अमेरिकी प्रतिबंधों की वजह से ईरान की अर्थव्यवस्था को खासा नुकसान पहुंचा है.
तेहरान. ईरान (Iran) ने विश्व की अन्य शक्तियों के साथ परमाणु समझौते (Iran Nuclear Deal) को लेकर जारी वार्ता में अमेरिका (America) के साथ सीधे संवाद करने की सोमवार को इच्छा जाहिर की. सरकारी संवाद समिति ‘आईआरएनए’ ने यह जानकारी दी. 2018 में ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्ला अली खामेनेई (Ayatollah Ali Khamenei) ने अमेरिका के साथ सभी वार्ताओं पर रोक लगा दी थी. उन्होंने कहा था कि अमेरिका के साथ वार्ता से ईरान (US-Iran) को नुकसान होगा. ईरान के परमाणु कार्यक्रमों (Iran Nuclear Programme) की वजह से अमेरिका ने उस पर प्रतिबंध लगाया हुआ है.
अमेरिकी प्रतिबंधों की वजह से ईरान की अर्थव्यवस्था को खासा नुकसान पहुंचा है. हालांकि, इस महीने की शुरुआत में आयतुल्ला अली खामेनेई ने अमेरिका के साथ वार्ता करने के लिए ईरानी दल को हरी झंडी दिखा दी और कहा कि शत्रु के साथ वार्ता और संवाद का अर्थ आत्मसमर्पण नहीं है. ‘आईआरएनए’ ने ईरान के विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान के हवाले से कहा, ‘अगर हम वार्ता प्रक्रिया में ऐसे चरण पर पहुंचते हैं, जहां अच्छी गारंटी के साथ अच्छा समझौता करने के लिए अमेरिकियों के साथ वार्ता करने की आवश्यकता होगी, तो हम इसे नजरअंदाज नहीं करेंगे.’
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अमेरिका अप्रत्यक्ष रूप से वार्ता में शामिल
ईरान ने ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी रूस एवं चीन के साथ ऑस्ट्रिया के विएना (Vienna) में परमाणु वार्ता बहाल की है. अमेरिका इस वार्ता में अप्रत्यक्ष रूप से शामिल हुआ है, क्योंकि उसने 2018 में समझौते से अपना नाम वापस ले लिया था. अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) ने इसमें फिर से शामिल होने की इच्छा जाहिर की है. वहीं, जब डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व वाली अमेरिका सरकार ने खुद को इस समझौते से वापस लिया था, उस वक्त उन्होंने ईरान पर फिर से प्रतिबंध लगा दिए थे. तेहरान ने तब से 60 फीसदी तक यूरेनियम को समृद्ध करना शुरू कर दिया. परमाणु बम बनाने के लिए 90 फीसदी यूरेनियम समृद्ध करने की जरूरत होती है.
अमेरिका ने ईरान को चेताया
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने पिछले हफ्ते कहा था कि ईरान के साथ परमाणु कार्यक्रम पर बातचीत निर्णायक क्षण पर है. साथ ही उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर आने वाले हफ्तों में कोई समझौता नहीं हुआ तो वॉशिंगटन और उसके सहयोगी रणनीति बदल सकते हैं. ब्लिंकन ने कहा कि ईरान 2015 के वियना समझौते का पालन करने में विफल रहा है.
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इसका सीधा मतलब है कि ईरान परमाणु हथियार बनाने के उतने की करीब होगा. ईरान का कहना है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण है. लेकिन ईरान की लगातार परमाणु गतिविधियों ने पश्चिमी मुल्कों को चिंतित किया हुआ है. (एजेंसी इनपुट के साथ)
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Tags: Indo US Nuclear Deal, Joe Biden
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