इस्लामाबाद: पाकिस्तान में इमरान खान सरकार के खिलाफ विपक्षी दलों की ओर से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को डिप्टी स्पीकर कासिम खान सूरी द्वारा खारिज करने और राष्ट्रपति आरिफ अल्वी द्वारा नेशनल असेंबली भंग किए जाने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट 3 बजे अपना फैसला सुना सकता है. इससे पहले गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान इमरान खान और राष्ट्रपति आरिफ अल्वी के वकीलों ने अपनी दलीलें पेश की. चीफ जस्टिस उमर अता बंदियाल ने कहा, जब 28 मार्च को स्पीकर कैसर ने अविश्वास प्रस्ताव का विरोध नहीं किया, तो फिर 3 अप्रैल को डिप्टी स्पीकर सूरी ने इसे खारिज क्यों कर दिया?
राष्ट्रपति आरिफ अल्वी के वकील अली जफर ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि नेशनल असेंबली भंग करने का उनका फैसला संविधान सम्मत है. इस पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस उमर अता बंदियाल ने राष्ट्रपति आरिफ अल्वी के वकील से पूछा, अगर सब कुछ संविधान के हिसाब से ही चल रहा है तो फिर राजनीतिक संकट किस बात का है? मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को बिना वोटिंग कराए ही खारिज कर देना संविधान के अनुच्छेद 95 का उल्लंघन है. देश में मध्यावधि चुनाव कराए गए तो अरबों रुपए का खर्च आएगा.
सुप्रीम कोर्ट ने इमरान खान से ‘विदेश साजिश’ का सबूत मांगा
द डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने इमरान खान से उनकी सरकार के खिलाफ ‘विदेश साजिश’ का सबूत मांग लिया. जस्टिस जमाल खान मंडोखेल ने गुरुवार को कहा कि भले ही नेशनल असेंबली के डिप्टी स्पीकर कासिम खान सूरी ने 3 अप्रैल के फैसले की घोषणा की, जिसने पीएम इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया, लेकिन स्पीकर असद कैसर ने इस पर हस्ताक्षर किए. द न्यूज इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच आज इस मामले पर अपना फैसला सुना सकती है.
इमरान खान की बयानबाजी से नाराज विदेश विभाग के अफसर
इससे पहले ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ की एक रिपोर्ट में कहा गया कि पाकिस्तानी विदेश विभाग के वरिष्ठ अफसरों ने इमरान खान द्वारा अपनी सरकार के खिलाफ विदेशी साजिश का दावा कर अमेरिका का नाम लिए जाने पर सख्त ऐतराज जताया है. पाकिस्तान के विदेश विभाग के अफसरों के मुताबिक, सरकारें और नेता बदलते रहते हैं, लेकिन इस सरकार ने जो किया है उसका पाकिस्तान को बहुत सख्त और बहुत लंबे समय तक खामियाजा भुगतना पड़ सकता है. एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ कहा कि अब हमारे एम्बेसेडर्स भी विदेश मंत्रालय को खुलकर सारी बातें नहीं बताएंगे.
विपक्षी दलों ने दी पूरे पाकिस्तान में सड़क पर उतरने की चेतावनी
रिपोर्ट के मुताबिक, विदेश विभाग के अफसरों का कहना है कि उनके जेहन में यह डर बन गया है कि उनके किसी भी लेटर को पब्लिक डोमेन में लाया जा सकता है, जबकि यह गोपनीय दस्तावेज होते हैं. इमरान खान के आरोपों का अमेरिका और यूरोप के साथ पाकिस्तान के संबंधों पर बहुत गहरा असर होगा. इधर विपक्षी दलों के संगठन पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (PDM) के चीफ मौलाना फजल-उर्र-रहमान ने साफ कर दिया है कि विपक्षी गठबंधन दल अब अदालत के अलावा सड़कों पर भी इमरान खान का मुकाबला करेंगे.
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