रिसर्च में दावा! Molnupiravir दवा से सिर्फ 24 घंटे में शरीर से ख़त्म हो जाता है कोरोना

मोल्नूपीराविर नाम की एक दवा संक्रमित व्यक्ति के शरीर से सिर्फ 24 घंटे में कोरोना वायरस ख़त्म करने में सक्षम है.
Molnupiravir Drug for Covid-19: जॉर्जिया स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि मोल्नूपीराविर नाम की एक दवा संक्रमित व्यक्ति के शरीर से सिर्फ 24 घंटे में कोरोना वायरस ख़त्म करने में सक्षम है.
- News18Hindi
- Last Updated: December 9, 2020, 7:18 AM IST
न्यूयॉर्क. कोरोना वायरस (Coronavirus) की वैक्सीन के साथ-साथ संक्रमितों के लिए असरकारक दवा को लेकर भी वैज्ञानिक शोध में जुटे हुए हैं. अब वैज्ञानिकों की एक टीम ने दावा किया है कि उन्होंने एक ऐसी दवा ढूंढ ली है जो कि मनुष्य के शरीर में मौजूद कोरोना वायरस (Covid-19) को सिर्फ़ 24 घंटे में ख़त्म करने में सक्षम है. इस दवा का नाम एमके-4482/ईआइडीडी-2801 है जिसे मोल्नूपीराविर (Molnupiravir) के नाम से भी जाना जाता है. इस दवा के इस्तेमाल से कोरोना के मरीजों में संक्रमण फैलने से रोकने के साथ-साथ उन्हें भविष्य में होने वाली अन्य गंभीर बीमारियों से भी बचाया जा सकता है.
FirstPost की एक रिपोर्ट के मुताबिक जर्नल ऑफ नेचर माइक्रोबायोलॉजी में इस दवा की प्रभावशीलता के बारे में विस्तार से बताया गया है. इसमें बताया गया है कि जॉर्जिया स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने इस दवा की पहचान की है. इस अध्ययन के लेखक रिचर्ड प्लेंपर के मुताबिक, कोरोना के इलाज के लिए गटकी जाने वाली दवाई के तौर पर यह पहली दवा है. कोरोना के इलाज में यह गेम-चेंजर साबित हो सकती है. शोधकर्ताओं ने कहा, ' क्योंकि यह दवा सामान्य रूप से ही निगल कर खाई जाने वाली है. इसलिए इसके लाभ भी अन्य से तीन गुना तेजी से देखने को मिलते हैं. मरीज के लक्षणों को देखते हुए यह दवा इस्तेमाल में लाई जा सकती है.'
सिर्फ 24 घंटे में कोरोना ख़त्म!
प्लेंपर ने कहा कि शुरुआती शोध में इस दवा को इंफ्लूएंजा जैसे जानलेवा फ्लू को खत्म करने में असरदार पाया गया था, जिसके बाद कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए इस पर शोध किया गया. इस दौरान विज्ञानियों ने कुछ जानवरों को पहले कोरोना से संक्रमित किया और उसके बाद जैसे ही उन जानवरों ने नाक से वायरस को छोड़ना शुरू किया, उन्हें तुरंत मोल्नूपीराविर दवा दी गई.
मोल्नूपीराविर दवा देने के बाद संक्रमित जानवरों को स्वस्थ जानवरों के साथ एक ही पिंजरे में रखा गया, ताकि यह देखा जा सके कि उनमें संक्रमण फैलता है या नहीं. इस अध्ययन के सह लेखक जोसफ वुल्फ ने बताया कि शोध के दौरान यह पाया गया कि संक्रमित जानवरों से स्वस्थ जानवरों में संक्रमण नहीं फैला. उनका कहना है कि इस दवा का इस्तेमाल यदि संक्रमित मरीजों पर किया जाता है तो महज 24 घंटे में ही मरीज के शरीर से संक्रमण खत्म हो जाएगा.
FirstPost की एक रिपोर्ट के मुताबिक जर्नल ऑफ नेचर माइक्रोबायोलॉजी में इस दवा की प्रभावशीलता के बारे में विस्तार से बताया गया है. इसमें बताया गया है कि जॉर्जिया स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने इस दवा की पहचान की है. इस अध्ययन के लेखक रिचर्ड प्लेंपर के मुताबिक, कोरोना के इलाज के लिए गटकी जाने वाली दवाई के तौर पर यह पहली दवा है. कोरोना के इलाज में यह गेम-चेंजर साबित हो सकती है. शोधकर्ताओं ने कहा, ' क्योंकि यह दवा सामान्य रूप से ही निगल कर खाई जाने वाली है. इसलिए इसके लाभ भी अन्य से तीन गुना तेजी से देखने को मिलते हैं. मरीज के लक्षणों को देखते हुए यह दवा इस्तेमाल में लाई जा सकती है.'
सिर्फ 24 घंटे में कोरोना ख़त्म!
प्लेंपर ने कहा कि शुरुआती शोध में इस दवा को इंफ्लूएंजा जैसे जानलेवा फ्लू को खत्म करने में असरदार पाया गया था, जिसके बाद कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए इस पर शोध किया गया. इस दौरान विज्ञानियों ने कुछ जानवरों को पहले कोरोना से संक्रमित किया और उसके बाद जैसे ही उन जानवरों ने नाक से वायरस को छोड़ना शुरू किया, उन्हें तुरंत मोल्नूपीराविर दवा दी गई.
मोल्नूपीराविर दवा देने के बाद संक्रमित जानवरों को स्वस्थ जानवरों के साथ एक ही पिंजरे में रखा गया, ताकि यह देखा जा सके कि उनमें संक्रमण फैलता है या नहीं. इस अध्ययन के सह लेखक जोसफ वुल्फ ने बताया कि शोध के दौरान यह पाया गया कि संक्रमित जानवरों से स्वस्थ जानवरों में संक्रमण नहीं फैला. उनका कहना है कि इस दवा का इस्तेमाल यदि संक्रमित मरीजों पर किया जाता है तो महज 24 घंटे में ही मरीज के शरीर से संक्रमण खत्म हो जाएगा.