नई दिल्ली: देश के सबसे बड़े आर्थिक संकट के बीच गुरुवार को रानिल विक्रमसिंघे (PM Ranil wickremesinghe) ने श्रीलंका के 26वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली. प्रधानमंत्री बनने के बाद विक्रमसिंघे ने कहा कि उनकी सबसे बड़ी प्राथमिकता अर्थव्यवस्था को दुरुस्त कर देश को आर्थिक संकट के बाहर निकालना है. इसके साथ ही उन्होंने भारत के साथ रिश्ते पर कहा कि उनके कार्यकाल में दोनों देशों के बीच रिश्ते और बेहतर होंगे.
विपक्ष और प्रदर्शनकारियों के भारी दबाव और देश के बिगड़ते आर्थिक हालात के मद्देनजर हुई हिंसक झड़पों के बाद महिंदा राजपक्षे को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था. यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) के नेता विक्रमसिंघे को आज कोलंबो में गोटाबाया राजपक्षे ने प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई. इससे पहले उन्होंने पहले पांच मौकों पर श्रीलंका के प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया था.
राष्ट्रपति गोटबाया ने अपनी और विक्रमसिंघे की तस्वीर के साथ ट्वीट किया, ‘‘श्रीलंका के नवनियुक्त प्रधानमंत्री को मेरी शुभकामनाएं. उन्होंने एक संकट के काल में देश को आगे बढ़ाने के लिए इस चुनौतीपूर्ण जिम्मेदारी को संभाला है. मैं श्रीलंका को पुन: मजबूत करने के लिए उनके साथ मिलकर काम करने को आशान्वित हूं.’’
पीएम पद की शपथ लेने के बाद विक्रमसिंघे ने संवाददाताओं से कहा, “मैंने अर्थव्यवस्था के उत्थान की चुनौती ली है और मुझे इसे अवश्य पूरा करना चाहिए.” भारत के सवाल पर उन्होंने कहा कि दोनों के बीच रिश्ते पहले से और बेहतर होंगे.
प्रदर्शनकारियों के बारे में जब नए प्रधानमंत्री से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हम उनसे बात करने के लिए तैयार हैं अगर वे बात करना चाहते हैं तो रुके.
रानिल विक्रमसिंघे के शपथ लेने के बाद भारतीय उच्चायोग ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के अनुसार गठित नयी श्रीलंकाई सरकार के साथ काम करने को लेकर आशान्वित है तथा द्वीप राष्ट्र के लोगों के लिए नयी दिल्ली की प्रतिबद्धता जारी रहेगी.
विदेश मंत्रालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, ‘पड़ोसी प्रथम की हमारी नीति के मद्देनजर भारत ने श्रीलंका के लोगों को उनकी मौजूदा कठिनाइयों को दूर करने में मदद करने के लिए अकेले इस वर्ष 3.5 अरब डॉलर से अधिक की सहायता प्रदान की है. इसके अलावा, भारत के लोगों ने भोजन और दवा जैसी आवश्यक वस्तुओं की कमी को कम करने के लिए सहायता प्रदान की है.’
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