वॉशिंगटन. कोरोना वायरस (Coronavirus) को बेहतर समझने के लिए कई देशों में रिसर्च जारी है. ब्रिस्टल विश्वविद्यालय के एरोसोल रिसर्च सेंटर के एक ताजा स्टडी से पता चला है कि कोरोना वायरस सांस छोड़ने के बाद हवा में 20 मिनट से ज्यादा देर तक रहने के बाद संक्रमित करने की अपनी ज्यादातर क्षमता खो देता है. खासकर लंबी दूरी पर इसके संक्रमण के फैलने की संभावना काफी कम होती है.
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, रिसर्चर्स ने पाया कि कोरोना वायरस हवा में आने के 20 मिनट बाद अपनी संक्रमण क्षमता का 90% खो देता है. हवा में पहुंचने के पहले पांच मिनट में यह अपनी अधिकांश क्षमता खो देता है. सांस छोड़ने के बाद वायरस कैसे व्यवहार करता है, इस पर चल रहे अध्ययन में यह बातें सामने आईं.
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इस अध्ययन के परिणाम, जिनका अभी पीयर-रिव्यू नहीं हुआ है, इस धारणा को पुष्ट करते हैं कि वायरस मुख्य रूप से कम दूरी पर फैलता है. लिहाजा संक्रमण को रोकने के सामाजिक दूरी और मास्क पहनना बेहतर है.
यूके में शोधकर्ताओं ने इस शोध के लिए कोरोना वायरस के पहले तीन वेरिएंट्स पर ध्यान केंद्रित किया, जिसमें सबसे ताजा ओमिक्रॉन वेरिएंट शामिल नहीं था, लेकिन उन्होंने कहा कि वे अन्य वेरिएंट के अलग तरह से व्यवहार करने की उम्मीद नहीं करते हैं.
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अध्ययन में पाया गया कि जहां ह्यूमिडिटी का स्तर 50% से कम होता है, जैसे कि कार्यालयों में पाई जाने वाली शुष्क हवा, ऐसी जगह पर वायरस पांच सेकंड के भीतर फैलने की अपनी क्षमता का आधा हिस्सा खो देता है. वहीं जब ह्यूमिडिटी लेवल 90% तक बढ़ जाता है, जैसे कि शॉवर रूम में, तब वायरस धीरे-धीरे अपनी संक्रामकता खोता है. इस दौरान आधे से ज्यादा कण पहले पांच मिनट के बाद भी संक्रामक पाए गए.
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