नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली (फाइल फोटो)
काठमांडू. नेपाल (Nepal) के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली (KP Sharma Oli) रविवार को सत्तारूढ़ दल नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) की 45 सदस्यीय स्थायी समिति की महत्वपूर्ण बैठक में नहीं पहुंचे. ओली एनसीपी के अध्यक्षों में से एक हैं और उनके न आने के कई मतलब निकाले जा रहे हैं. यह बैठक पार्टी के धुंबराही स्थित केंद्रीय कार्यालय में हुई थी. बैठक में उनके ऊपर लगे आरोपों पर चर्चा होनी थी लेकिन ओली ने खुद ही शामिल होने से स्पष्ट इनकार कर दिया. ओली के सलाहकार सूर्य थापा ने बताया है कि प्रधानमंत्री अपने व्यस्त कार्यक्रम और कोविड-19 महामारी के खतरे के चलते स्टैंडिंग काउंसिल की बैठक में शामिल नहीं हुए.
एनसीपी के प्रवक्ता नारायण काजी श्रेष्ठ ने कहा कि पार्टी की स्थायी समिति को भेजे गए पत्र में ओली ने बताया है कि वह बैठक में शरीक होने में असमर्थ हैं. श्रेष्ठ ने कहा कि स्थायी समिति की अगली बैठक 13 दिसंबर को निर्धारित है. एनसीपी के कार्यकारी अध्यक्ष पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' तथा वरिष्ठ नेता राम माधव कुमार नेपाल समेत असंतुष्ट धड़े के नेताओं ने ओली से प्रधानमंत्री तथा पार्टी अध्यक्ष दोनों पदों से इस्तीफा देने की मांग की थी, जिसके बाद पार्टी में आंतरिक कलह सामने आ गई थी. इससे पहले ओली ने असंतुष्ट नेताओं पर सरकार गिराने की साजिश रचने का आरोप लगाया था.
प्रचंड के लगाए आरोपों पर होनी थी चर्चा
बैठक में पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष पुष्प कमल दहल प्रचंड द्वारा प्रधानमंत्री ओली पर लगाए आरोपों पर चर्चा होनी थी. ओली ने प्रचंड पर सरकार चलाने में सहयोग न करने और झूठे आरोप लगाने की बात कही है. ओली और प्रचंड ने शनिवार को प्रधानमंत्री आवास में हुई पार्टी की सचिव मंडल की बैठक में भाग लिया था लेकिन रविवार को पार्टी कार्यालय में प्रस्तावित बैठक में ओली नहीं पहुंचे. प्रचंड ने ओली पर भ्रष्टाचार और मनमाने ढंग से सरकार चलाने का आरोप लगाया है. साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री प्रचंड और माधव कुमार नेपाल के नेतृत्व वाले धड़े की मांग पार्टी के एक व्यक्ति-एक पद की व्यवस्था लागू करने की है, जिसके चलते ओली को एक पद छोड़ना होगा. ओली इस व्यवस्था को लागू नहीं होने दे रहे.
पार्टी के सचिवालय में 13 नवंबर को हुई बैठक में रखे गए 19 पृष्ठों के राजनीतिक दस्तावेज में प्रचंड ने सरकार और पार्टी सही ढंग से नहीं चलाने के लिये ओली की आलोचना की थी. उन्होंने ओली पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगाए थे. हालांकि ओली ने आरोपों से इनकार करते हुए प्रचंड को भ्रष्टाचार के आरोपों को कानूनी रूप से साबित करने या फिर माफी मांगने की चुनौती दी थी. ओली ने उस राजनीतिक दस्तावेज पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए स्पष्ट कर दिया था कि अगर रविवार को होने वाली स्थायी समिति की बैठक में वही प्रस्ताव रखा गया तो वह उसमें शामिल नहीं होंगे. उन्होंने प्रचंड द्वारा पेश किये गए राजनीतिक दस्तावेज को अपने खिलाफ 'आरोप पत्र' करार दिया था.
ओली ने भी दिखाई सख्ती
ओली ने रविवार को भेजे पत्र में अपना रुख दोहराया कि प्रचंड को बिना शर्त राजनीतिक प्रस्ताव वापस लेना चाहिये. ओली ने पत्र में लिखा, 'स्थायी समिति की बैठक में पार्टी के एकीकरण, पार्टी के आगामी महासम्मेलन की तैयारियों और कोविड-19 की रोकथाम के लिये बेहतर ढंग से काम करने से संबंधित लंबित कार्यों को अंतिम रूप देने पर चर्चा की जानी चाहिये.' ओली ने यह भी कहा कि पार्टी नेतृत्व में बदलाव के मुद्दे को चार महीने बाद होने वाले एकीकृत पार्टी के पहले महासम्मेलन के जरिये सुलझाना चाहिये.
राजशाही का समर्थन भी शुरू
इस बीच नेपाल में राजशाही की बहाली की मांग को लेकर काठमांडू में प्रदर्शन हुआ है. लोगों ने राष्ट्रीय झंडे के साथ जुलूस निकालकर राजशाही को पुन: स्थापित करने और नेपाल को फिर से हिंदू राष्ट्र घोषित करने की मांग की है. दरअसल, ओली अपने चीन प्रेम और पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष पुष्प कमल दहल प्रचंड के साथ टकराव के चलते सवालों के घेरे में हैं. यही कारण है कि ओली सरकार के खिलाफ नेपाल की आवाम का गुस्सा रह रह कर सामने आ रहा है.
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Tags: India-Nepal Border, Indo-Nepal Border Dispute, KP Sharma Oli, Nepal, Nepal and China Border, Nepal Election
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