मिलिए पाकिस्तान की उस लड़की से जिसने 'सरफ़रोशी की तमन्ना' के नारे लगा कर मचाया तहलका
News18Hindi Updated: November 29, 2019, 1:37 PM IST

लाहौर में नारेबाज़ी
पाकिस्तान (Pakistan) में स्टूडेंट यूनियन ने सरकार के खिलाफ आंदोलन छेड़ रखा है. ये सब वहां फीस बढ़ोतरी, घपलेबाज़ी, उत्पीड़न और कैंपस में गिरफ्तारी के खिलाफ आवाज़ें उठा रहे हैं.
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- Last Updated: November 29, 2019, 1:37 PM IST
(उदयसिंह राणा)
लाहौर. आपको याद होगा पिछले दिनों पाकिस्तान (Pakistan) में लेदर जैकेट पहनी एक स्टूडेंट (Leather Jacket Girl) का वीडियो खासा वायरल हुआ था. ये वीडियो था फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की याद में लाहौर में लगने वाले सालाना मेले का. यहां एक महिला स्टूडेंट राम प्रसाद बिस्मिल की नज़्म 'सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है' के नारे लगा रही थी. ये महिला है लाहौर में पंजाब यूनिवर्सिटी की स्टूडेंट आरज़ू औरंगज़ेब. इस वीडियो को लोग सोशल मीडिया पर अब तक करोड़ों बार देख चुके हैं.
बता दें कि पाकिस्तान में कोई स्टूडेंट यूनियन नहीं है. इन दिनों पाकिस्तान में स्टूडेंट यूनियन ने सरकार के खिलाफ आंदोलन छेड़ रखा है. आने वाले दिनों में यहां के करीब 50 शहरों में स्टूडेंट्स मार्च निकालने वाले हैं. ये सब वहां फीस बढ़ोतरी, घपलेबाज़ी, उत्पीड़न और कैंपस में गिरफ्तारी के खिलाफ आवाज़ें उठा रहे हैं.
न्यूज़ 18 ने आरज़ू औरंगज़ेब से बातचीत कर ये पता लगाने की कोशिश की आखिर पाकिस्तान में स्टूडेंट के क्या हालात हैं.देखिए वीडियो:
वीडियो से बढ़ा हौसला
आरज़ू औरंगज़ेब ने कहा कि उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं था कि उनका ये नारा इस तरह वायरल हो जाएगा. औरंगज़ेब ने कहा कि उन्हें इस बात की खुशी है कि इसके जरिए उनकी आवाज़ सुनी जाएगी. उन्होंने कहा, 'मैंने अपने उस वीडियो को डाउनलोड नहीं किया है. क्योंकि मेरे फोन में फेसबुक और ट्विटर के लिए कोई स्पेस नहीं है.'
आरज़ू औरंगज़ेब ने कहा, 'एक महिला होने के नाते वीडियो में इस तरह दिखाई देना दक्षिण एशियाई समाज में बहुत अच्छा नहीं माना जाता. इसलिए मैं फैज़ फेस्टिवल से पहले ऐसे नारे लगाने से बच रही थी. लेकिन जब ये वीडियो वायरल हुआ, तो हमने इसका इस्तेमाल छात्र एकजुटता मार्च के लिए इस्तेमाल करना शुरू कर दिया. व्यक्तिगत रूप से जब मैं वीडियो देखती हूं, तो मुझे इसमें एकजुटता नजर आती है. जब मैं उन नारों को उठा रहा हूं, तब भी आवाज सिर्फ मेरी नहीं है. मेरे साथ कई और लोग साथ दे रहे हैं.'
हमारी आवाज़ सुनने वाला कोई नहीं
आरज़ू ने ये भी कहा कि पाकिस्तान में किसी भी मुद्दे पर खुलकर बोलने की आज़ादी नहीं है. यहां लगातार महिलाओं का उत्पीड़न हो रहा है लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है. आरज़ू के मुताबिक पाकिस्तान में ऐसा कोई प्लेटफॉर्म नहीं है जिसके जरिए कोई स्टूडेंट अपनी आवाज़ रख सके.
