इस्लामाबाद. पाकिस्तान और आतंकवादी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (Tehreek-e-Taliban Pakistan)के बीच हुआ शांति समझौता खतरे में पड़ गया है. पाकिस्तान सरकार ने पूर्ववर्ती संघीय प्रशासित कबायली क्षेत्रों (FATA)के खैबर पख्तूनख्वा में विलय वाली योजना से पीछे हटने से इनकार कर दिया है. जिसके बाद टीटीपी सरगना मुफ्ती नूर वली महसूद ने चेतावनी दी है कि उनका संगठन शांति समझौते से पीछे हट सकता है. टीटीपी के प्रमुख महसूद ने एक यूट्यूबर के साथ इंटरव्यू के दौरान ये बात कही.
पाकिस्तान और टीटीपी के बीच तालिबान की मध्यस्थता से दूसरी बार सीजफायर पर सहमति बनी थी. तब टीटीपी ने शर्त रखी थी कि पाकिस्तान किसी भी हाल में एफएटीए का विलय नहीं करेगा और उसकी पुरानी पहचान को बरकरार रखेगा.
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इंटरव्यू में क्या कहा?
यूट्यूब पर अपलोड किए गए एक इंटरव्यू में टीटीपी सरगना मुफ्ती नूर वली महसूद ने आरोप लगाया कि पाकिस्तानी सुरक्षा बल लगातार उनके लड़ाकों की धरपकड़ के लिए अभियान चला रहे हैं. इससे अफगानिस्तान में जारी शांति वार्ता पर असर पड़ रहा है. मुफ्ती नूर वली महसूद ने इस्लामाबाद की हथियार डालने और संविधान को स्वीकार करने की मांग का जिक्र करते हुए कहा कि शांति वार्ता के दौरान सिर्फ उन्हीं मांगो को स्वीकार किया जाएगा, जो उनके हित में होगा. उसने कहा कि अनावश्यक मांगों को स्वीकार नहीं किया जाएगा.
टीटीपी ने की ये मांग
मुफ्ती नूर वली महसूद ने कहा, ‘हमारी मांगें स्पष्ट हैं, विशेषकर केपी के साथ फाटा के विलय संबंधी फैसले को वापस लेना हमारी प्राथमिक मांग है जिससे संगठन पीछे नहीं हट सकता.’
पाकिस्तान की नाक में कर रखा है दम
टीटीपी पाकिस्तान में हुए कई भीषण आतंकवादी हमलों के जिम्मेदार है. इसके अधिकतर निशाने पर पाकिस्तानी सेना ही रही है. इमरान खान के गृह राज्य खैबर पख्तूनख्वा को टीटीपी का गढ़ माना जाता है. इसके आतंकी पाकिस्तान में वारदात को अंजाम देने के बाद सीमा पार कर अफगानिस्तान भाग जाते हैं. इस कारण पाकिस्तान के लिए टीटीपी आतंकवादियों को पकड़ना काफी मुश्किल हो रहा है. पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में घुसकर कई बार सैन्य कार्रवाई भी की है, लेकिन तालिबान के विरोध के बाद यह अभियान धीमा पड़ गया है.
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2018 में टीटीपी की चीफ बना था मुफ्ती नूर वली महसूद
मुफ्ती नूर वली महसूद 2018 में अफगानिस्तान के अंदर अमेरिकी ड्रोन हमले में मुल्ला फजलुल्लाह के मारे जाने के बाद टीटीपी का प्रमुख बना था. मुल्ला फजलुल्लाह को मुल्ला रेडियो को नाम से भी जाना जाता था. यह पूछे जाने पर कि क्या हाल के हमलों में टीटीपी को नुकसान हुआ है, महसूद ने ब्योरा देने से इनकार कर दिया. हालांकि, उसने टीटीपी के भीतर अंदरूनी कलह को स्वीकार किया. उसने इस बात से इनकार किया कि शांति वार्ता में तालिबान मध्यस्थता कर रहा है. उसके दबाव के कारण ही टीटीपी बातचीत को राजी हुआ है.
क्या है FATA और टीटीपी को क्यों है दिलचस्पी?
एफएटीए का पूरा नाम फेडरल एडमिनिस्ट्रेटेड ट्राइबल एरियाज है. यह एक जनजाति इलाका है, जिसका सीधा नियंत्रण पाकिस्तान की केंद्रीय सरकार के हाथ में होता है. फाटा की सीमा अफगानिस्तान से लगी हुई है. यह पूरा इलाका पहाड़ों और घने जंगलों से घिरा हुआ है. इस कारण यह आतंकवादियों के लिए जन्नत से कम नहीं है. यह वही इलाका है, जहां अवैध हथियारों की मंडी लगती है और दुकानों में सब्जियों की तरह बंदूकें बेची जाती है. यह इलाका टीटीपी का पसंदीदा ठिकाना है. अगर यह खैबर पख्तूनख्वा राज्य के नियंत्रण में जाता है तो इसको मिलने वाली विशेष सहूलियतें बंद हो जाएंगी. (एजेंसी इनपुट के साथ)
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