इस्लामाबाद. एक तरफ पाकिस्तान (Pakistan) आर्थिक तंगी का सामना कर रहा है तो वहीं, अब एक नई रिपोर्ट सामने आई है जिससे देश में सरकार की टेंशन और बढ़ गई है. पाकिस्तान ने आईएमएफ (IMF) के ऋण कार्यक्रम के तहत छह महीने में करीब एक दर्जन शर्तों को पूरा किया है, लेकिन नकदी संकट से जूझ रहे इस देश की आर्थिक स्थिरता अभी भी चीन से मिलने वाली 11 अरब अमेरिकी डॉलर की सहायता पर टिकी है. एक्सप्रेस ट्रिब्यून समाचार पत्र ने शुक्रवार को कहा कि वाशिंगटन स्थित अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने गुरुवार को छह अरब डॉलर के ऋण कार्यक्रम के लिए अपनी स्टाफ स्तर की रिपोर्ट में कहा कि पाकिस्तान सरकार अक्टूबर से अब तक बिजली की कीमतों में 5.65 रुपये प्रति यूनिट या 36 प्रतिशत बढ़ोतरी करने की तैयार कर रही है.
ऋण प्रबंधन योजना के मुताबिक इस बढ़ोतरी से उपभोक्ताओं पर जून 2023 तक 884 अरब रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा. इसके अलावा सरकार जून में आईएमएफ की शर्त के तहत जीडीपी के 1.1 प्रतिशत या 600 अरब रुपये के बराबर नए कर लगाएगी. ये शर्तें उन 11 कार्रवाइयों में शामिल हैं, जिन्हें सरकार को इस साल सितंबर तक पूरा करना है.
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पाकिस्तान काफी हद तक चीन की मदद पर निर्भर
रिपोर्ट के मुताबिक आईएमएफ की मदद के बाजवूद पाकिस्तान काफी हद तक चीन की मदद पर निर्भर रहेगा. पाकिस्तान को अपनी वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए चीन के मिलने वाली 10.8 अरब डॉलर की मदद के साथ ही यूएई से दो अरब डॉलर, विश्व बैंक से 2.8 अरब डॉलर, जी-20 से 1.8 अरब डॉलर, एशियाई विकास बैंक से 1.1 अरब डॉलर और इस्लामिक डेवलपमेंट बैंक से एक अरब डॉलर की मदद की दरकार होगी.
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FIRST PUBLISHED : April 09, 2021, 16:05 IST