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Exclusive | IMF से कर्ज के लिए अपनी आजादी तक छोड़ने को तैयार पाकिस्तान? जानें क्यों कहा जा रहा ऐसा

शाहबाज शरीफ ने कहा कि अगर पाकिस्तान को डिफ़ॉल्ट होने से बचाना है तो किसी भी कीमत पर IMF की शर्तों को मानना ही पड़ेगा. (File Photo)

शाहबाज शरीफ ने कहा कि अगर पाकिस्तान को डिफ़ॉल्ट होने से बचाना है तो किसी भी कीमत पर IMF की शर्तों को मानना ही पड़ेगा. (File Photo)

Pakistan Economy Crisis: बेशक आईएमएफ सशर्त रूप से $ 1.3 बिलियन की किश्त जारी करने पर सहमत हो गया हो लेकिन वह पाकिस्तान ...अधिक पढ़ें

हाइलाइट्स

पाकिस्तान आईएमएफ की कड़ी शर्तों को स्वीकार कर अपनी आर्थिक स्वतंत्रता खो रहा है
IMF ने रक्षा बजट में धीरे-धीरे 10%-20% प्रति वर्ष की कटौती करने को कहा
पेट्रोलियम, तेल और स्नेहक (पीओएल) उत्पादों पर 17 प्रतिशत जीएसटी लगाने के लिए कहा

इस्लामाबाद. पाकिस्तान की बदहाल आर्थिक स्थितियों (Economic Crisis) के बीच आईएमएफ से बेल आउट पैकेज लेने के गिड़गिड़ा रहे पाकिस्तान को अभी भी पैसों के लिए इंतजार करना पड़ सकता है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा पाकिस्तान के भ्रष्टाचार विरोधी ढांचे की सशर्त समीक्षा में, पाकिस्तान सरकार राष्ट्रीय जवाबदेही अध्यादेश और संघीय जांच अधिनियम में और संशोधन करने पर सहमत हुई है. पाकिस्तानी अखबार डॉन न्यूज़ की एक रिपोर्ट के अनुसार टास्क फोर्स ने रिपोर्ट के अनुसार NAO, 1999 और FIA अधिनियम, 1974 में संशोधन की सिफारिश की है.

सरकार द्वारा एनएओ में बदलाव किए जाने के बाद आईएमएफ ने पिछले साल यह शर्त लगा दी थी, जिससे लगभग 1100 अरब रुपये के भ्रष्टाचार को बचाकर सरकार को लाभ हुआ है. गंभीर आर्थिक, खाद्य और ऊर्जा संकट से जूझ रहा पाकिस्तान (Pakistan) पहले ही स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (संशोधन) विधेयक 2021 पारित करके एसबीपी को आईएमएफ को सौंप चुका है. बाजार के जानकारों के मुताबिक पाकिस्तान आईएमएफ की कड़ी शर्तों को स्वीकार कर अपनी आर्थिक स्वतंत्रता खो रहा है लेकिन उसके पास अंतरराष्ट्रीय लेनदारों को मना करने का कोई रास्ता नहीं है. साथ ही प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ (Shahbaz Sharif) भी कह चूके हैं कि अगर पाकिस्तान को डिफ़ॉल्ट होने से बचाना है तो किसी भी कीमत पर IMF की शर्तों को मानना ही पड़ेगा.

बेशक आईएमएफ सशर्त रूप से $ 1.3 बिलियन की किश्त जारी करने पर सहमत हो गया हो लेकिन वह पाकिस्तान को उसके आत्म सम्मान से समझौता करने पर भी विवश कर रहा है. IMF की ओर से रक्षा बजट को घटाने की बात इस्लामिक मुल्क को सबसे ज्यादा चुभ रही है. चारों ओर से अपने ही आतंकियों से घिरे पाकिस्तान को अब संस्था ने रक्षा बजट में धीरे-धीरे 10%-20% प्रति वर्ष की कटौती करने को कहा है. साथ ही IMF ने सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 1 प्रतिशत के बराबर लगभग 900 अरब रुपये के बड़े अंतर को दूर करने को लेकर सरकार के साथ बातचीत की है. जियो न्यूज ने बताया कि आईएमएफ जीएसटी दर को 17 से 18 प्रतिशत तक बढ़ाने या पेट्रोलियम, तेल और स्नेहक (पीओएल) उत्पादों पर 17 प्रतिशत जीएसटी लगाने के लिए कह रहा है. इन शर्तों को मानाने के बाद पाकिस्तान में महंगाई अपने चरम पर पहुंच सकती है.

Tags: Economic crisis, IMF, Pakistan's Economy

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