हर मोर्चे पर परेशानी
आरज़ू ने ये भी आरोप लगाया कि पाकिस्तान में अब यूनिवर्सिटी पैसा कमाने के धंधे में लग गई हैं. यहां बेतहाशा फीस बढ़ाई जा रही है. हमें अच्छी शिक्षा की जरूरत है. आरज़ू ने कहा 'मूलभूत समस्या ये है कि हमें उन मुद्दों के बारे में भी बात करने की अनुमति नहीं है जिसका हम कैंपस में सामना करते हैं. शिक्षा का लगातार निजीकरण किया जा रहा है. ट्यूशन और हॉस्टल फीस हमारे देश के इतिहास में कभी भी इतना ज्यादा नहीं रही है. महिलाओं को लगातार साथियों और प्रशासन द्वारा परेशान किया जाता है. शिक्षा की गुणवत्ता दिन-प्रतिदिन कम होती जा रही है, लेकिन ऐसा कोई तंत्र नहीं है जिसके साथ छात्र अपनी आवाज़ उठा सकें और बढ़ते संकटों का समाधान पा सकें. हमें किसी भी निर्णय लेने वाली गतिविधि में प्रतिनिधित्व नहीं दिया जाता है.
'हमें अच्छी शिक्षा चाहिए'
आरज़ू ने भी आरोप लगाया कि शिक्षा को नजरअंदाज किया जा रहा है. उन्होंने कहा 'विश्वविद्यालय अब नए विचारों के केंद्र नहीं हैं, बल्कि इन संस्थानों ने पैसे कमाने का धंधा बना लिया है. यही कारण है कि फीस बढ़ोतरी एक सामान्य पहलू है जिसे आप इन सभी संदर्भों में देखेंगे. संघर्ष मूल रूप से, छात्रों से सार्वजनिक शिक्षा को फिर से प्राप्त करने और समाज के हर वर्ग के लिए इसे सुलभ बनाने के लिए एक लड़ाई है. हम बस एक ऐसे जीवन को जी रहे हैं, जिसे हम जीना नहीं चाहते. हम शिक्षा की गुणवत्ता चाहते हैं जिसके हम हकदार हैं, हम इसे हर किसी के लिए चाहते हैं.'
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लाहौर. आपको याद होगा पिछले दिनों पाकिस्तान (Pakistan) में लेदर जैकेट पहनी एक स्टूडेंट (Leather Jacket Girl) का वीडियो खासा वायरल हुआ था. ये वीडियो था फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की याद में लाहौर में लगने वाले सालाना मेले का. यहां एक महिला स्टूडेंट राम प्रसाद बिस्मिल की नज़्म 'सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है' के नारे लगा रही थी. ये महिला है लाहौर में पंजाब यूनिवर्सिटी की स्टूडेंट आरज़ू औरंगज़ेब. इस वीडियो को लोग सोशल मीडिया पर अब तक करोड़ों बार देख चुके हैं.
बता दें कि पाकिस्तान में कोई स्टूडेंट यूनियन नहीं है. इन दिनों पाकिस्तान में स्टूडेंट यूनियन ने सरकार के खिलाफ आंदोलन छेड़ रखा है. आने वाले दिनों में यहां के करीब 50 शहरों में स्टूडेंट्स मार्च निकालने वाले हैं. ये सब वहां फीस बढ़ोतरी, घपलेबाज़ी, उत्पीड़न और कैंपस में गिरफ्तारी के खिलाफ आवाज़ें उठा रहे हैं.
न्यूज़ 18 ने आरज़ू औरंगज़ेब से बातचीत कर ये पता लगाने की कोशिश की आखिर पाकिस्तान में स्टूडेंट के क्या हालात हैं.देखिए वीडियो:
sarfaroshi kī tamanna ab hamare dil mein hai
dekhna hai zor kitnā baazu-e-qatil mein hai #Lahore #faizfestival2019 pic.twitter.com/zGdL8uU11WLoading...
