नई दिल्ली. पाकिस्तानी सेना और इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के अधिकारियों की एक टीम बुधवार से काबुल में है. सीएनएन-न्यूज18 को सूत्रों से पता चला है कि वे तहरीके-ए-तालिबान (टीटीपी) के साथ सौदा करने की कोशिश कर रहे हैं. इतना ही नहीं सूत्रों का कहना है कि वैश्विक स्तर पर प्रतिबंधित हक्कानी नेटवर्क इनकी बातचीत में मध्यस्थता कर रहा है. बीते सोमवार को आईएसआई के पूर्व प्रमुख लेफ्टिनेट जनरल फैज हमीद बातचीत मे हिस्सा लेकने के लिए काबुल सेरेना होटल पहुंचे.
सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान ने टीटीपी के दो कमांडरो को गिरफ्तार किया था और अब अफगान तालिबान चाहता है कि दोनो को सौंप दिया जाए. साल 2009 में मुस्लिम खान और महमूद खान को पाकिस्तानी सेना ने गिरफ्तार किया था. हाल ही में स्वात से दोनों को हक्कानी नेटवर्क की हिरासत में सुरक्षित रखने के लिए भेजा गया था. सूत्रों का कहना है कि टीटीपी का वजीरिस्तान धड़ा अभी तक हुए सौदे से खुश नहीं है. इसके अलावा सूत्रों ने यह भी बताया है कि एक और खेमा इसके लिए तैयार नहीं है, क्योंकि इस सौदे को पाकिस्तानी सेना से लड़ने वाले बलूच विद्रोहियो के खिलाफ देखा जा सकता है.
खतरनाक है टीटीपी
टीटीपी अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर सक्रिय कई इस्लामी आतंकवादी समूहों का एक छात्र संगठन है. इसने अफगान तालिबान के प्रति अपनी वफादारी का वादा किया है. बता दें कि तहरीक-ए-तालिबान ने ही मलाला यूसुफजई पर हमले की जिम्मेदारी ली थी. इतना ही नही 16 दिसंबर 2014 को पाकिस्तान के पेशावर के सैनिक स्कूल पर हमला कर टीटीपी के 6 आतकियों ने कई बच्चो की हत्या कर दी थी.
2007 में हुआ था गठन
साल 2007 में आंतकी बेयतुल्लाह की अगुवाई मे 13 गुटों ने मिलकर टीटीपी का गठन किया था. इसे पाकिस्तानी तालिबान भी कहा जाता है. यह अफगानिस्तान के तालिबान से अलग है, मगर विचारधाराओं में काफी हद तक समानता है.
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