देश ही नहीं दुनियाभर के लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर कोरोना का असर पड़ा है. कॉन्सेप्ट इमेज.
जेनेवा. 15 से 19 साल युवाओं में मौत का चौथा सबसे बड़ा कारण आत्महत्या है. दुनियाभर में हर साल 7 लाख से ज्यादा लोग आत्महत्या (Suicide) करते हैं. इसमें से 77 फीसदी मामले निम्न और मध्यम आय वाले देशों से सामने आते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) कहता है, ज्यादातर लोग कीटनाशक पीकर, फांसी लगाकर और खुद को गोली मारकर सुसाइड करते हैं. ऐसे मामलों को कंट्रोल किया जा सकता है. आज वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे पर विश्व स्वास्थ्य संगठन और सीनियर कंसल्टेंट सायकियाट्रिस्ट डॉ. संतोष बांगड़ ने बताया कि कैसे आत्महत्या के मामलों को रोका जा सकता है.
WHO के मुताबिक, आत्महत्या के बड़े कारणों में डिप्रेशन और अल्कोहल का इस्तेमाल करना है. आर्थिक तंगी, रिलेशनिशप का टूटना और बीमारियां की इसकी वजह बन सकती हैं. सुसाइड के 3 कारण हैं. मेंटल हेल्थ- डिप्रेशन, बाइपोलर डिसऑर्डर, सीजोफ्रेनिया, ऑटिज्म, पर्सनैलिटी डिसऑर्डर, परिवार में पहले कभी किसी ने सुसाइड किया गया हो. सोशल- नौकरी चली आना, रिलेशनशिप, तलाक, दूसरों द्वारा परेशान किया जाना, किसी अपने के खोने का गम. फिजिकल हेल्थ- लम्बे समय क शरीर में दर्द होना, कैंसर और ब्रेन इंजरी.
कैसे रोक सकते हैं आत्महत्या के मामलों को
मुम्बई के ग्लोबल हॉस्पिटल में सीनियर कंसल्टेंट सायकियाट्रिस्ट डॉ. संतोष बांगड़ कहते हैं, आत्महत्या के मामलों को कुछ हद तक रोका जा सकता है. आत्महत्या करने से पहले कुछ लोगों में खास तरह के लक्षणों को समझकर उसे रोक सकते हैं. जैसे- वो घंटों किसी समस्या के बारे में सोचते रहते हैं, आत्महत्या करने की बात करते हैं या आत्महत्या करने के तरीके खोजते हैं. ये खुद को दूसरों पर बोझ समझने लगते हैं या दर्द/बीमारी से पीछा छुड़ाने के छुड़ाने के लिए आत्महत्या करने की बात करते हैं. इसके अलावा जल्द से जल्द वसीयत तैयार कराना, गुडबॉय मैसेज लिखना, हमेशा डिप्रेशन में रहने लगना, फोन न उठाना, खुद को सबसे अलग करना चेतावनी देने वाले लक्षण हैं.
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क्या करें अगर दिखें ऐसे लक्षण
अगर आपके इर्द-गिर्द किसी में ऐसे लक्षण दिखते हैं तो उसे अनदेखा न करें. उनसे बात करें. उनकी बात को समझने की कोशिश करें. उनकी समस्या को सुनने के बाद कोई समाधान ढूंढें. इससे उन लोगों का ध्यान बंटता है और आत्महत्या का खतरा घटता है. WHO कहता है, आत्महत्या के मामलों को रोकने के लिए कीटनाशक, बंदूक और कुछ खास दवाओं को सबकी पहुंच से रोकने की जरूरत है. शुरुआती लक्षणों से इसे जल्द से पता लगाने के साथ लोगों के बिहेवियर को समझकर भी ऐसे मामले रोके जा सकते हैं.
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