— Shiraz Hassan (@ShirazHassan) November 17, 2019
वीडियो से बढ़ा हौसला
आरज़ू औरंगज़ेब ने कहा कि उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं था कि उनका ये नारा इस तरह वायरल हो जाएगा. औरंगज़ेब ने कहा कि उन्हें इस बात की खुशी है कि इसके जरिए उनकी आवाज़ सुनी जाएगी. उन्होंने कहा, 'मैंने अपने उस वीडियो को डाउनलोड नहीं किया है. क्योंकि मेरे फोन में फेसबुक और ट्विटर के लिए कोई स्पेस नहीं है.'
आरज़ू औरंगज़ेब ने कहा, 'एक महिला होने के नाते वीडियो में इस तरह दिखाई देना दक्षिण एशियाई समाज में बहुत अच्छा नहीं माना जाता. इसलिए मैं फैज़ फेस्टिवल से पहले ऐसे नारे लगाने से बच रही थी. लेकिन जब ये वीडियो वायरल हुआ, तो हमने इसका इस्तेमाल छात्र एकजुटता मार्च के लिए इस्तेमाल करना शुरू कर दिया. व्यक्तिगत रूप से जब मैं वीडियो देखती हूं, तो मुझे इसमें एकजुटता नजर आती है. जब मैं उन नारों को उठा रहा हूं, तब भी आवाज सिर्फ मेरी नहीं है. मेरे साथ कई और लोग साथ दे रहे हैं.'
हमारी आवाज़ सुनने वाला कोई नहीं
आरज़ू ने ये भी कहा कि पाकिस्तान में किसी भी मुद्दे पर खुलकर बोलने की आज़ादी नहीं है. यहां लगातार महिलाओं का उत्पीड़न हो रहा है लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है. आरज़ू के मुताबिक पाकिस्तान में ऐसा कोई प्लेटफॉर्म नहीं है जिसके जरिए कोई स्टूडेंट अपनी आवाज़ रख सके.
हर मोर्चे पर परेशानी
आरज़ू ने ये भी आरोप लगाया कि पाकिस्तान में अब यूनिवर्सिटी पैसा कमाने के धंधे में लग गई हैं. यहां बेतहाशा फीस बढ़ाई जा रही है. हमें अच्छी शिक्षा की जरूरत है. आरज़ू ने कहा 'मूलभूत समस्या ये है कि हमें उन मुद्दों के बारे में भी बात करने की अनुमति नहीं है जिसका हम कैंपस में सामना करते हैं. शिक्षा का लगातार निजीकरण किया जा रहा है. ट्यूशन और हॉस्टल फीस हमारे देश के इतिहास में कभी भी इतना ज्यादा नहीं रही है. महिलाओं को लगातार साथियों और प्रशासन द्वारा परेशान किया जाता है. शिक्षा की गुणवत्ता दिन-प्रतिदिन कम होती जा रही है, लेकिन ऐसा कोई तंत्र नहीं है जिसके साथ छात्र अपनी आवाज़ उठा सकें और बढ़ते संकटों का समाधान पा सकें. हमें किसी भी निर्णय लेने वाली गतिविधि में प्रतिनिधित्व नहीं दिया जाता है.
'हमें अच्छी शिक्षा चाहिए'
आरज़ू ने भी आरोप लगाया कि शिक्षा को नजरअंदाज किया जा रहा है. उन्होंने कहा 'विश्वविद्यालय अब नए विचारों के केंद्र नहीं हैं, बल्कि इन संस्थानों ने पैसे कमाने का धंधा बना लिया है. यही कारण है कि फीस बढ़ोतरी एक सामान्य पहलू है जिसे आप इन सभी संदर्भों में देखेंगे. संघर्ष मूल रूप से, छात्रों से सार्वजनिक शिक्षा को फिर से प्राप्त करने और समाज के हर वर्ग के लिए इसे सुलभ बनाने के लिए एक लड़ाई है. हम बस एक ऐसे जीवन को जी रहे हैं, जिसे हम जीना नहीं चाहते. हम शिक्षा की गुणवत्ता चाहते हैं जिसके हम हकदार हैं, हम इसे हर किसी के लिए चाहते हैं.'
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First published: November 29, 2019, 10:40 AM IST
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