मंगल पर जीवन तलाश रहे नासा के पर्सेवरेंस रोवर को लंदन के फ्लैट से चला रहे हैं भारतीय मूल के वैज्ञानिक

नासा के मिशन का हिस्सा हैं प्रोफेसर संजीव गुप्ता. (Pic- Twitter)
55 साल के प्रोफेसर संजीव गुप्ता (Sanjeev Gupta) भारतीय मूल के ब्रिटिश भूविज्ञान हैं. वह लंदन इंपीरियल कॉलेज में भूविज्ञान के विशेषज्ञ हैं. वह नासा के मंगल ग्रह के इस अभियान से जुड़े हैं.
- News18Hindi
- Last Updated: March 1, 2021, 9:15 AM IST
लंदन. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने पिछले दिनों मंगल ग्रह (MARS) पर अपने रोबोट पर्सेवरेंस रोवर (Perseverance Rover) को सफलतापूर्वक उतार दिया है. यह रोबोट अब मंगल ग्रह पर जीवन की तलाश करेगा. इसके लिए नासा के सैकड़ों वैज्ञानिकों की टीम दिन रात काम कर रही थी. इन्हीं में से एक हैं प्रोफेसर संजीव गुप्ता. वह भी नासा के इस मिशन का हिस्सा हैं. खास बात यह है कि वह पर्सेवरेंस रोवर को नासा के हेडक्वार्टर या ऑफिस से नहीं, बल्कि अपने घर पर बैठककर संभाल रहे हैं. इसके लिए उन्होंले दक्षिण लंदन में एक वन बेडरूम का फ्लैट किराए पर लिया हुआ है. ऐसा कोरोना के कारण लगे ट्रैवल बैन के कारण हुआ है.
55 साल के प्रोफेसर संजीव गुप्ता भारतीय मूल के ब्रिटिश भूविज्ञान हैं. वह लंदन इंपीरियल कॉलेज में भूविज्ञान के विशेषज्ञ हैं. वह नासा के मंगल ग्रह के इस अभियान से जुड़े हैं. वह इस प्रोजेक्ट के उन वैज्ञानिकों में भी एक हैं जो 2027 में मंगल ग्रह से सैंपल लाने के लिए इस अभियान का हिस्सा हैं. इन सैंपल की जांच से ही पता चल पाएगा कि मंगल ग्रह पर जीवन है या नहीं. इसके लिए आने वाले समय में प्रोफेसर संजीव गुप्ता और उनके साथी पर्सेवरेंस रोवर के लिए मंगल ग्रह पर कई टास्क भी तय करेंगे.
हालांकि उन्हें मिशन के दौरान कैलिफोर्निया में नासा की जेट प्रोपल्शन लैब में नहीं मौजूद होने का मलाल है. प्रोफेसर गुप्ता ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से संबद्ध सेंट क्रॉस कॉलेज से पीएचडी की हुई है. उन्होंने बिना परिवार को परेशान किए बेहतर काम करने के मकसद से दक्षिणी लंदन में अपने घर के पास एक सैलून के ऊपर वन बेडरूम फ्लैट किराये पर लिया है. इसी फ्लैट से वह पर्सेवरेंस रोवर के मिशन का काम कर रहे हैं. उनका कहना है है इस मिशन से जुड़े हुए 400 से अधिक वैज्ञानिकों में से कई वर्क फ्रॉम होम ही कर रहे हैं. क्योंकि अभी ट्रैवल बैन है.
प्रोफेसर गुप्ता का कहना है कि पर्सेवरेंस रोवर मंगल ग्रह के जजीरो क्रेटर पर लैंड हुआ है. वह एक अच्छा स्पॉट है. मेरा मानना है कि अरबों साल पहले यह क्रेटर किसी क्षुद्रग्रह के मंगल पर टकराने के कारण बना था. हम वहां पुरानी नदी घाटी और डेल्टा देख सकते हैं. उन्होंने जानकारी दी कि वह और उनकी टीम रोजारा कई मीटिंग करते हैं और तय करते हैं कि कहां से सैंपल उठाने हैं.
55 साल के प्रोफेसर संजीव गुप्ता भारतीय मूल के ब्रिटिश भूविज्ञान हैं. वह लंदन इंपीरियल कॉलेज में भूविज्ञान के विशेषज्ञ हैं. वह नासा के मंगल ग्रह के इस अभियान से जुड़े हैं. वह इस प्रोजेक्ट के उन वैज्ञानिकों में भी एक हैं जो 2027 में मंगल ग्रह से सैंपल लाने के लिए इस अभियान का हिस्सा हैं. इन सैंपल की जांच से ही पता चल पाएगा कि मंगल ग्रह पर जीवन है या नहीं. इसके लिए आने वाले समय में प्रोफेसर संजीव गुप्ता और उनके साथी पर्सेवरेंस रोवर के लिए मंगल ग्रह पर कई टास्क भी तय करेंगे.
हालांकि उन्हें मिशन के दौरान कैलिफोर्निया में नासा की जेट प्रोपल्शन लैब में नहीं मौजूद होने का मलाल है. प्रोफेसर गुप्ता ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से संबद्ध सेंट क्रॉस कॉलेज से पीएचडी की हुई है. उन्होंने बिना परिवार को परेशान किए बेहतर काम करने के मकसद से दक्षिणी लंदन में अपने घर के पास एक सैलून के ऊपर वन बेडरूम फ्लैट किराये पर लिया है. इसी फ्लैट से वह पर्सेवरेंस रोवर के मिशन का काम कर रहे हैं. उनका कहना है है इस मिशन से जुड़े हुए 400 से अधिक वैज्ञानिकों में से कई वर्क फ्रॉम होम ही कर रहे हैं. क्योंकि अभी ट्रैवल बैन है.