FATF की ग्रे लिस्ट में बना रह सकता है पाकिस्तान, पेरिस में बैठक शुरू

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान. (फाइल फोटो)
FATF's Plenary and Working Group meetings: एफएटीएफ की प्लेनरी और वर्किंग ग्रुप की बैठकें पाकिस्तान की ग्रे सूची की स्थिति पर फैसला करने के लिए पूरी तरह से तैयार है.
- News18Hindi
- Last Updated: February 22, 2021, 12:47 AM IST
इस्लामाबाद. फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (Financial Action Task Force) की 'ग्रे' सूची से पाकिस्तान (Pakistan) के फिलहाल बाहर निकलने की संभावना नहीं है. हालांकि वह संगठन की पूर्ण बैठक से पहले सदस्य देशों से समर्थन जुटाने के प्रयासों में जुटा हुआ है. मीडिया रिपोर्ट में ये बात कही गयी है. ये रिपोर्ट ऐसे समय सामने आई हैं जब एफएटीएफ की पूर्ण और कार्यकारी समूह की बैठकें रविवार को पेरिस में शुरू हो गई हैं और ये 26 फरवरी तक चलेंगी. इन बैठकों में 'ग्रे' सूची में पाकिस्तान की स्थिति पर फैसला होने की पूरी संभावना है.
पाकिस्तान को जून 2018 में एफएटीएफ की 'ग्रे' सूची में रखा गया था और 27 मुद्दों को लागू कर वैश्विक चिंताओं को दूर करने के लिए समयसीमा दी गई थी. ग्रे सूची में उन देशों को शामिल किया जाता है जहां टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग का जोखिम सबसे ज़्यादा होता है, लेकिन ये देश एफ़एटीएफ़ के साथ मिलकर इसे रोकने को लेकर काम करने के लिए तैयार होते हैं.
पिछले साल फरवरी 2021 तक ग्रे लिस्ट में रखा गया था पाकिस्तान
एफएटीएफ ने पिछले साल अक्टूबर में अपनी डिजिटल पूर्ण बैठक में निष्कर्ष निकाला था कि पाकिस्तान फरवरी 2021 तक इस सूची में बना रहेगा क्योंकि वह छह प्रमुख दायित्वों को पूरा करने में नाकाम रहा है. इनमें भारत के दो सर्वाधिक वांछित आतंकवादियों - मौलाना मसूद अजहर और हाफिज सईद के खिलाफ कार्रवाई करना शामिल है.इससे कुछ दिन पहले एक्सप्रेस ट्रिब्यून समाचार पत्र में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया था कि, हालांकि विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने एफएटीएफ की आगामी बैठक के नतीजे को लेकर आशा जतायी थी लेकिन अधिकारियों ने स्वीकार किया है कि पाकिस्तान कम से कम जून तक ग्रे सूची में शामिल रहेगा. हालांकि इसमें कहा गया है कि एफएटीएफ बैठक से पहले पाकिस्तान निकाय के सदस्य देशों से समर्थन जुटाने का प्रयास कर रहा है.

एक वरिष्ठ पाकिस्तानी अधिकारी के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर सदस्य देशों के बीच सहमति बनती है तो पाकिस्तान को इस साल जून तक सूची से बाहर आने में मदद मिल सकती है.
पाकिस्तान को जून 2018 में एफएटीएफ की 'ग्रे' सूची में रखा गया था और 27 मुद्दों को लागू कर वैश्विक चिंताओं को दूर करने के लिए समयसीमा दी गई थी. ग्रे सूची में उन देशों को शामिल किया जाता है जहां टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग का जोखिम सबसे ज़्यादा होता है, लेकिन ये देश एफ़एटीएफ़ के साथ मिलकर इसे रोकने को लेकर काम करने के लिए तैयार होते हैं.
पिछले साल फरवरी 2021 तक ग्रे लिस्ट में रखा गया था पाकिस्तान
एफएटीएफ ने पिछले साल अक्टूबर में अपनी डिजिटल पूर्ण बैठक में निष्कर्ष निकाला था कि पाकिस्तान फरवरी 2021 तक इस सूची में बना रहेगा क्योंकि वह छह प्रमुख दायित्वों को पूरा करने में नाकाम रहा है. इनमें भारत के दो सर्वाधिक वांछित आतंकवादियों - मौलाना मसूद अजहर और हाफिज सईद के खिलाफ कार्रवाई करना शामिल है.इससे कुछ दिन पहले एक्सप्रेस ट्रिब्यून समाचार पत्र में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया था कि, हालांकि विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने एफएटीएफ की आगामी बैठक के नतीजे को लेकर आशा जतायी थी लेकिन अधिकारियों ने स्वीकार किया है कि पाकिस्तान कम से कम जून तक ग्रे सूची में शामिल रहेगा. हालांकि इसमें कहा गया है कि एफएटीएफ बैठक से पहले पाकिस्तान निकाय के सदस्य देशों से समर्थन जुटाने का प्रयास कर रहा है.
एक वरिष्ठ पाकिस्तानी अधिकारी के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर सदस्य देशों के बीच सहमति बनती है तो पाकिस्तान को इस साल जून तक सूची से बाहर आने में मदद मिल सकती है.