हाउस ऑफ कॉमन के सांसदों और उनके साथियों के लिए एक साल का 6 सैट्स परीक्षा का आयोजन किया गया था. इस परीक्षा में देशभर के 10 साल के बच्चों की तुलना में औसतन कम परिणाम प्राप्त किए गए हैं. (सांकेतिक इमेज)
लंदन. लंदन के वेस्टमिंस्टर (Westminster) का महल हाउस ऑफ कॉमन्स और हाउस ऑफ लॉर्ड्स , यूनाइटेड किंगडम की संसद में दो सदन हैं. सदन के सांसदों और उनके साथियों के लिए एक साल का 6 सैट्स परीक्षा का आयोजन किया गया था. इस परीक्षा में देशभर के 10 साल के बच्चों की तुलना में औसतन कम परिणाम प्राप्त किए गए हैं.
‘द गार्जियन’ की रिपोर्ट के मुताबिक इस परीक्षा में सांसदों के साथ-साथ कॉमन्स एजुकेशन सेलेक्ट कमेटी के अध्यक्ष रॉबिन वॉकर (Robin Walker) सहित सांसदों (MPs) ने ‘मोर देन ए स्कोर’ की ओर से 11 साल के बच्चों की निगरानी में आयोजित वेस्टमिंस्टर कार्यक्रम में परीक्षाओं में हिस्सा लिया है.
परीक्षा में वेस्टमिंस्टर क्लास 2022 कहे जाने वाले सांसदों के क्रॉस-पार्टी समूह के केवल 44% ने ही गणित में अपेक्षित मानक हासिल किये हैं और केवल 50% ने ही वर्तनी, विराम चिह्न और व्याकरण में अपेक्षित मानक हासिल किया है.
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देश भर में पिछली बार 2019 में भी परीक्षाएं ली गईं थीं. लेकिन इस बार 10 और 11 साल की उम्र के 59% छात्रों ने गणित सैट्स, पढ़ने और लिखने के टेस्टों में अपेक्षित स्तर तक पहुँच प्राप्त की है. यह 2019 की तुलना में 65% से कम है. शिक्षा विभाग द्वारा गर्मियों में प्रकाशित विस्तृत आंकड़ों से पता चलता है कि वंचित बच्चों में बेहतर छात्रों की तुलना में अधिक गिरावट आई है.
कमेटी के अध्यक्ष रॉबिन वॉकर ने परीक्षाओं की बड़े स्तर पर अनुभव करने के लिए अपने रूढ़िवादी साथियों फ्लिक ड्रमंड और गगन मोहिंद्रा के साथ-साथ ग्रीन पार्टी की लेडी बेनेट, लेबर सांसद इयान बर्न और एम्मा लेवेल-बक के साथ बिग सैट्स सिट-इन वेस्टमिंस्टर में भाग लिया. ‘मोर देन ए स्कोर’ ने उम्मीद जताई है कि राजनेता उच्च दबाव वाले अनुभव को अपने साथ लेकर जाएंगे. वो महसूस करेंगे कि उस उम्र में ‘परीक्षा केवल स्कूलों को जज करती है, बच्चों की लर्निंग में मदद नहीं करती है.
बायरन ने कहा ने कहा कि परीक्षा बहुत भयानक थी. इन छोटे बच्चों के दिमाग पर इस तरह के दबाव का बड़ा प्रभाव होगा. इस स्तर के सैट्स को खत्म कर देना चाहिए. मुझे खुशी है कि इतने सारे क्रॉस-पार्टी सहयोगी भी इस तरह के परीक्षा सैट्स के दबाव का अनुभव कर सकते हैं.
इस बीच देखा जाए तो सलेक्ट कमेटी के नए चेयरमैन वॉकर ने 10 से 11 साल के बच्चों की परीक्षा में सुधार की जरूरत को स्वीकार किया है. लेकिन परीक्षा को पूरी तरह से वापस लेने से इनकार कर दिया है. इस दौरान यह महसूस किया कि टेस्टिंग के लिए हमेशा एक जगह होगी लेकिन यह सबसे अधिक अवसर तक पहुंचने के लिए सब कुछ नहीं हो सकता है. अंततः, यह केवल टेस्टिंग के बारे में नहीं है बल्कि यह इस बारे में होनी चाहिए कि हम उनके पढ़ने के प्यार को कैसे विकसित करते हैं.
ड्रमंड की ओर से इस परीक्षा को लेकर कुछ कमेंट्स किए गए हैं. इन कमेंट्स का स्वागत किया गया है. इसमें व्याकरण परीक्षा में प्रयोग की गई बहुत सी शब्दावली को अनावश्यक बताया गया है. उन्होंने कहा कि हमारे पास आकलन (एसेसमेंट) होना चाहिए, लेकिन हाई प्रेशर वाला नहीं होना चाहिए जिसमें छह माह या उससे ज्यादा बर्बाद हो जाते हैं. उन्होंने अपने अनुभव शेयर करते हुए कहा कि यह काफी कठिन परीक्षा थी और हमें यह स्वीकार करने की जरूरत है कि वास्तव में भविष्य के लिए क्या उपयोगी होगा. उन्होंने यह भी कहा कि हम युवाओं को टेस्ट पास करने के लिए शिक्षित नहीं कर रहे हैं. उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि हमें उन्हें सीखने का प्यार यानी ‘लव ऑफ लर्निंग’ देनी चाहिए.
इस तरह की परीक्षा को लेकर एक कैंपेन भी चलाया गया है. इस YouGov पोल में पाया गया कि 8 फीसदी माता-पिता और मुख्याध्यापक इस बात से सहमत थे कि कक्षा में सैट और अन्य परीक्षाओं की तैयारी उनकी प्राथमिकताओं में सबसे नीचे होना चाहिए. यह भी पाया गया कि 60 फीसदी माता-पिता ने महसूस किया कि इस तरह की परीक्षाओं के प्रेशर के चलते बच्चों को मानसिक स्वास्थ्य का नुकसान पहुंचता है.
मोर देन ए स्कोर के एलिसन अली ने कहा कि “यह गणित और अंग्रेजी क्षमताओं की परीक्षा से अधिक है, यह सांसदों के लिए खुद को 10 और 11 साल के बच्चों के स्थान पर रखने का एक अवसर है. इसके जरिए वह देखेंगे इनमें से कितने सवाल तो बेतुके हैं जिनका बच्चे सामना करते हैं. यह भी देखेंगे कि किस तरह से पूरे पाठ्यक्रम को बेहिसाब प्रभावित करते हैं और संकीर्ण करते हैं. इन सब का उपयोग सिर्फ स्कूलों को आंकने भर के लिए किया जाता है. इससे बच्चों की लर्निंग में कोई मदद नहीं मिलती है.
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