तालिबान के खिलाफ काबुल में प्रदर्शन (फोटो- AP)
काबुल. 20 साल बाद एक बार फिर से अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे (Taliban in Afghanistan) के बाद हर तरफ खौफ का मंजर है. तालिबान के लड़ाके लगभग हर शहर की सड़कों पर हथियार लहरा रहे हैं. आगे क्या होगा किसी को कुछ भी पता नहीं. ज्यादातर लोगों को लगता है कि एक बार फिर से उन्हें बंदूकों के साए में रहने होगा. लिहाज़ा अफगानिस्तान के लोग अब तालिबान के खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं. काबुल से लेकर कंधार और फिर जलालाबाद तक हर जगह अफगानी प्रदर्शन कर रहे हैं. कई जगहों से गोलीबारी की भी खबरें आ रही हैं. इसके बावजूद अफगानी अपने हक की लड़ाई के लिए सड़कों पर डटे हैं.
चरमपंथी किसी भी असंतोष को दबाने के लिए अग्रसर हैं, जबकि उन्होंने वादा किया है कि अफगानिस्तान पर अपने पिछले शासन की तुलना में वे उदार होंगे. कई लोगों को ये डर सता रहा है कि तालिबान महिलाओं के अधिकारों और मानवाधिकारों के विस्तार के दो दशकों के प्रयास को बर्बाद कर देगा.
Independence day protest in #kabul. Women and girls, men and boys screaming LONG LIVE #Afghanistan OUR NATIONAL FLAG IS OUR IDENTITY! They marched past #Taliban with some Talibs screaming back at protestors, waving their guns at them but finally the protestors passed. pic.twitter.com/yutJcmstAP
— Jordan Bryon (@jordan_bryon) August 19, 2021
बृहस्पतिवार को काबुल हवाई अड्डे के पास लोगों ने कारों में सवार होकर मार्च निकाला. इस दौरान उनके हाथों में अफगान झंडे के सम्मान में लंबे काले, लाल और हरे बैनर थे. नांगरहार प्रांत में प्रदर्शन से जुड़ा एक वीडियो जारी किया गया है. इसमें दिख रहा है कि एक प्रदर्शनकारी को गोली लगी है, उसका खून बह रहा है और लोग उसे ले जाने की कोशिश कर रहे हैं. खोस्त प्रांत में तालिबान अधिकारियों ने प्रदर्शन को दबाने के बाद 24 घंटे का कर्फ्यू लगा दिया.
Protests against the Taliban’s takeover in Afghanistan have spread to more cities, including the capital Kabul https://t.co/IxB6zzZQ4S pic.twitter.com/A2ogJVjTBK
— Reuters (@Reuters) August 19, 2021
कुनार प्रांत में भी लोग सड़कों पर उतरे. तालिबानियों ने बुधवार को हिंसक तरीके से प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर कर दिया था. जलालाबाद में प्रदर्शनकारियों ने तालिबान का झंडा हटाकर अफगानिस्तान का तिरंगा लगा दिया. उसी दौरान एक व्यक्ति मारा गया. इस बीच, अफगानिस्तान के पंजशीर घाटी में पहुंचे विपक्षी नेता ‘नॉर्दर्न अलायंस’ के बैनर तले सशस्त्र विरोध करने को लेकर चर्चा कर रहे हैं. ये स्थान ‘नॉर्दर्न अलायंस’ लड़ाकों का गढ़ है, जिन्होंने 2001 में तालिबान के खिलाफ अमेरिका का साथ दिया था. ये एकमात्र प्रांत है, जो तालिबान के हाथ नहीं आया है.
18 अगस्त को तालिबान लड़ाकों ने जलालाबाद में झंडे लहरा रहे प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाईं, जिसमें तीन की मौत हो गई. बुधवार को असदाबाद और एक अन्य पूर्वी शहर खोस्त में भी इसी तरह के हालात दिख रहे हैं.
फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि वे तालिबान के लिए कितना गंभीर खतरा पैदा करते हैं, क्योंकि महज कुछ ही दिनों में इन लड़ाकों ने अफगान सशस्त्र बलों के नाममात्र विरोध के बीच करीब पूरे देश पर कब्जा कर लिया है. हालांकि तालिबान ने अभी तक उस सरकार के लिए कोई योजना पेश नहीं की है, जिसे चलाने की वो इच्छा रखता है. उसने केवल इतना कहा है कि वह शरिया या इस्लामी कानून के आधार पर सरकार चलाएगा. (भाषा से इनपुट के साथ)
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