कि 5000 साल पुरानी सभ्यता है. कश्मीर के बिना भारत अधूरा है और भारत के बिना कश्मीर नहीं है. मुझे खुशी है कि आज इस मामले पर सुनवाई हो रही है, क्योंकि जिस वक्त मेरे परिवार और मेरे जैसे काफी लोगों ने अपना घर-बार सब खो दिया था, आजीविका तक खत्म हो गई थी, उस वक्त सारी दुनिया शांत बैठी थी.' इस सुनवाई में ज्यादातर डेमोक्रेट मौजूद थे, जो भारत सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा हटाए जाने और दो केंद्रशासित प्रदेश बनाए जाने के आलोचक थे.
वैश्विक नेताओं की चुप्पी पर उठाए सवाल
सुनंदा वशिष्ठ ने वैश्विक नेताओं की चुप्पी पर सवाल खड़े करते हुए कहा, 'जब 90 के दशक में पाकिस्तान-समर्थक आतंकवादियों ने कश्मीरी हिंदुओं को निशाना बनाना शुरू किया था और 4 लाख हिंदुओं को घाटी से खदेड़ दिया गया था, उस वक्त मानवाधिकारों के वकील कहां थे. जब मेरे अधिकार छीन लिए गए थे, उस वक्त मानवता के रक्षकों ने क्यों आवाज नहीं उठाई. सभी मौतें पाकिस्तान द्वारा प्रशिक्षित किए गए आतंकवादियों की वजह से हो रही थीं. कश्मीर में दोहरे मापदंडों से भारत को किसी भी तरह से मदद नहीं मिल पा रही है.'
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First published: November 15, 2019, 12:03 PM IST
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