न्यूयॉर्क. दिमाग के ठीक तरह से काम करने में नींद की बड़ी भूमिका है. एक रिसर्च में नई बात सामने आई है कि एक आम इंसान रैपिड आई मूवमेंट (REM) वाली नींद से अपनी भावनात्मक यादों को मजबूत कर सकता है. यह नतीजे हाल ही में किए गए उन शोधों को मजबूती देता है, जिनके अनुसार नींद दिमाग की न्यूरोनल एक्टिविटी को शांत रखती है.
यह रिसर्च शुरुआती स्तर पर चूहों पर हुई है. वैज्ञानिक इसके परिणामों से इंसान की नींद को समझने का प्रयास कर रहे हैं.
रैपिड आई मूवमेंट के दौरान दिमाग में संदेश मिलता जरूर है, लेकिन न्यूरॉन्स उसे आगे नहीं बढ़ाते हैं. रिसर्च में यह सामने आया, REM तरीके से सोते हुए दिमाग में मौजूद न्यूरॉन्स दिमाग के एक हिस्से तक संदेश पहुंचाते जरूर हैं, लेकिन वह संदेश न्यूरॉन के ही दूसरे हिस्से तक नहीं जाता है.
REM स्लीप हमारी नींद का एक चरण है जो सोने से तकरीबन 90 मिनट बाद शुरू होता है. हमें इसी दौरान सपने आते हैं. इस समय हमारी मांसपेशियां पूरी तरह रिलैक्स हो जाती हैं. इससे ऐसा लगता है मानो हमें लकवा मार गया हो.
REM स्लीप के दौरान दिमाग के न्यूरॉन्स रहते हैं शांत
दिमाग में प्रीफ्रंटल कोर्टेक्स वह हिस्सा है, जहां ज्यादातर भावनात्मक प्रक्रियाएं होती हैं. रिसर्च में कहा गया, रैपिड आई मूवमेंट के साथ सोने पर दिमाग के पिरामिडल न्यूरॉन्स अजीब तरह से शांत रहते हैं. वैज्ञानिक पहले इस बात पर भरोसा नहीं कर पाते थे कि आखिर मस्तिष्क का कोई हिस्सा नींद के दौरान हमारी भावनाओं को कैसे कंट्रोल करेगा, क्योंकि तब तो यह सक्रिय नहीं रहता है.
हालांकि, अब रिसर्च में दिखा कि एक सोते और जागते हुए दिमाग में यही अंतर है. मौन और REM से नींद लेने पर शरीर के पूरे सिस्टम को रीसेट किया जा सकता है. मतलब, अच्छी नींद से सही और गलत को परखने की समझ बेहतर होती है.
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