NASA के चंद्र अभियान के लिए चुने गए 18 अंतरिक्षयात्रियों में भारतवंशी राजा चारी भी शामिल

NASA ने चंद्रमा पर इंसान को भेजने के अपने अभियान के लिए एक भारतवंशी राजा जॉन वुरपुतूर चारी भी चुने गए.
Raja Chari For Manned Mission To Moon: NASA ने चंद्रमा पर इंसान को भेजने के अपने अभियान के लिए एक भारतवंशी राजा जॉन वुरपुतूर चारी को भी टीम में चुना है.
- News18Hindi
- Last Updated: December 11, 2020, 2:47 PM IST
वाशिंगटन. नासा (NASA) ने चंद्रमा पर इंसान (Manned Mission To Moon) को भेजने के अपने अभियान के लिए एक भारतवंशी राजा जॉन वुरपुतूर चारी (Astronaut Raja Chari) सहित 18 अंतरिक्षयात्रियों का चयन किया है. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अपने चंद्र अभियान के लिए बुधवार को 18 अंतरिक्षयात्रियों के नामों की घोषणा की. इनमें आधी संख्या महिलाओं की है. नासा इन्हें अपने ‘आर्टमिस’ चंद्र अभियान के लिए प्रशिक्षित करेगा.
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि नासा के इस अभियान के तहत 2024 में चांद की सतह पर पहली बार कोई महिला कदम रखेगी और इस दशक के अंत तक चंद्रमा पर इंसानों के रहने के लिए अनुकूल माहौल तैयार किया जाएगा. चारी (43) ‘यूएस एयर फोर्स एकेडमी, एमआईटी’ और ‘यूएस नवल टेस्ट पायलट स्कूल’ से स्नातक हैं, और इस सूची में वह भारतीय मूल के एकमात्र अंतरिक्षयात्री हैं. नासा ने उन्हें 2017 ‘एस्ट्रोनॉट कैंडिडेट क्लास’ के लिए चुना था. अगस्त 2017 में वह इसमें शामिल हुए थे और अपना शुरुआती प्रशिक्षण पूरा किया. अब वह अभियान के लिए पूरी तरह तैयार हैं.
चीफ एस्ट्रोनॉट पैट फोरेस्टर ने कहा, 'चांद की सतह पर चलना हमारे लिए किसी सपने के साकार होने जैसा होगा. अभियान में किसी भी तरह की भूमिका निभाना हमारे लिए गौरव की बात होगी.'‘आर्टमिस’ टीम में अलग-अलग पृष्ठभूमि, विशेषज्ञता और अनुभव वाले अंतरिक्ष यात्री शामिल हैं. समूह में अधिकतर सदस्यों की उम्र 30 से 35 या 40 से 45 के बीच है. सबसे अनुभवी सदस्य 55 साल के और सबसे युवा सदस्य 32 साल के हैं. चुने गए अंतरिक्ष यात्री नासा को आगामी आर्टमिस मिशन में मदद करेंगे. एजेंसी अपने वाणिज्यिक सहयोगियों के साथ अगले साल इसकी शुरुआत करेगी. इसके तहत मानवों के उतरने के लिए लैंडिंग सिस्टम, प्रशिक्षण में मदद, हार्डवेयर संबंधी जरूरतों और प्रौद्योगिकी सहयोग पर काम होगा.
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि नासा के इस अभियान के तहत 2024 में चांद की सतह पर पहली बार कोई महिला कदम रखेगी और इस दशक के अंत तक चंद्रमा पर इंसानों के रहने के लिए अनुकूल माहौल तैयार किया जाएगा. चारी (43) ‘यूएस एयर फोर्स एकेडमी, एमआईटी’ और ‘यूएस नवल टेस्ट पायलट स्कूल’ से स्नातक हैं, और इस सूची में वह भारतीय मूल के एकमात्र अंतरिक्षयात्री हैं. नासा ने उन्हें 2017 ‘एस्ट्रोनॉट कैंडिडेट क्लास’ के लिए चुना था. अगस्त 2017 में वह इसमें शामिल हुए थे और अपना शुरुआती प्रशिक्षण पूरा किया. अब वह अभियान के लिए पूरी तरह तैयार हैं.
जल्द शुरू होगा अभियानफ्लोरिडा में नासा के ‘केनेडी स्पेस सेंटर’ में उप राष्ट्रपति माइक पेंस ने बुधवार को कहा, 'मेरे अमेरिकी साथियों मैं आपको भविष्य के वे नायक दे रहा हूं जो हमें ‘आर्टमिस जेनरेशन’ के जरिए चांद और उससे भी आगे ले जाएंगे.' पेंस ने राष्ट्रीय अंतरिक्ष परिषद की बैठक में इन अंतरिक्षयात्रियों के नामों की घोषणा करते हुए कहा, 'यह सोचना रोमांचकारी है कि चांद की सतह पर उतरने वाला अगला इंसान और पहली महिला उनमें से होगी जिनके नाम हमने यहां पढ़े हैं.' ‘आर्टमिस जेनरेशन’ भविष्य के अभियान के नायकों का प्रतिनिधित्व करता है.'LIVE NOW: Join @VP Mike Pence, Administrator @JimBridenstine and other National Space Council members for the latest on our #Artemis program to return to the Moon https://t.co/EvvZDFuoAm
— Moonbound with #Artemis (@NASA) December 9, 2020
👨✈️ Pilot with 2,000 hours of flight time🇺🇸 @USAirForce officer👨🚀 NASA Astronaut
Meet @Astro_Raja, an initial member of our @NASAArtemis team who will help pave the way for the next human missions on and around the Moon. pic.twitter.com/bc6ctjUL5H— NASA Aeronautics (@NASAaero) December 10, 2020
चीफ एस्ट्रोनॉट पैट फोरेस्टर ने कहा, 'चांद की सतह पर चलना हमारे लिए किसी सपने के साकार होने जैसा होगा. अभियान में किसी भी तरह की भूमिका निभाना हमारे लिए गौरव की बात होगी.'‘आर्टमिस’ टीम में अलग-अलग पृष्ठभूमि, विशेषज्ञता और अनुभव वाले अंतरिक्ष यात्री शामिल हैं. समूह में अधिकतर सदस्यों की उम्र 30 से 35 या 40 से 45 के बीच है. सबसे अनुभवी सदस्य 55 साल के और सबसे युवा सदस्य 32 साल के हैं. चुने गए अंतरिक्ष यात्री नासा को आगामी आर्टमिस मिशन में मदद करेंगे. एजेंसी अपने वाणिज्यिक सहयोगियों के साथ अगले साल इसकी शुरुआत करेगी. इसके तहत मानवों के उतरने के लिए लैंडिंग सिस्टम, प्रशिक्षण में मदद, हार्डवेयर संबंधी जरूरतों और प्रौद्योगिकी सहयोग पर काम होगा.